केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को केंद्रीय मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं की संपत्ति राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना { National Monetization Pipeline Scheme (NSP)} की शुरुआत की है। इसके जरिये अगले चार वर्षों में विनिवेश किए जाने वाली सरकार की बुनियादी ढांचा संपत्तियों की सूची तैयार की जाएगी। इस योजना के तहत सरकार को 6 लाख करोड़ रुपये (81 अरब डॉलर) जुटाना है। यह पैसे सरकार अपनी कम इस्तेमाल में आ रहीं संपत्तियों के जरिए जुटाना चाहती है। लेकिन सवाल यह उठ रहे है की क्या सरकार संपत्तियों के जरिए 6 लाख करोड़ जुटाने के लिए अपनी संपत्ति बेचेगी?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है की संपत्तियों से पैसे जुटाने के लिए सरकार अपनी कोई संपत्ति नहीं बेचेगी, ना ही इसके लिए संपत्तियों का कोई निजीकरण होगा। तो अब सवाल ये है की सरकार बिना बेचे और बिना निजीकरण के संपत्ति से 6 लाख करोड़ कैसे जुटाएगी? आपको बता दें, वित्त मंत्री के 2021-22 के बजट भाषण में इसका जिक्र था की सरकार अपनी संपत्तियों के जरिए अगले चार साल यानी 2025 तक करोड़ों रुपये की कमाई कर सकती है।
बिना बेचे कैसे करेगी सरकार संपत्तियों से कमाई…
सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएमपी का शुभारंभ करते हुए कहा है कि इस योजना में (एमएमपी) सिर्फ ब्राउनफील्ड संपत्तियां ही है। यानी ऐसी संपत्तियां जिसमें केंद्र सरकार का निवेश है और जहां संपत्ति या तो बेकार पड़ी है, या उससे पूरी तरह से अर्जन (earning) नहीं हो रहा है, या उसका पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पा रहा है। इन सभी ब्राउनफील्ड संपत्तियों का स्वामित्व सरकार के पास बना रहेगा। बेकार पड़ी या कम उपयोग वाली संपत्तियों से पैसा कमाने के लिए सरकार निजी कंपनियों के साथ अनुबंध (Contract) के तहत साझेदारी करेंगी।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, “यह सरकारी संपत्तियां बिक्री के लिए नहीं है।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि सरकार स्वामित्व नहीं छोड़ेगी। ” संपत्ति का निजीकरण भी नहीं होगा। हम केवल ब्राउनफील्ड संपत्ति ही ऑफर कर रहे हैं इसमें कोई जमीन शामिल नहीं है। ”
इस NMP योजना से जुड़ने वाले क्षेत्र होंगे..
संपत्ति मुद्रीकरण (monetization) के लिए पहचाने गए शीर्ष तीन क्षेत्रों (top three sectors) में रेलवे, हवाई अड्डे और कोयला खनन (coal mining) शामिल हैं। संपत्ति मुद्रीकरण के लिए 15 रेलवे स्टेडियम, 25 हवाई अड्डे, 160 कोयला खनन परियोजनाएं लगाई जाएंगी। इनके अलावा, सड़क, बिजली पारेषण लाइन, गैस और उत्पाद पाइपलाइन, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, शहरी आवास, आतिथ्य अवसंरचना, बंदरगाह और जल मार्ग, स्टेडियम जैसी क्षेत्रों से संबंधित संपत्तियां भी मुद्रीकरण योजना का हिस्सा होंगी। अभी राज्य सरकारों की संपत्तियों को इस योजना के दायरे में नहीं लाया गया है।
सरकार का चार साल में मोनेटाइजेशन के जरिए इस सेक्टर से इतनी कमी का लक्ष्य..
सड़क और रेलवे की संपत्ति 1.62 लाख करोड़ रुपये और 1.52 लाख करोड़ रुपये के अनुमान के साथ सबसे बड़ा मूल्य अनलॉक करेगी।
- सड़क – 1,60,200 करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य है। 26,700 किलोमीटर सड़कों को मोनेटाइज कर यह कमाई होगी। इसमें ज्यादातर हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्गों का होगा।
- रेलवे – 1,52,496 करोड़ रुपये सरकार का मोनेटाइजेशन के जरिए कमाना का लक्ष्य है। रेलवे में संपत्ति मुद्रीकरण योजना में 400 स्टेशनों (नई दिल्ली और मुंबई सहित), 90 यात्री ट्रेन संचालन, 1,400 किमी ट्रैक, 673 किमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर और 15 स्टेडियम के जरिए यह कमाई होगी।
- पावर ट्रांसमिशन – 45,200 करोड़ मोनेटाइजेशन के जरिए कमाने का लक्ष्य
- पावर जनरेशन – 39,832 करोड़ रूपये मुद्रीकरण योजना से कमाने का लक्ष्य
- दूरसंचार- 35,100 करोड़ रूपये की कमाई का लक्ष्य
- वेयरहाउसिंग – 28,900 करोड़ मोनेटाइजेशन के जरिए कमाने का लक्ष्य
- खनन- 28,747 करोड़ रूपये की कमाने का लक्ष्य
- प्राकृतिक गैस पाइपलाइन – 24,462 करोड़ रूपये की कमाई का लक्ष्य
- उड्डयन – 20,782 करोड़ (25 एयरपोर्ट्स के जरिए) रूपये की कमाई का लक्ष्य
- बंदरगाह –12,828 करोड़ मोनेटाइजेशन के जरिए कमाने का लक्ष्य
- स्टेडियम – 11,450 करोड़ रूपये की कमाई का लक्ष्य है।