कनाडा: जलवायु परिवर्तन से बीमार पड़ने वाली दुनिया की पहली मरीज़ बनी बुज़ुर्ग महिला!

प्रकृति से खिलवाड़ सिर्फ हमारे भविष्य ही नही बल्कि वर्तमान के लिए भी खरतनाक साबित हो सकता है। इसका एक नमूना भी सामने आ गया है। कनाडा की एक बुज़ुर्ग महिला जलवायु परिवर्तन से बीमार पड़ने वाली दुनिया की पहली मरीज बन गई है। यह महिला सांस लेने में तकलीफ समेत कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही है। डॉक्टर के अनुसार, इस साल की शुरुआत में चली गर्म हवाओं के चलते इस महिला को एक साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं ने घेर लिया है।

महिला की सभी समस्याएं और गंभीर हो गई..

महिला की उम्र 70 वर्ष के आस-पास बताई का रही है और वह अस्थमा से भी पीड़ित है। महिला की सभी समस्याएं और गंभीर हो गई हैं। इस महिला की जांच कूटने लेक अस्पताल के डॉ. काइल मेरिट ने की थी। बता दें कि इस साल रिकॉर्ड तोड़ गर्म हवा (लू ) ने कनाडा और अमेरिका के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया था। इससे यहां सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अकेले ब्रिटिश कोलंबिया में लू लगने से 233 लोगों की मौत हो गई। इसके पीछे का कारण जलवायु परिवर्तन माना जा रहा है।

ज़्यादा तापमान पहले से बीमार लोगों की हालत और खराब कर सकता है..

जलवायु परिवर्तन पर कुछ महीने पहले आई इंटर-गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में इसे ‘मानवता के लिए खतरनाक स्थिति’ बताया गया है। रिपोर्ट बताती है कि 1970 के बाद से वैश्विक सतह के तापमान में वृद्धि पिछले 2000 वर्षों में किसी भी अन्य 50-वर्ष की अवधि की तुलना में अधिक है। वैश्विक तापमान में यह वृद्धि पहले से ही दुनिया भर के हर क्षेत्र में कई मौसम और जलवायु संबंधी चरम स्थितियों को प्रभावित कर रही है। वहीं, विशेषज्ञों के का कहना है कि बहुत ज़्यादा तापमान पहले से बीमार लोगों की हालत और खराब कर सकता है।

21वीं सदी के सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों में से एक..

रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन न केवल जीवन और आजीविका को प्रभावित करता है, यह 21वीं सदी के सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों में से एक माना जा है। बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा ने कृषि को प्रभावित किया है। इससे साफ है कि यह पोषण को भी प्रभावित करता है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को अपने पोषण कार्यक्रमों में और तेज़ी लानी होगी। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के हर हिस्से में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दिख रहे हैं। हमारे कार्यों के माध्यम से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन के कारण लू, तूफान, आग, बाढ़ और भूस्खलन की संख्या और तीव्रता में तेज़ वृद्धि हो रही है।

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