बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ़्तारी पर जारी अंतरिम रोक को तीन सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है. इन तीन सप्ताह के भीतर वे सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं. किन्तु भीमा कोरेगांव मामले में उनके खिलाफ पुणे पुलिस द्वारा दर्ज एफआइआर को ख़ारिज करने से इंकार करते हुए कोर्ट ने उनकी याचिका को ख़ारिज कर दिया है.
Bhima Koregaon: Bombay HC dismisses plea by Gautam Navlakha to quash FIR#BhimaKoregaon #GautamNalakha https://t.co/JlKg9bgoX7
— Bar and Bench (@barandbench) September 13, 2019
न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने कहा, “मामले की गंभीरता को देखते हुए हमें लगता है कि पूरी छानबीन जरूरी है.” पीठ ने कहा कि यह बिना आधार और सबूत वाला मामला नहीं है. दर्ज मामले को खारिज करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि पहली नजर में मामले में तथ्य पाए गए हैं. इसी के आधार पर कोर्ट ने मामले को खारिज करने से इनकार किया जाता है.
पुणे पुलिस की अधिवक्ता अरुणा पाई ने कहा था कि मामले के सह अभियुक्त रोना विल्सन और सुरेंद्र गाडलिंग के लैपटॉप से बरामद कुछ दस्तावेजों से पता चलता है कि नवलखा और उनसे जुड़े कई समूहों की हिज्बुल नेताओं के साथ द्विपक्षीय बातचीत हुई है.
पुणे पुलिस ने जनवरी 2018 में गौतम नवलखा और कुछ अन्य कायकर्ताओं के खिलाफ कथित रूप से नक्सलियों के साथ संबंध रखने के मामले में मुकदमे दर्ज किया था. नवलखा ने अपने खिलाफ दायर एफआइआर रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.