बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राज्य खाद्य आयोग का गठन करने का निर्देश दिया है.मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एक डिवीजन बेंच राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि “बहुत अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के बनने के 6 साल बाद भी राज्य सरकार ने राज्य खाद्य आयोग गठन की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है.”
Bombay High Court directs Maharashtra Government to set up Food Commission in four weekshttps://t.co/poHwY9c3ys
— Bar and Bench (@barandbench) September 19, 2019
सरकार से नाराज खंडपीठ ने कहा कि सरकार चार सप्ताह के भीतर आयोग का गठन करे अन्यथा हम राज्य के मुख्य सचिव के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी करने पर विचार करेंगे.
बता दें कि, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (राईट टू फूड) छह साल पहले जुलाई, 2013 में पारित किया गया था. लेकिन महाराष्ट्र में अब तक खाद्य आयोग का गठन नहीं किया गया है.
खंडपीठ ने कहा कि विभिन्न सरकारी योजनाओं को लागू करने,बाल सुधागरगृह से जुड़े सवाल, जेल से जुड़ी समस्याएं,विकास परियोजनाओं से संबंधित प्रश्न क्या हाईकोर्ट ही देखेगा? सरकारी अधिकारी क्या कर रहे है? खंडपीठ ने चार सप्ताह के भीतर आयोग का गठन कर सरकार को मामले को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
Bombay HC Directs Govt. To Set Up Food Commission Under National Food Security Act [Read Order] https://t.co/zT7o1pBqYD
— Live Law (@LiveLawIndia) September 19, 2019
खंडपीठ ने यह बात अलका कांबले की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही. याचिका के मुताबिक खाद्य सुरक्षा कानून की धारा 16 के अंतर्गत राज्य खाद्य आयोग का गठन का प्रावधान किया गया है. ताकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निगरानी रखी जा सके और पात्र लोगों को ही खाद्य आपूर्ति से जुड़ी योजनाओं का लाभ मिल सके. आयोग मुख्य रुप से अनाज के वितरण से जुड़ी शिकायतों को भी सुनेगा. यहीं नहीं यह सुनिश्चित करेगा की पात्र लोगों को ही अनाज मिले. आयोग से जुड़े लोग सरकारी योजनाओं के तहत पात्र लोगों की सूची तैयार करेंगे और अनाज वितरण के लिए प्राथमिकता सूची भी बनाएंगे.
महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार है. इससे पहले हाई कोर्ट ने राज्य में कुपोषण से मरे बच्चों के मामले में भी राज्य सरकार को फटकार लगाई थी.
Alka-Kambale-Vs.-State-of-Maharashtra-Food-Commission