लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है… ; मकबूल शायर राहत इंदौरी का यह शेर इस देश में दिनोदिन साकार होता दिख रहा है।
थोड़े दिन पहले ही केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के एक नेता के बेटे ने बेरोज़गारी के चलते अपनी जान दे दी थी। आज खबर आयी है कि भाजपा के एक कार्यकर्ता ने इसलिए खुदकुशी कर ली क्योंकि नागरिकता के रजिस्टर से उसका नाम काटे जाने का उसे डर था। यह बात कितनी सही है और कितनी गलत, मीडियाविजिल इसकी पुष्टि नहीं करता लेकिन अखबारों में छपी खबर और सीपीएम नेता के ट्वीट तो यही कह रहे हैं।
यह कार्यकर्ता मामूली नहीं है, बंगाल में भाजपा के चुनाव प्रचार का चेहरा था। इसका नाम निभाष सरकार था। पिछले लोकसभा चुनावों में इस शख्स ने हनुमान का रूप धरकर पश्चिम बंगाल के बालाघाट के भाजपा प्रत्याशी जगन्नाथ सरकार के लिए प्रचार किया था। अमर उजाला की खबर है कि निभाष ने एनआरसी के आतंक से अपने गाँव हांसखाली में आत्महत्या कर ली है।
लोकसभा चुनावों के दौरान हनुमान के वेश में घूमने वाले निभाष सरकार की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं।
इस घटना पर सीपीएम के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम ने ट्वीट किया है। उन्होंने निभाष सरकार की हनुमान वाली तस्वीर को पोस्ट कर लिखा है – लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में यह सबसे चर्चित तस्वीर थी। हनुमान की वेश में इस आदमी ने बीजेपी सांसद जगन्नाथ सरकार की जीत के लिए प्रचार किया था। इनको मिलकर बंगाल में एनआरसी के भय से अब तक 20 लोगों ने आत्महत्या की है।
Remember this?
It was one of the most popular pictures during 2019 Lok Sabha elections in Bengal. The man dressed as Hanuman campaigned for victory of BJP MP Jagannath Sarkar in Ranaghat.
He’s among 20 people who have committed suicide due to fear of NRC in Bengal. pic.twitter.com/EQ5OTHoxXt
— Md Salim (@salimdotcomrade) October 4, 2019
गौरतलब है कि हाल में कोलकाता आए बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब एनआरसी पूरे देश में लागू किया जाएगा और सभी गैरकानूनी प्रवासियों को बाहर निकाला जाएगा। यह बात अलग है कि ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री रहते बंगाल में एनआरसी का लागू होना इतना आसान नहीं है क्योंकि वे इसके विरोध में हैं।
इसके बावजूद निभाष सरकार ने खुदकशी कर ली है क्योंकि उनकी पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री खुद कोलकाता आकर एलान कर गए थे कि एनआरसी पूरे देश में लागू किया जाएगा। जाहिर है, अपने अध्यक्ष की बात को न मानने की उनके पास कोई वजह नहीं रही होगी और एेसे में जीने की भी वजह नहीं समझ आयी होगी।
इससे पहले बंगाल में दो और आत्महत्याएं एनआरसी के चलते हो चुकी हैं। असम को मिला लें तो संख्यादो दर्जन के आसपास पहुंच चुकी है। यह बात अलग है कि एनआरसी से बाहर निकाले गए कुल 89 फीसदी लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह बात एक सर्वे में सामने आयी है। इसका मतलब कि अभी और मौतें हो सकती हैं।