बिहार में नई सरकार गठन के महज़ कुछ दिन बाद नव नियुक्त शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने आज इस्तीफा दे दिया हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ 16 नवंबर को उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली थी। आज तक़रीबन 1 बजे उन्होंने अपना कार्यभार संभालने शिक्षा विभाग गये लेकिन महज़ कुछ घंटे बाद ही उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले का आरोप है।
आज ही मीडिया से बातचीत में मेवालाल चौधरी ने कहा था कि उन पर कोई चार्जशीट नहीं है। जिन लोगों ने बदनाम करने की साजिश रची है, उन्हें 50 करोड़ रुपए की मानहानि का नोटिस भेजेंगे।
स्थानीय ख़बर के मुताबिक, बीजेपी के दबाव में नीतीश कुमार ने मेवालाल चौधरी से इस्तीफा लिया है। ख़बर है कि नीतीश कुमार ने आज दोपहर उन्हें अपने आवास पर तलब किया था। वहां मंत्री को कहा गया कि वे इस्तीफा सौंप दें। इसके बाद मेवालाल चौधरी ने अपना त्यागपत्र दे दिया।
इस्तीफ़े के बाद जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दिया गया है। उन्होंने अपने ट्वीट कर कहा, “हमारे शिक्षा मंत्री ने तो इस्तीफ़ा दे दिया। हमने शुचिता के उच्च मापदंड का पालन किया। लेकिन क्या अब तेजस्वी यादव भी अनुसरण करेंगे? इस्तीफ़ा देंगे ? राबड़ी जी पे भी आरोप हैं , इस्तीफ़ा दे दे!”
हमारे शिक्षा मंत्री ने तो इस्तीफ़ा दे दिया , शुचिता के उच्च मापदंड का पालन हमने किया लेकिन क्या अब @yadavtejashwi भी अनुसरण करेंगे ? इस्तीफ़ा देंगे ?? राबड़ी जी पे भी आरोप हैं , इस्तीफ़ा दे दे
— Dr Ajay Alok ( मोदी का परिवार ) (@alok_ajay) November 19, 2020
वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि सिर्फ इस्तीफ़े से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा, माननीय मुख्यमंत्री जी, जनादेश के माध्यम से बिहार ने हमें एक आदेश दिया है कि आपकी भ्रष्ट नीति, नीयत और नियम के खिलाफ आपको आगाह करते रहें। महज एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी।
आगे उन्होंने अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा, “मैंने कहा था न आप थक चुके हैं! इसलिए आपकी सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो चुकी है। जानबूझकर भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया। थू-थू के बावजूद पदभार ग्रहण कराया। घंटे बाद इस्तीफ़े का नाटक रचाया। असली गुनाहगार आप है। आपने मंत्री क्यों बनाया? आपका दोहरापन और नौटंकी अब चलने नहीं दी जाएगी?”
मैंने कहा था ना आप थक चुके है इसलिए आपकी सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो चुकी है।
जानबूझकर भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया
थू-थू के बावजूद पदभार ग्रहण कराया
घंटे बाद इस्तीफ़े का नाटक रचाया।असली गुनाहगार आप है। आपने मंत्री क्यों बनाया??आपका दोहरापन और नौटंकी अब चलने नहीं दी जाएगी?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 19, 2020
भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने नीतीश-4 सरकार के गठन के तीन दिन के अंदर शिक्षा मंत्री मेवालाल चैधरी को मंत्रिमंडल से हटाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह जनदबाव का नतीजा है और जनता की जीत है। पहले ही दिन से पूरा विपक्ष और बिहार की जनता दागी व्यक्ति को शिक्षा मंत्री जैसा पोस्ट दिए जाने का विरोध कर रही थी। नीतीश कुमार को इसकी बखूबी जानकारी थी कि मेवालाल चैधरी कृषि विश्वविलद्यालय घोटाले के मुख्य आरोपी हैं, फिर भी उन्होंने मेवालाल चैधरी को मंत्री बनाया। जब पूरे बिहार में इसका प्रतिवाद हुआ तो मजबूरन उन्हें मेवालाल चैधरी को पद से हटाना पड़ा है।
माले राज्य सचिव ने यह भी कहा कि मेवालाल चैधरी के बाद मंगल पांडेय जैसे नकारा मंत्रियों को भी तत्काल मंत्रिमंडल से बाहर करने की जरूरत है। पिछले दिनों लॉकडाउन के समय में मंगल पांडेय अव्वल दर्जे के नकारा मंत्री साबित हुए हैं। पूरा बिहार लगातार उनकी बर्खास्तगी की मांग उठाता रहा। उनके मंत्रितत्व में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत चरमाराते गई, लेकिन सरकार ने उन्हें फिर से इसी मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है। सरकार को बिहार की जनता की आवाज सुननी चाहिए।
जनदबाव में झुके नीतीश, शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी की बर्खास्तगी के बाद मंगल पांडेय जैसे नकारा साबित हुए मंत्रियों को भी मन्त्रिमण्डल से बाहर करने की जरूरत है.
— CPIML Liberation, Bihar (@CPIMLBIHAR) November 19, 2020
मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाते ही सीएम नीतीश कुमार विपक्ष के घेरे में आ गए थे। लोग लगातार उनसे सवाल पूछ रहे थे। उनकी थ्री-सी यानी क्राइम, करप्शन, कम्युनलिज़्म से समझौता नहीं करने की वादा याद दिला रहे थे।
दरअसल, मेवालाल चौधरी पर भागलपुर के सबौर में स्थित कृषि विश्वविद्यालय में वीसी रहते सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों की नियुक्ति में अनियमितता बरतने का आरोप हैं। इस अनियमितता के ख़िलाफ़ जाँच के लिए बनाई गई कमिटी ने भी उन्हें दोषी पाया है। सबौर थाना में उनके ख़िलाफ़ एफआईआर भी दर्ज़ है। इस वक्त वे जमानत पर हैं।