9 दिसंबर की वार्ता टली, कृषि क़ानून रद्द करने को लेकर अमित शाह से किसानों ने पूछा- हाँ या न?

सरकार और किसानों के बीच 9 दिसंबर को तय छठें दौर की वार्ता अब नहीं होगी। बातचीत की कमान अब गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल ली है जिनके साथ ‘भारत बंद’ ख़त्म होने के बाद आज देर शाम किसान नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में किसान नेताओं ने साफ कर दिया कि वे कृषि कानून वापस लिये जाने से कम कुछ मंजूर नहीं करेंगे। सरकार की ओर से कहा गया कि कल एक लिखिति प्रस्ताव किसानों के सामने पेश किया जायेगा।

8 दिसंबर के ‘भारत बंद’ में कोई जबरदस्ती नहीं थी लेकिन जिस स्तर पर इसने जन संगठनों को अपने साथ जोड़ा उससे सरकार के कान खड़े हो गये। शाम को अचानक गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों की बैठक बुलायी गयी। अँधेरा घिरने के बाद  पूसा इंस्टीट्यूट में यह बातचीत देर तक चली। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। किसान नेताओं ने साफ़ कह दिया कि सरकार से बातचीत सिर्फ इस बात की हो सकती है कि वह क़ानून वापस लेगी या नहीं।

सूत्रों के मुताबिक सरकार कृषि क़ानून वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। वह कुछ संशोधनों के लिए ज़रूर तैयार हो गयी है, लेकिन किसानों का कहना है कि यह सब पुरानी बात है। सरकार बार-बार वही बात कर रही है जिसको कई बार सुना जा चुका है।

ज़ाहिर है, वह किसानों और सरकार के बीच गतिरोध टूटता नहीं दिख रहा है। 9 दिसंबर की बैठक टाल दी गयी है। सरकार की ओर से नया प्रस्ताव देने की बात कही गयी है, लेकिन किसान ऐसी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं जो उनके भविष्य के लिहाज़ से, उनके हिसाब से ख़तरनाक हो सकता है। कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर वे हर हाल में क़ानूनी गारंटी चाहते हैं।

ग़ौरतलब है कि अब तक वार्ता में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, लेकिन जिस तरह गृहमंत्री अमित शाह ने अचानक हस्तक्षेप किया है उससे पता चलता है कि सरकार किस तरह से दबाव में है। इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण भी हो चुका है और देश की राजधानी घिरी है, ऐसे में सीधे पीएम मोदी की साख प्रभावित हो रही है। पर किसानों के लिए भी यह करो या मरो का मामला है। वे इस ऐतिहासिक मौके पर पाँव पीछे खींचने को तैयार नहीं हैं।

 

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