मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ को अब अहमदाबाद की मेट्रोपॉलिटन अदालत के आदेश के अनुसार दोबारा अदालत में 2 जुलाई को पेश किया जाएगा। 2 जुलाई को उनकी बेल पर अगली सुनवाई होगी और तब तक उनको पुलिस रिमांड में ही रहना होगा। गुजरात दंगों के पीड़ितों की क़ानूनी लड़ाई हो या फिर सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ ज़मीनी काम, गोधरा के पीड़ितों को क़ानूनी मदद से लेकर असम में एनआरसी पर सर्वे तक तीस्ता के मानवाधिकारों को लेकर काम को, दुनिया भर में सराहा जाता रहा है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को लेकर, हाल में क्या कहा कि गुजरात सरकार को तीस्ता को हिरासत में लेने का मौका मिल गया?
क्या आरोप हैं, तीस्ता पर?
तीस्ता सेतलवाड़ को 2 जुलाई, 2022 को उनके कथित सह-साजिशकर्ता रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार के साथ अदालत में पेश किया जाएगा। एक अप्रत्याशित फ़ैसला देते हुए, गुजरात दंगों में एसआईटी की क्लीन चिट पर पुनर्विचार की याचिका पर फ़ैसला सुनाते हुए, सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने न केवल इस याचिका को खारिज कर दिया बल्कि इसे दुर्भावना से प्रेरित भी बता दिया। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “वास्तव में, प्रक्रिया के इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में रखने और कानून के अनुसार आगे बढ़ने की आवश्यकता है।”
CJP was forged in the fires that engulfed #Gujaratriots during one of the darkest periods in Indian history. We have been at the forefront of the quest for justice for victims and survivors of communal violence, in the courts and beyond. #ZakiaJafri Visit: https://t.co/g5LSE5rhLR
— Citizens for Justice and Peace (@cjpindia) June 24, 2022
इसके बाद, इसी टिप्पणी को आधार बनाकर, राज्य की ओर से अहमदाबाद शहर की अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक दर्शनसिंह बी बराड द्वारा दायर, 25 जून, 2022 की एक शिकायत में, तीस्ता के ख़िलाफ़ क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई। इसमें लगाई गई धाराएं हैं;
194 (किसी अपराध में दोषसिद्धि हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत देना या निर्मित करना)
211 (चोट पहुंचाने के इरादे से किए गए अपराध का झूठा आरोप)
218 (किसी लोक सेवक को सजा या संपत्ति को जब्ती से बचाने के इरादे से गलत रिकॉर्ड या लेखा तैयार करना)
468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी)
471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली कह कर इस्तेमाल करना)
120 बी (आपराधिक साजिश)
ग़ौरतलब है कि जिन साक्ष्यों को लेकर, अदालत ने टिप्पणी की और पुलिस ने केस दर्ज किया – उनमें से वो साक्ष्य भी हैं, जिनके आधार पर गुजरात दंगों के कई मामलों में अदालतों ने फ़ैसले और आरोपियों को सज़ाएं भी सुनाई हैं।
क्या आरोप लगाए हैं, तीस्ता ने?
CJP secreatry, #HumanRights defender, journalist and educationist #TeestaSetalvad is being vilified and targeted by a vindictive regime. Demand #JusticeforTeesta #FreeTeesta #FreeTeestaSetalvad pic.twitter.com/if9uX2hBMP
— Citizens for Justice and Peace (@cjpindia) June 26, 2022
इसके बाद, हिरासत में लिए जाने के बाद तीस्ता सेतलवाड़ ने भी, अहमदाबाद ले जाए जाने से पहले – अपने क़ानूनी अधिकारों का उपयोग करते हुए मुंबई के सांताक्रूज़ थाने में एक लिखित शिकायत की है। उनका आरोप है कि उनको न केवल अवैध तरीके से हिरासत में लिया गया है बल्कि उनके साथ गुजरात एटीएस की टीम ने धक्कामुक्की और अभद्रता भी की है। तीस्ता ने हिरासत में अपनी जान को ख़तरा बताते हुए, इस शिकायत में कहा,
- एटीएस अहमदाबाद के पुलिस इंस्पेक्टर जेएच पटेल और एक महिला अधिकारी सिविल कपड़ों में उनके बेडरूम में अवैध तरीके से दाख़िल हुए।
- जब उन्होंने अपने वकील से बात करने की मांग की तो उनके साथ धक्का-मुक्की की गई।
- हमले से तीस्ता का बायां हाथ चोटिल हो गया, और उनके वकील के आने तक उन्हें प्राथमिकी या वारंट नहीं दिखाया गया।
- उनका मोबाइल अवैध तरीके से, बिना पंचनामे के पुलिस ने छीन कर अपने पास रख लिया जो देर रात उनको वापस किया गया।
- उनके साथ पुलिस अधिकारी ने गाली देकर, अभद्र भाषा में बातचीत की।
इसके अलावा एक प्रेस रिलीज़ में तीस्ता के संगठन ने अपनी ओर से तथ्य सामने रख कर, ये भी बताया है कि उन पर लगाए गए आरोपों पर पहली भी अदालत में बात हो चुकी है और वे आरोप न केवल बेबुनियाद हैं, अदालतें उनको इन्ही तथ्यों के आधार पर राहत देती रही हैं – साथ ही गुजरात जनसंहार के आरोपियों को बाक़ायदा सज़ाएं भी सुनाई गई हैं।