स्वंय सहायता समूह में शामिल महिलाओं का कर्जा माफ करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के समर्थन में ऐपवा ने देशव्यापी धरना दिया। देशव्यापी धरने के जरिए ऐपवा ने स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं का कर्ज माफ करने, माइक्रो फायनांस कम्पनियों द्वारा दिए गए कर्जों का भुगतान सरकार द्वारा किए जाने, हर समूह को उसकी क्षमता के अनुसार या कलस्टर बेनाकर रोजगार का साधन उपलब्ध कराने, एस०एच०जी० (स्वयं सहायता समूह-सेल्फ हेल्प ग्रुप) के उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करने, स्वयं सहायता समूह को ब्याज रहित ऋण देने और जीविका कार्यकर्ताओं को न्यूनतम 15 हजार मासिक मानदेय देने की मांग की मांग की।
बिहार की राजधानी पटना में ऐपवा कार्यालय पर संगठन की महासचिव मीना तिवारी व राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, चितकोहरा में राज्य सचिव शशि यादव, कुर्जी में अनिता सिन्हा, मीना देवी, किरण देवी, उषा देवी; नसरीन बानो, कंकड़बाग में अनुराधा आदि महिला नेताओं के नेतृत्व में सैंकड़ों की संख्या में महिलाएं धरने के कार्यक्रम में शामिल हुईं।
ग्रामीण इलाकों में ऐपवा के इस आह्वान पर स्वंय सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की भागीदारी दिखलाई पड़ी। पटना जिले के धनरूआ, दुल्हिनबाजार, बाढ़, बिहटा आदि प्रखंडों के विभिन्न गांवों में महिलाओं ने 6 सूत्री मांगों पर प्रतिवाद किया। जमुई, भागलपुर, भोजपुर, समस्तीपुर, सुपौल, मुजफ्फरपुर, नवादा, नालंदा, जहानबाद, दरभंगा, अरवल आदि जिलों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने धरनों में हिस्सेदारी की।
इस अवसर पर ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि आज पूरे देश में स्वंय सहायता समूह की महिलायें अपनी जायज मांगों पर विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं। ऐपवा का उन्हें हर तरह से समर्थन है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा में स्वयं सहायता समूह के लिए कुछ नहीं है। सरकार की घोषणा में बस इतना है कि एक साल तक उन्हें लोन की किस्त जमा करने से छूट मिलेगी। कर्ज माफ नहीं होगा, बल्कि उन्हें कर्ज जमा करने के समय में छूट दी गई है। एक साल के बाद भी लोन चुकता करना उनके लिए संभव नहीं होगा। दूसरी तरफ स्वयं सहायता समूह चलाने वाली प्राइवेट कम्पनियां अभी भी लोन का किस्त जबरन वसूल रही हैं। सरकार बड़े पूंजीपतियों के कर्जे लगातार माफ करती जा रही है जबकि जरूरत है कि उनसे कर्ज वसूल किया जाए और गरीब महिलाओं को राहत दी जाए।
उन्होंने कहा कि प्राइवेट कंपनियां पैसा वसूलने में लगी हैं। हमारी मांग है कि यह पैसा सरकार दे। ज्यादातार ग्रुप्स के पास कोई काम नहीं है। महिलायें जो सामान बनाती हैं उसका कोई बाजार नहीं है। लोन भारी इंटरेस्ट पर दिया जाता है। हर समूह को उसकी क्षमता के अनुसार या कलस्टर बनाकर रोजगार का साधन उपलब्ध कराने की जरूरत है। उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित होनी चाहिए और स्वयं सहायता समूह को ब्याज रहित ऋण देना होगा।
ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे ने कहा कि बिहार सरकार ने हरेक परिवार को 4 मास्क देने का फैसला किया है। इसके निर्माण का काम स्वयं सहायता समूह को देने की घोषणा की गई थी। लेकिन वास्तविकता यह है कि सभी समूहों को यह काम दिया ही नहीं गया। अगर कहीं दिया भी गया तो उनसे मास्क खरीदा नहीं जा रहा है. अगर इस फैसले को गंभीरता से लागू किया जाता तो समूह को एक बड़ी आर्थिक सहायता हो सकती थी। इसे लागू करने की बजाय सिर्फ रोजगार की बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं।
राज्य सचिव शशि ने चितकोहरा में महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड के खिलाफ जीविका दीदियां जंग के मैदान में हैं, लेकिन सरकार उन्हें क्या देती है! हमारी मांग है कि न्यूनतम 15 हजार रुपया सबको दिया जाए। हम सभी जानते हैं कि अन्य तमाम श्रमिक वर्ग की तरह ही लॉकडाउन के कारण इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी बुरी तरह बिगड़ गई है इसलिए सरकार भ्रम फैलाने की बजाए ठोस उपाय करे।
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के समर्थन में ऐपवा ने उत्तर प्रदेश में भी दिया धरना दिया। इस धरने में कर्ज माफी, और रोज़गार की मांग उठाई गई। उत्तर प्रदेश में लखनऊ, गाजीपुर, चन्दौली, लखीमपुर, मिर्जापुर, देवरिया , सीतापुर, सोनभद्र, बनारस, इलाहाबाद में ऐपवा ने धरना दिया।
धरने गांव-मुहल्ले में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए आयोजित किये गये। धरने का नेतृत्व कर रहीं ऐपवा राष्ट्रीय कार्यकरिणी सदस्य मीना सिंह ने कहा कि सरकार बड़े पूंजीपतियों के कर्जे लगातार माफ करती जा रही है जबकि जरूरत है कि उनसे कर्ज वसूल किया जाए और गरीब महिलाओं को राहत दी जाए। उन्होंने कहा कि इन समूहों को सरकार रोजगार का साधन उपलब्ध करवाए और इनके बनाए समान की खरीद करे, आर्थिक उपार्जन की व्यवस्था नहीं होने के कारण ये महिलाएं एक बार जो कर्ज लेती हैं तो फिर उस जाल में फंसती चली जाती हैं।
ऐपवा उपाध्यक्ष आरती राय ने कहा कि महिलाओं को मिलने वाले कर्ज पर सरकार को ब्याज वसूलना बंद करना चाहिए और आगे से शून्य प्रतिशत ब्याज पर उन्हें कर्ज दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौर में जब कोरोना योद्धाओं को मास्क तक नहीं मिल रहे। तब अगर सरकार ने इन समूहों को मास्क बनाने का काम दिया होता तो सबको मास्क मिलता और इन महिलाओं की कुछ आमदनी होती। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।