ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) ने कहा कि कोविड-19 के बहाने केंद्र की मोदी और विभिन्न राज्य सरकारें लोकतंत्र, नागरिक अधिकारों और आम जनता विशेषकर मजदूरों पर हमले कर रही हैं. और ये हमले लगातार बढ़ रहे हैं. यह स्थिति हमारे लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक है. जिसके खिलाफ हर स्तर पर कड़े विरोध में उतरना होगा.
ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम के सचिवालय ने मजदूरों द्वारा संघर्ष के बल पर प्राप्त अधिकारों को खत्म करने, प्रवासी मजदूरों को उनकी सुरक्षित घर वापसी के प्रति बेहद गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने, जिसके चलते देश भर में मजदूर मौत के मुंह में समा रहे हैं, चिंता जाहिर की है.
एआईपीएफ सचिवालय के सदस्यों ने कहा है कि सरकार के कामकाज से साफ जाहिर हो रहा है कि वह कोविड -19 की गंभीर महामारी पर नियंत्रण के प्रयास तो नहीं कर रही है, इस बहाने सरकार अपने पूंजीपति परस्त और अधिनायकवादी मॉडल को आगे बढ़ाने में जुटी है. इसीलिए मजदूरों के साथ ही लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ताओं, छात्र-नौजवानों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर हमले के साथ उनकी अवैध गिरफ्तारी लगातार जारी है. एआईपीएफ इन जनविरोधी कार्रवाईयों की कड़ी निन्दा करता है और मांग करता है कि सरकार तत्काल इस संकट की आड़ में देश भर में हो रहे जनविरोधी हमलों को रोके और सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करे.
एआईपीएफ मांग करता है कि सरकार द्वारा लिए जा रहे सभी मजदूर विरोधी फैसलों- उ.प्र.में श्रम कानूनों को 3 साल तक स्थगित करने, विभिन्न राज्यों द्वारा काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 किए जाने जैसे मजदूर विरोधी फैसलों को तत्काल वापस लिया जाए.
सरकार द्वारा अविवेकपूर्ण रूप से लिए गए लॉकडाउन के फैसले से लाखों मजदूरों और आम जन के जीवन को संकट में डाला है. यही नहीं जब प्रवासी मजदूर अपने घर लौटने की कोशिश कर रहा है तो कई राज्य कॉरपोरेट के दबाव में उन्हें जबरन रोक रहे हैं या फिर उन्हें खुद के सहारे छोड़ दिया है. जिसका परिणाम पैदल चलते-चलते मौत या फिर औरंगाबाद जैसी रेल दुर्घटनाओं के रूप में सामने आ रहा है.
मजदूर को इस स्थिति में धकेलने की पूरी जिम्मेदारी और जवाबदेही मोदी सरकार की है. सरकार को लॉकडाउन के कारण मारे जा रहे सभी मजदूर और अन्य गरीब परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवजा दे साथ ही मजदूरों की घर वापसी के लिए तत्काल बड़े पैमाने पर संसाधन मुहैय्या कराते हुए सुरक्षित घर वापसी की गारंटी सुनिश्चित करे, सभी मजदूरों को 10 हजार रुपये मानदेय दिया जाए. साथ ही सभी मजदूरों /गरीब परिवारों को वार्ड और पंचायत स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से अनाज और जरुरी आर्थिक अनुदान दिया जाए.
विज्ञप्ति : गिरिजा पाठक, संयोजक, आल इंडिया पीपुल्स फोरम द्वारा जारी