राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक, 2019 के तहत एम्स,पीजीआई और जिपमर (AIIMS, PGI, JIPMER) जैसी राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों (INIs) में 2020 से यूजी (UG) प्रवेश के लिए अलग से कोई प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी. वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले एम्स और जिपमर अपनी अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं.
Watch Live !! Dr Harsh Vardhan addresses a Press Conference on National Medical Commission at Nirman Bhawan, New Delhi https://t.co/Zfsn0Qzrqk
— DrHarshVardhanOffice (@DrHVoffice) October 4, 2019
हर्षवर्धन ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम के अनुसार अगले शैक्षणिक वर्ष (2020) से एम्स और जिपमर जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों पर सामान्य राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ लागू होगी और एमबीबीएस के लिए कॉमन काउंसलिंग होगी. उन्होंने कहा, “इससे देश में चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में सामान्य मानक स्थापित करने में मदद मिलेगी.”
Union Minister for Health & Family Welfare, Science & Technology, and Earth Sciences @drharshvardhan briefs media on the NMC Act and the rules and clauses associated with it in New Delhi pic.twitter.com/9ETwhazwcq
— PIB India (@PIB_India) October 4, 2019
‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019′ में नीट के साथ-साथ एमबीबीएस के लिए कॉमन काउंसलिंग और अंतिम वर्ष की एमबीबीएस परीक्षा के प्रावधान एम्स जैसे राष्ट्रीय महत्व वाले सभी संस्थानों पर लागू होंगे.
AIIMS, PGI, JIPMER will no longer conduct their entrance exam. medical professionals seeing this as an attack on autonomy of the institutions of national importance. Govt wants to dilute the pattern of entrance in order to control them & handover them to corporate mafia pic.twitter.com/gMwX8xUVIR
— Harjit Singh Bhatti (@DrHarjitBhatti) October 5, 2019
घोषणाओं के दौरान स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव प्रीति सूदन ने कहा, ‘अगले अकादमिक सत्र से पहले एनएमसी काम करने लगेगा. अगले साल से प्रवेश के लिए सिर्फ़ एक परीक्षा देनी होगी और फ़ीस तय करने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी.’
मेडिकल की पढ़ाई के अंतिम साल में छात्रों को नेशनल एक्ज़िट टेस्ट (नेक्स्ट) देना होगा. इस टेस्ट के जरिए उन्हें मिली मेडिकल की शिक्षा का स्तर तय किया जाएगा, साथ ही ये उनके पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) में एडमिशन को तय करने वाली परीक्षा के तौर पर भी काम करेगा. इसकी वजह से पीजी की प्रवेश परीक्षा के लिए अलग से पढ़ाई नहीं करनी होगी.
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इससे छात्र अब अपने यूजी के विषयों और इंटर्नशिप पर पूरा ध्यान दे सकेंगे. विदेश से मेडिकल की डिग्री पाने वाले छात्रों को भी नेक्स्ट की परीक्षा देनी होगी जिसमें पास होने पर उन्हें लाइसेंस मिलेगा.
वर्तमान में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (JIPMER) को छोड़कर सभी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के माध्यम से किए जाते हैं.