ट्रम्प की दादागीरी : भारत आ रही चार लाख कोरोना टेस्टिंग किट अमेरिका ने हड़पी

कोरोना जांच के टेस्टिंग किट के लिए मचे हाहाकार के बीच अमेरिका ने भारत आ रहे 4 लाख किट की खेप को हड़प लिया। चीन से आ रही इस खेप को अमेरिका की ओर मोड़ दिया गया। यह सीधे-सीधे अमेरिका की दादागीरी है। उसने यह भी परवाह नहीं की कि राष्ट्रपति ट्रम्प के गहरे दोस्त नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं और डेढ़ महीने पहले ही अहमदाबाद में उनके स्वागत में रिकार्ड भीड़ जुटाई गयी जबकि कोरोना का ख़तरा मंडरा रहा था।

भारत के साथ हुई  इस धोखेबाज़ी पर हिदी का कथित मुख्यधारा मीडिया कुछ बोलने पर चाहे सकुचा रहा हो, खबर आ ही गयी है।  डेक्कन क्रानिकल ने  इस बारे में विस्तार  से ख़बर छापी है। अख़बार के मुताबिक बीते शनिवार को चीन से चार लाख रैपिड टेस्टिंग किट (RTK) की खेप तमिलनाडु पहुँचनी थी, लेकिन इसे अमेरिकी की ओर रवाना कर दिया गया। यह ज़बरदस्ती है जो अमेरिका की ओर से किट भेजने वाली कंपनी पर दबाव डालकर की गयी।

हैरानी की बात तो यह है कि भारत सरकार ने इस घटना पर कोई प्रतिवाद भी नहीं जताया।  ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च) की एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अमेरिका की इस हरकत पर पूछे गए सवाल का कोई उचित उत्तर नहीं दिया गया।

मोदी से दोस्ती की भी परवाह नहीं

आपको याद होगा कि अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान वो अहमदाबाद में जिस रास्ते से गुजरते, वहाँ दीवार बना दी गयी थी ताकि जिस भारत में वो आये थे उनसे उसी भारत की गरीब जनता छुपायी जा सके । वो भी प्रधानमंत्री के “गुजरात मॉडल में” । राष्ट्रपति ट्रम्प के लिए ही लाखों लोगों को कोरोना संक्रमण के ख़तरे के बावजूद एक स्टेडियम में भीड़ लगाकर उनसे “नमस्ते ट्रम्प” करवाया गया । लेकिन जिन राष्ट्रपति ट्रम्प के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अबकी बार ट्रम्प सरकार कहते नजर आये, उन्हीं अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के अमेरिका ने कोरोना वायरस जैसी महामारी के दौरान भारत के साथ धोखा दे दिया।

ट्रम्प की धमकी

ट्रम्प के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गहरी दोस्ती दिखती है लेकिन ट्रम्प उस दोस्ती को समय-समय पर ठेंगा दिखाते रहते हैं । अभी पिछले हफ्ते ही ट्रम्प ने भारत के द्वारा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई अमेरिका को न दिए जाने के सवाल पर नतीजा भुगतने या जवाबी कार्रवाई की धमकी दी थी । हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ गयी है हालाँकि कई देशों के डॉक्टरों का इस दवाई की क्षमता और इसके उपयोग को लेकर भिन्न मत हैं । इस समय पूरे विश्व में कोरोना वायरस (कोविड 19) का कहर जारी है । भारत भी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन की अवधि में है । उसके बावजूद हर रोज कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में इज़ाफा हो रहा है ।

10 लाख पर 110 लोगों के कोरोना परीक्षण

जानकारों के मुताबिक भारत में कोरोना से संक्रमित लोगों की पहचान इसलिए भी नहीं हो पा रही है क्योंकि हमारे देश में बड़े स्तर पर जाँच नहीं हो रही हैं । आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर सिर्फ़ 110 लोगों का कोरोना परीक्षण हो पा रहा है । जिससे एक बात तो साफ़ है कि सरकार के पास लोगों की जाँच के लिए पर्याप्त टेस्टिंग किट्स नहीं है । हम आपको मीडिया विजिल द्वारा पहले की एक रिपोर्ट में ये बता चुके हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अगले छह सप्ताह तक टेस्टिंग करने में कोई समस्या नहीं है लेकिन कितनी टेस्टिंग किट्स की उपलब्धता है ? प्रति सप्ताह या प्रतिदिन कितने लोगों के टेस्ट अगले छह सप्ताह में होंगे ? इसका कोई ठोस उत्तर स्वास्थ्य मंत्रालय के पास नहीं है ।

जांच की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ कई राज्य सरकारों ने चीन की एक कंपनी को रैपिड टेस्टिंग किट्स के आर्डर दिए थे । जिसमें से तमिलनाडु भी एक राज्य है । अब तक इस वायरस से संक्रमित सबसे अधिक लोग महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु में सामने आ रहे हैं । चीन की इस विशेष किट से सिर्फ़ आधे घंटे में कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकता है लेकिन अमरीका की दादागीरी कि वजह से इस किट के आने में देरी होगी । टेस्ट में होने वाली इस देरी का खामियाज़ा भारत को भुगतना पड़ सकता है ।

चेन्नई में कैबिनेट मीटिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए तमिलनाडु के मुख्य सचिव के.षणमुगम ने बताया कि “हमने चीन से क़रीब 4 लाख टेस्टिंग किट्स के आर्डर किये थे लेकिन अभी तक वो हम तक नहीं पहुंची हैं । दरअसल जो किट हम तक आनी चाहिए थीं उन टेस्टिंग किट्स को चीन निर्यातक कंपनी द्वारा अमरीका भेज दिया गया । उन्होंने ये भी बताया कि हमने केंद्र सरकार के कहने के पहले ही इन किट्स का आर्डर दे दिया था । साथ ही  मुख्यमंत्री के साथ अगली बैठक में हमने 50,000 और किट्स के आर्डर दे दिए थे ताकि जाँच में तेज़ी लायी जा सके ।

K. Shanmugam

उन्होंने ये भी बताया कि अभी फ़िर कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने हमसे कहा कि “हमारे पास फ्रंटलाइन वर्कर्स बड़ी संख्या में हैं इसलिए हमें क्वारंटाइन क्षेत्रो की ज्यादा से ज्यादा स्क्रीनिंग की ज़रूरत पड़ेगी तो टेस्टिंग किट्स की मांग ज्यादा होगी इसलिए हमने 2 लाख और किट्स के आर्डर कर दिए थे । अभी तक हमारी तरफ़ से क़रीब 4 लाख किट्स के आर्डर दिए जा चुके हैं । इसी तरह कुछ समय पूर्व जर्मनी, फ्रांस और कनाडा को जिन पीपीई किट्स और मास्क की आपूर्ति होनी थी वो सब अमेरिका पहुँच गयी थीं ।

CPI (M) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ने किया विरोध

अमेरिका की इस दादागीरी के विरोध में CPI (M) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ने ट्वीट करके कहा है कि हम अमेरिका के द्वारा स्वतंत्र देशों के अधिकारों को बलपूर्वक नष्ट करने के तरीकों की हम निंदा करते हैं । अमेरिका द्वारा की जा रही ये हठधर्मिता विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इस वैश्विक महामारी में आपसी सहयोग के विरुद्ध है ।”  साथ ही उन्होंने एक स्टेटमेंट भी ट्वीट किया है ।

प्रधानमंत्री की विदेशनीति का गुणगान करने वाले लोग और हिंदू-मुस्लिम करने वाली अधिकतर टीवी मीडिया में इस खबर को लेकर कोई चैतन्यता नहीं है । न ही कोई प्रधानमंत्री से ये मांग कर रहा है कि अमेरिका को उसकी गलती का एहसास कराना आवश्यक है । समय से भारत पहुँचने वाली 4 लाख टेस्टिंग किट्स जांच में बहुत कारगर साबित होतीं । यहाँ तक कि अमेरिका को उसकी दादागीरी के लिए सरकार की तरफ़ से टोका भी नहीं जा रहा है ? चीन और उसकी कंपनियों का भारत के ऊपर अमरीका को तरजीह देना भी भारत और चीन के संबंधों की कहानी बता देता है । आखिर कब तक हमारे प्रधानमंत्री ट्रम्प से एक तरफ़ा दोस्ती निभाते रहेंगे ?

हो सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प को उनकी इस हरकत के लिए मन से माफ़ न कर पाएं !

 


 

 

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