उत्तर प्रदेश के विज्ञापनी विकास का हाल ये है कि 11 साल से लखनऊ-दिल्ली हाईवे (एनएच-30) पूरा नहीं हो पा रहा है तो बाकी चीजों का हाल आसानी से समझा जा सकता है। इसे खराब प्रबंधन या जनता की दुश्वारियों को नज़रंदाज़ करने के सिवा शायद ही कुछ और कहा जा सके।
निर्माण कार्य के नाम पर सिर्फ समीक्षाएं..
11 साल में कई प्रबंधक आए-गए, पर लखनऊ-दिल्ली हाईवे (एनएच-30) का 157 किमी हिस्सा आज तक पूरा नहीं हो सका। परिवर्तन और विकास का दावा करने वाली भाजपा की योगी सरकार को भी 5 साल होने को हैं। लेकिन एनएच-30 अभी तक अधूरा है। निर्माण कार्य के नाम पर सिर्फ समीक्षाएं हुईं। वही घिसे पिट सरकारी हथकंडेे, सुस्त प्रबंध, व्यवस्था और तारीख पर तारीख मिलीं। मगर आज भी नही बन सका राजमार्ग। लखनऊ-दिल्ली हाईवे (एनएच-30) राजमार्ग पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। जाम ना सुलझने वाली परेशानी है अब इसे राहगीर हकीकत माने या आदत। पर इंतजामियां बिल्कुल निश्चिंत और मौन हैं और आने जाने वाले लोग हलाकान परेशान। सरकार, प्रशासन और कुप्रबंधन के आगे लोग कर भी क्या सकते हैं?
157 किलोमीटर लंबा हिस्सा एक दशक से खराब..
लखनऊ-दिल्ली हाईवे (एनएच-30), लखनऊ को सीतापुर, लखीमपुर खीरी के ग्रामीण क्षेत्र, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद और अमरोहा को दिल्ली से जोड़ने वाली मुख्य सड़क है। सीतापुर और बरेली के बीच 510 किलोमीटर लंबी इस सड़क का 157 किलोमीटर लंबा हिस्सा एक दशक से भी अधिक समय से बहुत खराब स्थिति में है। लेकिन जब अक्टूबर, 2019 में इसके निर्माण के लिए नई निविदाओं को फाइनल किया गया। तब लगा की अब तो काम हो ही जायेगा। निर्माण कार्य सिद्धार्थ कंस्ट्रक्शन और दो अन्य फर्मों के बीच एक संयुक्त उद्यम को दिया गया है। सड़क की कुल लागत 800 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसके अलावा शाहजहांपुर के कटरा रेलवे क्रासिंग पर 50 करोड़ की लागत से फ्लाईओवर बनाने का भी निर्णय लिया गया, क्योंकि इस सड़क पर यह जगह जाम का सबब बन गया है। लेकिन यह निर्णय अभी भी निर्णय ही हैं।
डेडलाइन खत्म अभी भी रोड बनने के आसार नहीं..
कांट्रैक्ट के अनुसार ठेकेदार को 31 मार्च 2021 तक सड़क को फोरलेन बनाना था। लेकिन, कोविड संकट के चलते केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने और 9 महीने का समय दिया। यानी दिसंबर तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पर इस लक्ष्य के पूरे होने के असर दिसंबर के आस पास भी नहीं लग रहे है। एनएचएआई के अधिकारी यह मान रहे हैं कि जिस धीमी गति से काम हो रहा है,उससे मार्च 2022 तक भी काम पूरा होता नहीं नज़र आ रहा है। समय को ऐसे आंक सकते हैं की अभी तक मार्ग पर गड्ढे भरने तक का काम नहीं हो रहा है। इसी तरह कटरा रेलवे क्रॉसिंग पर फ्लाईओवर का काम छह महीने में पूरा किया जाना था, जिसकी डेडलाइन दिसंबर 2020 में खत्म हो गई है। बावजूद इसके काम अभी भी अधूरा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग का अनुरक्षण न होना बड़ी चिंता का विषय..
अमर उजाला के अनुसार, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस मामले पर कहा है कि सीतापुर-बरेली के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग का अनुरक्षण न होना हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय है। यह सड़क एनएचएआई के अधीन है, इसलिए मैंने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से बात की है। उन्होंने निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए हर संभव उपाय करने का भी आश्वासन दिया है। मुझे यकीन है कि आप जल्द ही परिणाम दिखेंगे।
अक्टूबर, 2019 में टेंडर पास हुआ अभी 2 साल होने को है, पर अभी भी परिणाम दिखने का ही सरकार इंतजार कर रही है। 31 मार्च 2021 का वक्त था पर इसे 9 महीना और समय महामारी के कारण दिया गया लेकिन काम कब पूरा होगा यह तो अब सरकार और ठेकेदार के हाथ में ही है।
ठेकेदार काम में तेजी नहीं लाता है तो अन्य विकल्पों पर भी विचार..
अमर उजाला के अनुसार अमित रंजन चित्रांशी, परियोजना निदेशक, एनएचएआई, बरेली ने कह की यह सही है कि हम 31 मार्च की निर्धारित समय सीमा तक निर्माण कार्य पूरा नहीं कर सके। कोविड भी एक कारण था। यह काम हम आइटम रेट पर कर रहे हैं। यदि ठेकेदार काम में तेजी नहीं लाता है तो अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है।