नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने काली नदी को प्रदूषित करने के लिए मुजफ्फरनगर की डीएसएम चीनी मिल (DSM sugar mill) पर मुआवज़ा तय करने के लिए एक समिति बनायी है और और दो महीने में इसकी वसूली करने और रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड {Central Pollution Control Board (CPCB)} और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड {State Pollution Control Board (SPCB} और मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी की संयुक्त समिति बनाई है।
इस समिति में सीपीसीबी में लेवल-ई या उससे ऊपर के वैज्ञानिक, राज्य पीसीबी के मुख्य इंजीनियर या क्षेत्रीय अधिकारी और मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा अगर वह चाहे तो अपने साथ किसी विशेषज्ञ (specialist) या विशेषज्ञ संस्थान को भी जोड़ सकती है। समिति को मिलकर मुआवज़े की राशि 1 महीने में तय करनी है।
क्यों दिया गया मुआवज़ा वसूली का आदेश..
यह मुआवज़ा वसूली का आदेश इस लिए दिया क्योंकि डीएसएम चीनी मिल पर अपने स्थान से निकले प्रदूषित पानी को साफ किए बिना बरसाती नाले और ग्राम सभा के जलाशय में भेजने का आरोप है जिससे काली नदी में प्रदूषण फैला है।
पीठ ने यह भी कहा..
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश में कहा कि मिल ने अपने यहां से निकले प्रदूषित पानी और उपचार (treatment) का रिकॉर्ड तक नहीं रखा। इसलिए वह मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। साथ ही पीठ ने कहा कि पूर्व में टूटे नियमों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। प्रदूषण से होने वाले नुकसान को इसी मुआवज़े के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जा सकता है।
यह जानकारी होनी चाहिए रिपोर्ट में..
पीठ ने कार्रवाई की रिपोर्ट 2 महीने के भीतर एनजीटी को ईमेल करने को कहा है। इस रिपोर्ट में अनुपालन की स्थिति, मिल से निकलने वाले प्रदूषित जल के निस्तारण की व्यवस्था तथा नदी पर पड़ने वाले प्रभाव आदि की जानकारी देनी होगी।