राज्यों को आरक्षण के लिए ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को सोमवार यानी आज केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किया हैं। इसे केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार द्वारा सदन में प्रस्तुत किया गया। जिसके बाद सर्वसम्मति से यह बिल पास हो गया। इसी बीच जाति जनगणना का मुद्दा भी गरमाता जा रहा है। 2019 चुनाव के पहले बीजेपी ने इसका समर्थन किया था, लेकिन अब वह इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठी है।
इस बिल का समर्थन विपक्षी पार्टियों की ओर से भी किया गया है। यह विधेयक भारत के सभी राज्यों में राज्य सरकारों को ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में इसे मंजूरी दी थी। संविधान में इस संशोधन की मांग कई नेताओं और क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ सत्ताधारी दल के ओबीसी नेताओं ने भी की है। अब इस बिल को सदन में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है।
दरअसल, 5 मई को मराठा आरक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ओबीसी समुदाय से संबंधित सूची तैयार करने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है। जाति आरक्षण का मामला काफी संवेदनशील है इस पर केंद्र सरकार किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। क्योंकि इसका असर केंद्र सरकार को चुनाव में देखने को मिल सकता है। इसलिए उसी वक्त केंद्र सरकार ने कोर्ट में इस पर आपत्ति जताई थी। अब केंद्र सरकार संविधान संशोधन लाकर राज्य सरकारों को भी ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार देकर इसे वैध बनाना चाहती है।
OBC आरक्षण बिल क्या है इससे किसको फायदा होगा?
ये 127वां संविधान संशोधन बिल है, जिसे अनुच्छेद 342A(3) के तहत लागू किया जाएगा। इससे राज्य अपने अनुसार,ओबीसी समुदाय की जातियों को अधिसूचित कर सकता है। इस संशोधित बिल के कानून बनते ही आरक्षण के लिए राज्यों की केंद्र पर निर्भरता समाप्त हो जायेगी।
इस बिल के कानून बनने का फायदा उन तमाम जातियों को होगा जो ओबीसी आरक्षण में शामिल होने की लंबे समय से मांग कर रही हैं। इस अधिकार के उपयोग से महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, कर्नाटक में लिंगायत समुदाय हरियाणा में जाट समुदाय और गुजरात में पटेल समुदाय को ओबीसी में शामिल होने का मौका मिल सकेगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इनकी मांगों पर रोक लगाता रहा है। इस बिल के पास होने के बाद अब इन जातियों की मांगे पूरी हो सकती हैं।
OBC आरक्षण पर फैसले का असर..
जातीय जनगणना का मुद्दा लंबे समय से मंडल की राजनीति करने वालों के लिए संवेदनशील मुद्दा रहा है। लेकिन सरकारें इसपर हाथ रखने से बांच रही थी। क्योंकि इसका अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास ही था जिसका फायदा या नुकसान चुनावी नतीजे के तौर पर सामने आता। लेकिन अब राज्य सरकारों को अधिकार दिलाने वाले बिल से उन सभी लोगों को राहत मिली होगी जो इसकी मांग लंबे समय से कर रहे थे। अब इसका ज़िम्मा राज्य सरकारों पर है तो यूपी विधानसभा चुनाव में इस फैसले को ओबीसी समुदाय के लोगों को लुभाने के तौर पर भी देखा जा सकता है पर जिस तरह से आरक्षित पदों पर भर्ती में नानुकुर किया जाता है और जाति जनगणना का वादा बीजेपी भुला बैठी है, उससे इसका फ़ायदा उसे ही मिलेगा, कहना मुश्किल है।