राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए जाने के मामले में वकील मोहनलाल शर्मा ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर अवमानना मुकदमा दर्ज करने की माँग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने से ‘जानबूझकर इनकार करने’ का आरोप लगाया है।
मोहनलाल शर्मा का आरोप है कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि सभी रिक्तियों के बारे में पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को सूचित किया जाना चाहिए और छह महीने से कम नौकरी के दिन बचे होने की स्थिति में किसी भी अधिकारी को डीजीपी नहीं बनाया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता वकील ने अपील की है कि इसकी जांच कम से कम पाँच जजों वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच को करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है और लोगों का देश में भरोसा ख़त्म हो सकता है।
क्या है मामला
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी किया था। जोकि उनकी पांचवीं नियुक्ति थी। वो भी सेवानिवृत होने से सिर्फ़ चार दिन पहले। राकेश अस्थाना को सिर्फ़ तीन सालों के अंतराल में ही पांच अलग-अलग पदों पर नियुक्ति दी गई है। प्रशासनिक सेवा के हलकों में इसे अप्रत्याशित ही माना जा रहा है।
इस याचिका के अलावा इससे पहले दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार भी अस्थाना की नियुक्ति का विरोध कर रही है। आप का भी कहना है कि ये गैरसंवैधानिक है।
जेएनयू से पढ़ाई करने वाले राकेश अस्थाना पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के क़रीबी अधिकारियों में से एक हैं। जब केंद्र में मोदी सरकार बनी थी तो गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना को 20 अन्य आला अफ़सरों के साथ गुजरात से दिल्ली बुलाया गया था।
इतना ही नहीं राकेश अस्थाना गोधरा कांड की जांच, चारा घोटाला, अहमदाबाद बम धमाका और आसाराम बापू जैसे महत्वपूर्ण राजनीतिक मामलों की जांच कर चुके हैं।
वैसे, मोहनलाल शर्मा के बारे में यह भी कहा जाता है कि वे हर गंभीर मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट में एक कमज़ोर याचिका डालते हैं। इससे आरोपियों को लाभ ही होता है।