#महंगाई की यार मोदी सरकार! जनता पस्त, सरकार मस्त !

मोदी सरकार के कार्यकाल को 7 साल से ज्यादा का समय हो रहा और इन सालों में मंगाई आसमान छूती नज़र आई। विपक्ष लगातार महंगाई को मुद्दा बनाने की कोशिश में रहता है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर बात करने में दिलचस्पी नही लेती है।

‘महंगाई_की_यार_मोदी_सरकार’…. कुछ समय के लिए 28 अगस्त को नंबर वन ट्रेंड होता नज़र आया। यह कोई पहली बार नहीं है, जब मोदी सरकार में लोग महंगाई या बेरोज़गारी को ट्विटर पर ट्रेंड करते दिखे। पहले भी #मोदी_रोज़गार_दो जैसे ट्रेंड ने हलचल मचाई थी, लेकिन सरकार को इससे कोई खास फर्क नही पड़ता। मुद्दा है मंगाई, मोदी सरकार के कार्यकाल को 7 साल से ज्यादा का समय हो रहा और इन सालों में मंगाई आसमान छूती नज़र आई। विपक्ष लगातार महंगाई को मुद्दा बनाने की कोशिश में रहता है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर बात करने में दिलचस्पी नही लेती है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल में यह बात कही थी की उन्हे भाजपा संसद में बोलने नहीं देती हैं, उन्हे दबा देते हैं। वो संसद में पेगासस, राफेल, जम्मू-कश्मीर, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के बारे में नहीं बोल सकता। राहुल की इस बात से स्पष्ट है कि जो देश के असल मुद्दे हैं उसके लिए आवाज़ नहीं उठा सकते सवाल नहीं कर सकते! वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा भी बराबर मोदी सरकार को महंगाई को लेकर घेरती है। हाल ही में उन्होंने रसोई गैस के दामों को लेकर एक ट्वीट किया जिसमे उन्होंने अब तक दामों की बढ़ौतरी से हुई महंगाई को कम करने की बात कही।

“महंगाई बढ़ती जा रही है। सिलेंडर भराने के पैसे नहीं हैं। काम-धंधे बंद हैं। ये आम महिलाओं की पीड़ा है। इनकी पीड़ा पर कब बात होगी? महंगाई कम करो।” प्रियंका के इस ट्वीट के साथ कुछ आंकड़े भी बताए गए, जिनके अनुसार इसी साल सिलेंडर के दामों में 165 रूपये की बढ़ौतरी हुई है…

 

बीजेपी सरकार लाख दावे करे की उसने अपने सभी वादों को पूरा किया है। यह बात भी नकारी नही जा सकती की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने से पहले चुनावी रैलियों में जिन बड़े वायदों को पूरा करने का दावा किया था, उनमें कई वायदों को पूरा करने में सरकार असफल रही है। महंगाई को कम करने का मुद्दा इन्हीं सबसे प्रमुख मुद्दों में से एक है। बात करे पेट्रोल-डीजल की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कोई अंकुश नहीं लगा सके हैं बल्कि कीमतें लगातार बढ़ती ही जा रहीं हैं। उनके पीएम बनने के पूर्व दिल्ली में पेट्रोल की कीमत (अप्रैल 2014 में) 72.26 रुपये प्रति लीटर थी।

पेट्रोल

डीज़ल

पेट्रोल-डीजल की यह कीमतें तब आसमान छू रही हैं, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में 2014 की तुलना में भारी गिरावट आई है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर दूसरी चीजों पर भी नज़र आ रहा है।  डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण मालभाड़े में बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण आवश्यक चीजों के दाम तेज़ी से बढ़े हैं। दाल, सब्जी, अनाज, रेडीमेड खाद्य पदार्थों की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। जाहिर है जब पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते रहेंगे तो उसके उपयोग से चलने वाली चीजों के भाड़े भी बढ़ेंगे।

फरवरी 2012 को क्रूड ऑयल का दाम 107.83 डॉलर प्रति बैरल था। मई 2019 को क्रूड ऑयल 56.59 डॉलर प्रति बैरल पर बिक रहा था। मई 2021 में क्रूड ऑयल का दाम  66 डॉलर प्रति बरेल से कुछ अधिक पर चल रहा था अभी भी आस पास ही है। इसका सीधा मतलब है की बाकी पैसे सरकार के वैट और टैक्स के है। मनमोहन सिंह सरकार 100 डॉलर प्रति बैरल से भी अधिक की खरीद कर पेट्रोल 70-72 रुपये प्रति लीटर के आसपास की कीमत में उपलब्ध करा रही थी। जबकि अब 66 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कीमत के बाद भी है, मोदी सरकार में पेट्रोल की कीमत 93-94 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है। कई शहरों में पेट्रोल की कीमत सौ रुपये प्रति लीटर के मनोवैज्ञानिक स्तर को भी पार कर गई है।

वहीं सरसों तेल और चावल की कीमतों में भी लगातार बढ़ौतरी है। बेतहाशा वृद्धि ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ गया है। खाने में उपयोग होने वाले सभी खाद्य तेलों- मूंगफली, सरसों का तेल, वनस्पती, सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम ऑयल की कीमतें बाढ़ गई है। 2020 की ही बात करे तो सरसो तेल के दाम ने एक से डेढ़ महीने में ही उछाल मार दी थी।

•नवंबर महीने में अधिकतम 175 रुपये प्रति लीटर तक थी जो दिसंबर को बढ़कर 208 रुपये पहुंच गई थी।

•जुलाई में न्यूनतम कीमत 90 रुपये था वह नवंबर में बढ़कर 102 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई थी।

(1 अक्टूबर 2020)

( 1 जनवरी, 2021)

{बताई गई कीमतों में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है}

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