केरल हाईकोर्ट ने अंग-प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति के एक फैसले को खारिज कर दिया। जिसमे उन्होंने अंग दाता को आपराधिक पृष्ठभूमि का बताया था। हाईकोर्ट ने इस मामले को धर्मनिरपेक्षता के विचार से जोड़ते हुए कहा किसी का लीवर, किडनी या दिल आपराधिक नहीं होता है। अपराधी और गैर-आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति के अंगों में कोई भी अंतर नहीं होता है। केरल उच्च न्यायालय ने एर्नाकुलम में अंगदान मामलों के लिए बनी जिला प्राधिकार समिति द्वारा एक व्यक्ति के अपराधी होने के चलते किडनी दान करने से रोकने के फैसले को रद्द करते हुए यह बात कही।
अंगदान के लिए HC में दायर की गई याचिका..
दरअसल, हाईकोर्ट में केरल के एक व्यक्ति ने अंगदान को लेकर याचिका दायर की थी। व्यक्ति की दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। उसका पुराना ड्राइवर किडनी देने को तैयार है, लेकिन अंग-प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति ने उसकी अर्ज़ी चार महीने तक लंबित रखने के बाद ड्राइवर को आपराधिक पृष्ठभूमि का बताकर अर्ज़ी खारिज कर दिया।
न्यामूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने कहा अगर किसी व्यक्ति के शव को दफना दिया जाए, तो उसका नाश हो जाएगा। अगर उसका दाह संस्कार किया जाए, तो वह राख बन जाएगा। हालांकि अगर उनके अंग दान कर दिए जाएं तो इससे कई लोगों को जीवनदान और खुशियां मिलेंगी।
शरीर में अपराधी गुर्दा, अपराधी यकृत या अपराधी हृदय नहीं: HC
कोर्ट ने कहा, हम सभी में मानव रक्त ही बहता है। किसी भी शरीर में अपराधी गुर्दा, अपराधी यकृत या अपराधी हृदय जैसे कोई अंग नहीं होते हैं। इसे के साथ समिति के फैसले को खारिज करते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा कि 1994 के अधिनियम या उसके तहत बनाए गए मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण नियम, 2014 के प्रावधानों के अनुसार, एक दाता की पूर्व आपराधिक पृष्ठभूमि, समिति द्वारा विचार के लिए कोई मानदंड नहीं है। कोर्ट ने कहा, 1994 के अधिनियम को सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता के लिए एक मार्गदर्शक बनने दे, ताकि विभिन्न धर्मों और आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग, जाति, धर्म या पूर्व में अपराधी होने के बावजूद जरूरतमंद लोगों को अंगदान कर सकें।
आशा है धर्म के आधार पर आवेदन अस्वीकार नहीं होंगे:HC
कोर्ट ने कहा कि यदि समिति के इस रुख को अनुमति दी जाती है तो मुझे आशंका है कि भविष्य में प्रतिवादी अंगदान की अनुमति के लिए ऐसे आवेदनों को इस आधार पर खारिज कर देगी कि दाता एक हत्यारा, चोर, बलात्कारी, या छोटे आपराधिक अपराधों में शामिल हैं। मुझे आशा है कि वे इस आधार पर आवेदनों को अस्वीकार नहीं करेंगे कि दाता हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, सिख या निचली जाति का व्यक्ति है।