मणिपुर में त्रासदी, मुंबई में मज़ाक़: अख़बारों में मज़ाक़ को ही प्राथमिकता मिली!

 

छापने की हिम्मत सिर्फ टेलीग्राफ ने दिखाई है

 

वैसे तो आज मेरे सभी अखबारों में मुंबई की खबर लीड है पर द टेलीग्राफ ने मुंबई के साथ मणिपुर को भी याद किया है। छह कॉलम में दो हिस्सों में छपी लीड का पहला हिस्सा मणिपुर त्रासदी शीर्षक से है जबकि दूसरे हिस्से का शीर्षक मुंबई मजाक है। इस खबर का शीर्षक है, मोदी के उल्टा-पुल्टा में अजीत (पवार) उपमुख्यमंत्री। अखबार ने इसके साथ एक बॉक्स में नरेन्द्र मोदी की फोटो के साथ बताया है कि मोदी ने 27 जून को भोपाल में एनसीपी का उल्लेख किया था और मोदी गारंटी की बात की थी। तब उन्होंने कहा था कि विपक्ष के सभी भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके साथ एक बॉक्स में अजीत पवार की तस्वीर है और उसके साथ 3 जून की तारीख के नीचे बताया गया है कि इस दिन अजीत पवार ने राज भवन में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद दस्तावेजों पर दस्तखत किये। 

मणिपुर की खबर का शीर्षक है, तीन की हत्या बदले के हमले में सिर काट डाला गया। कोलकाता डेटलाइन से एक दूसरी खबर का शीर्षक है, शहर के चर्च में दर्द गूंजा। इसके साथ गुवाहाटी डेटलाइन की खबर का शीर्षक है, राहत शिविरों ने अपनी जरूरत की सूची दी। विज्ञापन के साथ आज टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर यही खबरें हैं जिनसे मणिपुर की त्रासदी और मुंबई के मजाक का चित्रण करने की कोशिश की गई है और इसमें मध्य प्रदेश के चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री के दावे और यथार्थ को भी याद दिलाया गया है। टेलीग्राफ ने सिंगल कॉलम में संक्षेप में कुछ और खबरें छापी हैं। 

इसके मुकाबले इंडियन एक्सप्रेस ने महाराष्ट्र की खबर को लीड बनाया है, मणिपुर पहले पन्ने पर नहीं है लेकिन शरद पवार का बयान है कि प्रधानमंत्री ने पहले भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था पर (भ्रष्टाचारियों का) स्वागत कर रहे हैं। आज की खबरों में प्रधानमंत्री के कहे को याद दिलाना सबसे महत्वपूर्ण है और द टेलीग्राफ के साथ इंडियन एक्सप्रेस ने यह काम बखूबी किया है। इंडियन एक्सप्रेस में आठ कॉलम की लीड फोटो के साथ है। दोनों तरफ तीन कॉलम की खबरें हैं। एक तो मुख्य खबर है, अजीत पवार उप मुख्यमंत्री बने, एनसीपी के आठ विधायक भाजपा सेना सरकार में शामिल हुए। दूसरी खबर का शीर्षक है, 9 विधायकों में 4 के करीबी आरोपों के घेरे में हैं : अब ईडी, एजेंसियां क्या करेंगी? 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने मुंबई की खबर को छह कॉलम में लीड बनाया है। इसके साथ बाकी के दो कॉलम में मणिपुर की खबर लीड है और शीर्षक लगभग वही है जो द टेलीग्राफ में है। आज अखबारों के पहले पन्ने की बाकी खबरों की चर्चा नहीं कर रहा हूं क्योंकि सभी अखबारों में ये खबरें अलग हैं और समान महत्व की नहीं हैं। द हिन्दू का शीर्षक, रूटीन शीर्षक से अलग है और हिन्दी में कुछ इस तरह होता, अजीत पवार ने एनसीपी को तोड़ा, उप मुख्यमंत्री बने; आठ अन्य दलबदलू मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। उपशीर्षक लिख दूं तो बाकी अखबारों की आज की पहले पन्ने की खबरें हो जाएंगी। हिन्दुस्तान टाइम्स ने पांच कॉलम में मुंबई या महाराष्ट्र की खबर को लीड बनाया है। इसके साथ भाजपा नेता देवेन्द्र फडणविस की तस्वीर है। 

हिन्दी अखबारों में महाराष्ट्र की खबर नवोदय टाइम्स में आठ कॉलम में बैनर शीर्षक के साथ है जबकि मणिपुर की खबर सिंगल कॉलम में। प्रधानमंत्री ने भ्रष्ट नेताओं के बारे में जो कहा था उसका उल्लेख नहीं है और शरद पवार ने जो कहा तथा इंडियन एक्सप्रेस में छपा वह भी नहीं है। अमर उजाला में मुंबई की खबर छह कॉलम में है। साथ के दो कॉलम में टॉप पर भी सरकारी प्रचार ही है।  मणिपुर की खबर नहीं है और सरकारी प्रचार वाली अमित शाह की टॉप पर छपी खबर के हाइलाइट अंश हैं, मोदी जी ने जो कहा वह कर दिखाया। अमर उजाला ने कल जीएसटी वसूली में वृद्धि को खूब  प्रमुखता से छापा था आज पहले पन्ने पर छोटी सी खबर के अनुसार 12 हजार से ज्यादा फर्जी कंपनियां हैं। यहां दिलचस्प यह है कि जीएसटी की बाध्यता ऐसी कर दी गई है कि जिन्हें जरूरत नहीं है और जिनका कारोबार बहुत कम भी है उन्हें जीएसटी पंजीकरण कराना जरूरी कर दिया गया है और अब जिन्होंने पंजीकरण करा लिया वो फर्जी हैं। जाहिर है या तो नियम गड़बड़ हैं या पंजीकरण की प्रक्रिया। पर कोई सुनवाई नहीं होने वाली है। हालांकि वह अलग मुद्दा है।  

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

 

 

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