नमक रोटी कांड: PCI ने सुनवाई में यूपी पुलिस को “गुंडों का संगठित गिरोह” वाला फैसला याद दिलाया

पवन जायसवाल

उत्तर प्रदेश के कुख्यात नमक रोटी कांड में बुधवार को भारतीय प्रेस परिषद की प्रयागराज में सुनवाई हुई जिसमें परिषद के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश चंद्रमौली प्रसाद ने पुलिस अधिकारियों को बुरी तरह लताड़ते हुए पूछा कि अगर वे ऐसे ही संविधान का उल्लघंन करते थे तो पत्रकार पत्रकारिता कैसे करेगा।

जनसंदेश टाइम्स के पत्रकार पवन जायसवाल ने मिड डे मील में बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने की खबर दिखाई थी जिस पर उनके खिलाफ षड्यंत्र का मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। इस मामले की सुनवाई प्रेस काउंसिल में बुधवार को लगी थी।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद काउंसिल के अध्यक्ष ने टिप्पणी की कि उन्हें इस मामले को देखते हुए 1939 में एक जज द्वारा की गई टिप्पणी याद आ गई जिसमें उन्होंने कहा था कि पुलिस गुंडों का एक संगठित गिरोह है।

उन्होंने पुलिस अधिकारी से पूछा कि जब वे अस्पताल जाते हैं और डॉक्टर उनके साथ खराब व्यवहार करता है तो उन्हें कैसा लगता है। ऐसा कहते हुए उन्होंने पत्रकार की मनोदशा की बात की कि उसके ऊपर क्या गुजर रही होगी जिसे झूठे मामले में फंसा दिया गया।

चंद्रमौली प्रसाद ने कहा कि दुनिया भर से उनके पास चिट्ठियां आ रही हैं नमक रोटी कांड के सिलसिले में, ऐसे लोगों से भी जिन्हें वे नहीं जानते। उन्होंने कहा कि पवन जायसवाल ने नमक रोटी की खबर दिखाकर जिलाधिकारी को और समाज को आगाह किया है कि देखिए, इतनी कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद बच्चों को नमक रोटी खाना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि डीएम को इस खबर की तारीफ करनी चाहिए थी, उल्टे आप लोगों ने पत्रकार को झूठे साजिश के केस में फंसा दिया। इस तरह तो कोई भी पत्रकार पत्रकारिता नहीं कर पाएगा।

उन्होंने इस बात पर भी क्षोभ व्यक्ति किया कि जिस व्यक्ति ने पत्रकार को सूचना देकर खबर के लिए बुलाया, उसको भी षड्यंत्र में फंसा दिया गया।

इस मामले को उन्होंने क्रूर करार दिया और पुलिस अधिकारी को बुरी तरह डांटते हुए कहा – हंसिए मत, ये आपकी डिपार्टमेंटल इंक्वायरी नहीं है!

उन्होंने अपने वक्तव्य के अंत में कहा कि मामले की हम सभी कमेटी मेंबर बैठ कर के पूरी रिपोर्ट तैयार करेंगे। जायसवाल को किसने और किस तरीके से परेशान किया उसकी क्षतिपूर्ति करने का भी उन्होने आश्वासन दिया।

नमक रोटी कांड के नाम से चर्चित इस घटना के बाद रिपोर्टर पवन जायसवाल के खिलाफ पुलिस ने केस दायर किया था जिसके बाद यह मामला सुर्ख़ियों में आ गया और जनसन्देश टाइम्स के संपादक ने अपने रिपोर्टर का साथ दिया और उन पर दायर मामलों को गलत साबित किया।

अब पुलिस ने खुद ही पवन जायसवाल को निर्दोष साबित किया है। इसके बाद कलेक्टर अनुराग पटेल भी झूठे साबित हो गये हैं।

इससे पहले 17 दिसंबर को प्रेस काउंसिल ने कुल 22 प्रकरणों पर सुनवाई की जिसमें से 19 प्रकरणों को निस्तारित करते हुए 3 प्रकरणों को स्थगित किया गया। परिषद की जांच समिति की बैठक में जनपद कानपुर, बस्ती, लखनऊ सहित अन्य जिलों से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की गयी। शेष मामलों की सुनवाई कल दिनांक 18 दिसम्बर, 2019 को की गई जिसमें मिर्ज़ापुर का नमक रोटी कांड भी शामिल रहा।

सुनवाई के दौरान अनुपमा भटनागर, सचिव भारतीय प्रेस परिषद तथा सदस्य डाॅ. बलेदव राज गुप्ता, एमए माजिद, कमल जैन नारंग, श्याम सिंह पंवर, अशोक उपाध्याय, सैय्यद रजा हुसैन रिजवी उपस्थित रहे।

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