फ़र्ज़ीवाड़ा: गलवान में मरे चीनी सैनिको के ‘सबूत’ में चैनलों पर 1962 की क़ब्रें !

दुनिया भर का मीडिया यह बात मान रहा है कि चीनी सैनिक बीसियों किलोमीटर भारतीय क्षेत्र में घुस आये हैं। शुरुआती चुप्पी के बाद रक्षा मंत्रालय ने भी यह मान लिया है, हालाँकि बाद में अपनी वेबसाइट से इसे हटा दिया। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अपने क्षेत्र में किसी के न घुसने के बयान से एक इंच पीछे नहीं हटे। हालाँकि अब द हिंदू की ताज़ा रिपोर्ट बता रही है कि लद्दाख में भारतीय सीमा पर एक हज़ार किलोमीटर इलाके में चीन ने कब्ज़ा जमा लिया है। यह रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गयी है।

कौन भारतीय नहीं चाहेगा कि चीन को करारा जवाब दिया जाये। भारतीय सीमा से उसके सैनिकों को बाहर किया जाये। सरकार सख़्त से सख़्त क़दम उठाये। पर सरकार ने पूरे मामले में चुप्पी साध ली और चीन को औक़ात में रखने की ज़िम्मेदारी टीवी चैनलों को सौंंप दी गयी है। जाहिर है,  टीवी चैनलों पर चीन को पीटने का कार्यक्रम तेज हो गया है। टीआरपी चार्ट का शिखर छूने के लिए चीन को पिद्दी बताते हुए रोज़ाना उसे ज़मीन सुंघाया जाता है। जीडीपी के -23 फ़ीसदी गिर जाने की ख़बर आने के साथ यह सिलसिला और तेज़ हो गया है। महामबली मोदी की छवि दरकने के डर से एक से बढ़कर एक झूठ बोले जा रहे हैं। हद तो ये है कि सैकड़ों चीनी सैनिकों को मार देने के प्रमाण बतौर 1962 की क़ब्रों की तस्वीर दिखायी जा रही हैं। इस काम में नंबर एक आज तक से लेकर सबसे बड़े मीडिया हाउस का चैनल टाइम्स नाऊ तक शामिल है। तमाम आगउगालू ऐंकर इस बाबत ट्वीट करके अंट-शंट लिख रहे हैं। इस मामले में आल्ट न्यूज़ ने एक विस्तृत पड़ताल करके एक रिपोर्ट जारी की है जिससे पता चलता है कि भारत का ध्येय वाक्य चाहे ‘सत्यमेव जयते‘ हो, चैनलों के लिए ‘झूठमेव जयते‘ ही सब कुछ है। जबकि ज़रूरत ये है कि मीडिया सरकार पर चीन हरक़त का मुंहतोड़ जवाब देने का दबाव बनाये।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 15 जून को गलवान घाटी में हुए घातक फे़स-ऑफ में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. दूसरी ओर चीन सरकार की ओर से मृतकों की संख्या पर कोई साफ़ आंकड़ा नहीं आया है जिसके कारण लगातार ग़लत जानकारियां फैलाई जा रही हैं. अफ़वाहों के मुताबिक़ पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 5 से 100 के बीच जवान मारे गए, लेकिन औपचारिक आंकड़े अभी भी पहेली हैं.

आज तक ने 31 अगस्त को दावा किया कि उनके पास एक्सक्लूज़िव तस्वीरें हैं जो ये साबित करती हैं कि दोनों देशों के बीच सीमा पर हुई झड़प में 40 PLA जवान मारे गए. ऐंकर रोहित सरदाना ने ये दावा करते हुए कहा, “आज तक एक्सक्लूसिव तस्वीरें. ये आपको दिखा रहा है चीनी सैनिकों की कब्र की तस्वीरें हैं. गलवान में जो झड़प हुई थी उसमें जो चीनी सैनिक मारे गए थे, जिसके लिए देश में भी बहुत सारे लोग खड़े हो गए थे कि सबूत कहां है उसका? उसका सबूत ये सामने टेलीविज़न स्क्रीन पर है…भारत से झड़प में चीन के 40 से ज़्यादा जवान मारे गए थे और उनकी कब्रों पर आप देख सकते है उनको श्रद्धांजलि दी जा रही है.”

आज तक के इंग्लिश काउंटरपार्ट इंडिया टुडे ने भी यही विज़ुअल दिखाया. चैनल ने कब्रों का सैटलाइट इमेजरी दिखाया और तीर के दो निशानों से एक एरिया को दिखाया जिसे उन्होंने नयी कब्रें बताया. ऐंकर नबीला जमाल ने दावा किया, “गालवान झड़प में मारे गए चीनी  सैनिकों को कांगक्सिवा वॉर मेमोरियल में दफ़नाया गया. इन तस्वीरों में दिख रहा है कि पीएलए सैनिक कब्रिस्तान का दौरा कर रहे हैं…और ये चीन के हताहतसैनिकों की भारी संख्या का सबूत है.”

दूसरी ओर टाइम्स नाउ ने दावा किया, “पीएलए की 106 कब्रें ये बताती हैं कि इन्हें 15 जून को हुई झड़प में कितना बड़ा नुकसान हुआ था.” चैनल ने एक ट्वीट में लिखा, ”पीएम मोदी गलवान के बारे में सही थे. प्रो-चाइना लॉबी को भारत पर शक था.”

 

 

स्वराज्य ने टाइम्स नाउ की रिपोर्ट पर एक आर्टिकल लिखा.

NewsX और ABP News ने भी गलवान झड़प में मारे गए सैनिकों की 30 से ज्यादा क़ब्र की तस्वीरों का दावा किया.

फै़क्ट चेक

यह तस्वीरें कांगक्सिवा में चीनी सैन्य कब्रिस्तान की हैं जिसमें 1962 के भारत चीन युद्ध में शहीद हुए पीएलए सैनिकों की कब्र मौजूद हैं.

जहां आज तक ने गलवान झड़प में हताहत पीएलए सैनिकों की संख्या 40 बताई वहीं इंडिया टुडे ने कोई ठोस संख्या न बताते हुए कब्रों की तस्वीरें भारी संख्या में हुई मौत के सबूत के तौर पर दिखायीं. शो के दौरान एक इंफ़ोग्राफ़िक दिखाया गया जिसके अनुसार क़ब्रिस्तान में 105 कब्रें हैं. शो में एक रक्षा विशेषज्ञ को आमंत्रित किया गया था जिन्होंने कहा कि यह कब्रें कम से कम दिसंबर 2019 से वहां मौजूद थीं और हाल ही में कुछ नई कब्रें और बनी हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने इंडिया टुडे का दिखाया गया गूगल अर्थ फोटो जब सर्च किया तो पता चला कि यह 2011 की तस्वीर है. अगर गौर से देखा जाए तो इस इमेज में कुल 105 कब्रें दिखती हैं – बायीं तरफ़ 43 और दायीं तरफ़ 62.

और सबसे अजीब बात ये है कि इंडिया टुडे ने यही नक्शा 29 अगस्त को पब्लिश अपनी रिपोर्ट में दिखाया था. इस रिपोर्ट में इन्होंने ये भी बताया था कि ये तस्वीर 2011 की है.

हम आगे के फै़क्ट चेक को दो भागों में बांट कर बताएंगे ताकि बायीं और दायीं तरफ़ बनी कब्रों की संख्या साफ़ हो सके.

बायीं तरफ कब्रों की संख्या

इस क़ब्रिस्तान की एक तस्वीर जो सोशल मीडिया पर वायरल है, उसे चीन के सर्च इंजन Baidu पर ढूंढा गया. यह तस्वीर 2011 की है और बायीं तरफ़ साफ़ तौर पर 43 कब्रें नज़र आती हैं. आखरी लाइन में केवल एक ही क़ब्र है (मार्क किया गया).

चीनी सेना ने 24 अगस्त को माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट Weibo पर वॉर मेमोरियल के दौरे का एक वीडियो शेयर किया था. यही वीडियो चीन के वीडियो शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म Bilibili पर भी मिलता है. इसमें दाईं तरफ़ की आख़िरी लाइन में दो कब्रें हैं (लाल निशान से मार्क). इसकी जानकारी नहीं है कि नया कब्र कब बना, हालांकी यह साफ़ है कि इसे 2011 के बाद ही खोदा गया था. यानी कि यहां क़ब्रों की कुल संख्या 44 होती है.

दायीं तरफ कब्रों की संख्या

क़ब्रिस्तान की एक अन्य तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें दाएं तरफ़ 63 कब्रें हैं. ये इमेज भी हाल की है क्यूंकि लेफ़्ट साइड में आखिरी कतार में 2 कब्रें हैं (लाल गोले में दिखाई गयी).

अगर ऊपर दी गयी तस्वीर ध्यान से देखें तो दाईं तरफ़ आख़िरी कतार में 5 कब्रें दिखेंगी (लाल लाइन से दिखाई गयी). लेकिन चीनी सेना ने जो हाल ही में वीडियो अपलोड किया था, उसमें इस लाइन में एक नयी क़ब्र नज़र आती है (जिसे नीचे हरे रंग से दिखाया गया है) और जिसके बाद आखिरी कतार में क़ब्रों की कुल संख्या 6 है. और दायीं तरफ कब्रों की कुल संख्या 64 होती है.

इसका मतलब यह है कि इस क़ब्रिस्तान में कुल 108 कब्रें हैं. चीनी सेना के 24 अगस्त को अपलोड किए गए वीडियो के मुताबिक भी वॉर मेमोरियल में कुल 108 कब्रें हैं.

चाइनीज डिफ़ेंस मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर अप्रैल 2020 में अपलोड किए गए एक दस्तावेज के मुताबिक़ कांगक्सिवा वॉर मेमोरियल में कुल 108 क़ब्रें हैं. रिपोर्ट के अनुसार गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच मई-जून में झड़प हुई थी. यानी कि आजतक और इंडिया टुडे ने कब्र की जो तस्वीरें दिखाई है वे इस झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों की नहीं हो सकती.

इसके अलावा हमें इंडिया टुडे द्वारा शेयर की गयी एक तस्वीर और मिली जो कि दिसंबर 2019 में भी शेयर की हुई दिखती है. यानी ये तस्वीर भी गलवान वैली में जून में हुई झड़प के पहले की है. यह तस्वीर चीन के प्रश्न और उत्तर देने वाली वेबसाइट zhihu.com (Quora की तर्ज़ पर बनी वेबसाइट) पर मिली. इसकी तारीख आर्टिकल के नीचे देखी जा सकती है.

गौर करने वाली बात है कि बड़े स्तर पर शेयर हुई इन तस्वीरों में से एक हाल की तो हो सकती है लेकिन हम इस कब्र के बारे में जानकारी जुटाने में असमर्थ थे.

इस फै़क्ट चेक में कुल मिलाकर यह बात सामने आती है कि इंडिया टुडे ने गलवान घाटी झड़प में हताहत चीनी सैनिकों की संख्या बताने के लिए 2011 की सैटेलाइट इमेज इस्तेमाल की. ये तस्वीर इंडिया टुडे, आज तक और टाइम्स नाउ ने कांगक्सिवा मेमोरियल की बताकर दिखायी जो असल में 1962 में भारत के साथ हुए युद्ध में मारे गए चीनी सैनिकों की कब्रें हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि 2011 के बाद इस जगह पर कम से कम तीन नयी कब्रें बनी हैं. एक अन्य तस्वीर, जिसे देखकर मालूम होता है कि ये हाल ही की बनी कब्र है, सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है. हालांकि इसकी जानकारी जुटाने में हम असमर्थ थे.

सोशल मीडिया पर गलत जानकारी वायरल

पत्रकार सुशांत बी सिन्हा ने कांगक्सिवा वॉर मेमोरियल की तस्वीरें गलवान झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों के कब्र बताकर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ”वैसे यह उम्मीद मत कीजिएगा की इससे सबूत मांगो ब्रिगेड को कोई शर्म महसूस होगी.”

हाल ही में बनाई गई वेबसाइट क्रिएटली (Kreately) ने अपनी रिपोर्ट में 100 से अधिक चीनी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया था. इस रिपोर्ट को भाजपा नेता कपिल मिश्रा और पार्टी समर्थक संजय दीक्षित ने शेयर किया. Kreately ने इससे पहले भी एक ग़लत दावा शेयर किया था कि चीनी विरोधी यांग जियानली ने बताया कि गलवान झड़प में 100 से अधिक चीनी सैनिकों की मौत हुई थी.

ऋषि बागरी ने इन्हीं तस्वीरों का सहारा लेकर 35-106 चीनी सैनिकों के मारे जाने का दावा करते हुए ट्वीट किया कि ये चीन और कांग्रेस के लिए ये बड़ा झटका होगा.

 

(पढ़ें: ऋषि बागरी: लगातार गलत सूचनाएं फैलाने वाले)

@IndoPac_Info और @BefittingFacts के ट्वीट्स को भी सैकड़ों बार रीट्वीट किया गया.

 

 



 

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