यशवंत का धमाका :मोदीराज में इकोनॉमी बर्बाद, 3.7 % है असल में जीडीपी !

देश की अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है, लेकिन मीडिया कुछ अपवादों को छोड़कर हिंदू-मुसलमान या युद्धोन्माद में फँसा हुआ है। या कहिए कि देश को ग़ैरज़रूरी मुद्दों में फँसाए हुए है। अर्थव्यवस्था के सिलसिले में कोई महत्वपूर्ण बात आती भी है तो मीडिया महज़ टाइपिस्ट बन जाता है।

ऐसे में पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने आज इंडिया एक्सप्रेस के संपादकीय पन्ने पर जो लिखा है, वह आँख खोलने वाला है। उन्होंने शुरुआत यह कहते हुए की है कि “वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था का जैसा भड़भण्ड किया है, उसके बाद भी ना बोलूँ, तो राष्ट्रीय कर्तव्य से मुँह मोड़ूँगा। मैं बीजेपी और बाहर के उन तमाम लोगों की भावनाओं को व्यक्त करने जा रहा हूँ, जो डर के मारे चुप हैं। ”

उन्होंने लिखा है- मोदी जी कहते हैं कि मैंने गरीबी काफी नजदीक से देखी है। अब उनके वित्तमंत्री अरूण जेटली हर भारतीय नागरिक को बेहद नजदीक से गरीबी का अहसास करा देंगे।

आलेख के अनुसार देश का असली विकास दर मात्र 3.7 प्रतिशत ही है। मोदी सरकार ने आंकड़े में हेरफेर करके इसे 5.7 दिखाया है।

यशवंत सिन्हा ने लिखा है कि उन्हें अब सच बोलना जरूरी लगा। देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से गिर रही है। इंस्पेक्टर राज, नोटबंदी तथा जीएसटी की वजह से करोड़ों नौकरियां गईं तथा देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी। उन्होंने कहा कि जीडीपी को तय करने के पुराने तरीके को भी मोदी सरकार ने बदल दिया, जिसकी वजह से विकास दर 5.7 दिख रहा है, वरना देश का असली विकास दर 3.7 और उससे कम है। उनका कहना है भाजपा में भी कई लोग इस सच को जानते हैं पर भय से कोई बोल नहीं रहा।

यशवंत सिन्हा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए लिखा- “वह कहते हैं कि अर्थव्यवस्था में गिरावट का तकनीकी कारण है, जबकि स्टेट बैंक ने भी कहा है कि यह महज तकनीकी मामला नहीं है।”

आलेख के अनुसार भाजपा पहले इंस्पेक्टर राज का विरोध करती थी। लेकिन अब जीएसटी, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के कारण व्यवसायी डरे हुए हैं।

इस आलेख में यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली पर काफी व्यंग्य किया। अमृतसर लोकसभा सीट हारने के बावजूद उन्हें मंत्री बनाने के लिए मोदी पर सवाल उठाया है। यशवंत लिखते हैं- सरकार कह रही है कि अर्थव्यवस्था की बर्बादी के लिए नोटबन्दी जिम्मेवार नहीं। सरकार ठीक कह रही है। यह बर्बादी तो अरुण जेटली पहले ही शुरू कर चुके थे। नोटबन्दी ने तो सिर्फ आग में घी डाला है।

यशवंत सिन्हा ने देश में उद्योग और व्यवसाय में तेजी से गिरावट, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की बर्बादी और कृषि के खस्ताहाल पर भी चिंता जताई। किसानों को एक पैसे या महज कुछ रुपयों के कर्जमाफी पर भी व्यंग्य किया। उन्होंने लिखा है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक देश की आर्थिक हालत के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है।

इस आलेख को गंभीरता से पढ़ने की जरूरत है। इसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

 



 

 

First Published on:
Exit mobile version