एबीपी न्यूज़ की हिंदी कवियों पर आधारित शृंखला ‘महाकवि’, हिंदी के आचार्यों और कवियों को रास नहीं आई है। कुमार विश्वास द्वारा प्रस्तुत इस कार्यक्रम को साहित्यकारों का विद्रूपीकरण करार देते हुए इसे बंद करने की माँग भी की गई है।
कोलकाता विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफ़ेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी ने फ़ेसबुक पर टिप्पणी करते हुए लिखा है-
‘’ एबीपी न्यूज पर ” महाकवि” नामक कार्यक्रम को इसके प्रायोजकों को तुरंत बंद कर देना चाहिए। कुमार विश्वास द्वारा प्रस्तुत यह कार्यक्रम मूलत:हिन्दी साहित्यकारों के बारे में अवैज्ञानिक और असंतुलित दृष्टिकोण का प्रचार कर रहा है, साथ ही साहित्यकारों की नाटकीय प्रस्तुति के नाम पर साहित्यकारों का मूलत: विद्रूपीकरण किया गया है। साहित्यकारों के बहाने यह कार्यक्रम मूलत: कुमार विश्वास की टीवी स्क्रीन पर निजी तौर पर समय घेरने की कोशिश है,एबीपी न्यूज को इस कार्यक्रम को तुरंत बंद करना चाहिए।”
प्रख्यात साहित्याकर और पहला गिरमिटिया उपन्यास के लिए ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित गिरिराज किशोर ने निराला से अपने संपर्क को याद करते हुए उन पर प्रस्तुत कार्यक्रम से गहरी निराश जताई है।
Giriraj Kishore कुमार विश्वास जी ने निराला जैसे महान कवि पर कोई अन्वेषण नहीं किया और बहुत ही छोटेपन के साथ दुष्यन्त के बाद प्रस्तूति की। उसे भी कवि सम्मेलन का मंच बना दिया। टी आर पी भले बढ़ जाए साहित्य का क्या होगा। निराला जी से मेरा संपर्क रहा। उसे देखने के बाद देवी जी का देखने का मन नहीं हुआ।
वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी शिक्षक सूर्यनारायण ने लिखा है-
“महाकवियों की श्रृंखला पर तो गंभीरता दिखाते कुमार विश्वास और ABP News वालों ! कम से कम ‘निराला’ जी के साथ तो न्याय करते ! क्षमता नहीं है तो काहे इसमें हाथ लगाये !”
मशहूर कवि बोधिसत्व ने इस पर टिप्पणी की है —
Bodhi Sattva अर्ध चैतन्य भाव से लिखी गई स्क्रिप्ट
वैसे कुछ लोगों का कहना है कि एबीपी ने कम से कम साहित्य को जगह तो दी, इसकी प्रशंसा की जानी चाहिए, लेकिन जगदीश्वर चतुर्वेदी का जवाब है—
Jagadishwar Chaturvedi विकृत्तिकरण तो साहित्यिक अपराध है।टीवी यदि यह काम कर रहा है तो वह अपराध का साझीदार है।
महाकवि पर कुछ और टिप्पणियां यूँ हैं–
Narendra Tomar कल इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित इंटरव्यू में प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल ने कहा और सही कहा है कि ‘ प्रोद्योगिकी इतिहास को मिटा रही है ..” । आज मीडिया का काम कुमार विश्वास जैसे छिछले लोगों का प्रचाार करना रह गया है। :
Pankaj Chaturvedi कुछ भांड परम्परा का कार्यक्रम। महज महिमा गां और मिडल स्कुल स्तर के निबंध का वाचन
Brajendra Singh इसने दिनकर और निराला की जो छवि पेश किया उस से लग रहा था की इसको इन दोनो के बारे में कुछ भी पता नहीं।
Arvind Varun दुष्यंत की जैसी दुर्दशा इसने की, उसके बाद देखने की जरूरत कहां रह गई थी