रेप पर चुप बीजेपी की महिला नेताओं से सवाल करता खुला पत्र!

 

आदरणीय सुष्मा स्वराज, मेनका गांधी, स्मृति ईरानी, किरण खेर, निर्मला सीतारमन, मीनाक्षी लेखी जी,

2014 में जब देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और आप लोग सांसद और केंद्रीय मंत्री बनी, तब इस देश की महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ी थी। आप सभी को सरकार में आधी आबादी का प्रतिनिधि माना गया और यह भी उम्मीद की गई कि आप आधी आबादी की प्रतिनिधि के रूप में उनसे जुड़े मामलों और सवालों का भी प्रतिनिधित्व करेंगी।

आपके सरकार में महत्त्वपूर्ण पदों पर होने से महिलाओं ने इसे महिला सशक्तिकरण की तरफ एक कदम माना। बिना किसी धर्म-जाति यहां तक कि राजनीति से ऊपर उठकर देश की आधी आबादी ने आपका स्वागत किया था। लेकिन महिलाओं से जुड़ी तमाम हिंसा और अत्याचार के मुद्दों पर आपकी राजनैतिक चुप्पी हैरान करने वाली है। हाल में हुई घटनाओं, जैसे कठुआ में बच्ची के साथ वीभत्स अमानवीय बलात्कार और हत्या, उन्नाव में बलात्कार पीड़ित महिला के पिता की हत्या, गुजरात से लेकर इलाहाबाद तक बच्चियों का नृशंस बलात्कार- पर आप चुप रहीं, यह हैरानी भरा है।

मुखर विरोध तो दूर आपने उसकी निंदा करना भी ज़रूरी नहीं समझा। जहां देश, आप से महिलाओं से जुड़े तमाम ज्वलंत मुद्दों (उदाहारण के लिए महिला आरक्षण बिल) पर मुखर आवाज़ बनने की उम्मीद लगाए बैठा था, वहां आप सबकी यह राजनैतिक चुप्पी आधी आबादी की उम्मीदों और मनोबल को तोड़ने वाला है। आप सब की चुप्पी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सत्ता की राजनीति तमाम संवेदनाओं को समाप्त कर देती है... यह करके आपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का तो विश्वास भले जीत लिया हो पर आधी आबादी देश की तमाम महिलाओं का विश्वास तोड़ दिया।

ऋचा सिंह

पूर्व अध्यक्ष इलाहाबाद विश्वविद्यालय

 



ऋचा सिंह, आज़ादी के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पहली महिलाअध्यक्ष हैं। 



 

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