चुनाव आयोग को भाजपा दफ्तर में बंटती शराब और पिटते पत्रकार क्‍यों नहीं दिखाई देते?

हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार खत्‍म होने के बाद जेके न्‍यूज़ नामक एक टीवी चैनल के पत्रकारों को भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में बंद कर के विधायक प्रत्‍याशी की शह पर मारा-पीटा गया। किसी तरह पुलिस पहुंची, तो उसने भी पत्रकारों को गाली दी। पूरे चौबीस घंटे में पत्रकारों का मेडिकल हो सका। चैनल के फेसबुक पेज पर 7 नवंबर के बाद से खबर अपडेट नहीं है क्‍योंकि जिन्‍हें मारा गया है वे खुद चैनल के स्‍थानीय संपादक चंद्रमौलि शर्मा उर्फ पंकज शर्मा हैं। यह सब इसलिए हुआ क्‍योंकि पत्रकारों ने भाजपा कार्यालय में बंट रही शराब का फुटेज कवर कर लिया था। इस बारे में प्रत्‍याशी से सवाल पूछने के लिए जब वे गए, तो उन पर कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। इस घटना के बारे में रिपोर्टर गौरव सागवाल ने अपनी फेसबुक दीवार पर एक लंबी पोस्‍ट लिखी थी। वह कई जगह छप भी चुकी है। चूंकि हमलावरों ने कैमरा छीन कर फुटेज नष्‍ट कर दिए, लिहाजा शराब वितरण का शायद कोई सबूत नहीं बचा है। हिमाचल के नाहन में एफआइआर बाकायदा दर्ज है। घटना को हफ्ता भर होने को आ रहा है। कायदे से इस मसले पर पत्रकार संगठनों और चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए।

जेके न्‍यूज़ चैनल की शुरुआत पिछले साल हुई थी जब ज़ी मीडिया कॉरपोरेशन के सीईओ और कार्यकारी निदेशक रहे आरके अरोड़ा ने जेके मीडिया नेटवर्क के सुभाष चौधरी और तपिन्‍दर कुमार से हाथ मिलाया था और संयुक्‍त रूप से इस क्षेत्रीय चैनल को राष्‍ट्रीय शक्‍ल देने की कोशिश की थी। यह नेटवर्क गुलिस्‍तां नाम का एक चैनल भी चलाता है जो जम्‍मू और कश्‍मीर के दर्शकों के लिए है। नीचे रिपोर्टर गौरव सागवाल का लिखा पोस्‍ट हम अविकल छाप रहे हैं।


हम और हमारी टीम लगातार पिछले एक महीनें से डीपीआर से आज्ञा लेकर चुनावी कवरेज पर थे.

सब कुछ अच्छा जा रहा था. हिमाचल को बेहद करीब से देखा, जैसा सुना वैसा लगा भी. पर शायद मैं किसी भ्रम में ही था, या शायद कोई बुरा सपना जो परसों रात टूट गया.

हम पावंटा साहिब में राहुल की रैली कवर कर के नाहन के लिए निकले, क्‍योंकि वहां भी सीएम राजा वीरभद्र की रैली थी. बहुत अच्छा जा रहा था और हम निकलने वाले थे कि स्थानीय लोगों से पता चला यहां रात को शराब बंटती है. एक गज़ब की स्टोरी हमारे सामने थी, और हम सुबह से उस स्टोरी पर काम करना शुरू भी कर चुके थे।

चूंकि हम बाहरी थे तो हमारे चैनल के वहां के रिपोर्टर का साथ हमें चाहिए था, जो कि मिला भी। दिन में मैंने मेरे हरियाणा के कुछ मंत्री और एमएलए वहा मिले जिनकी मैंने बाइट भी ली. चुनावी माहौल पर चर्चा भी की. पर हमें वहा कुछ ऐसा नहीं लगा जो सूत्रों से पता लगता.

पर लगता है ये मेरे जीवन की सबसे काली रात में से एक थी. 7 नवंम्बर को 5 बजे तक प्रचार थमने वाला था.  जैसे शाम हुई वाकई सरेआम चुनाव आयोग की धज्जियां उड़ी मिली. भाजपा कार्यलय में शराब का वितरण हो रहा था. और ग्रामीण लोगो को पर्ची दी जा रही थी जो किसी निजी होटल में दिखा शराब ले सकते थे.

मैं और मेरे सर चंद्र मौली शर्मा ने जैसे पूरा माहौल देखा और कुछ हिला देने वाले विजुवल हाथ लगे तो हम भी हिल गए की शराब की इतनी खेप.

हमारे हाथ इतना मैटिरियल लग चुका था कि हम चैनल पर चला सकें. उसके साथ हमें भाजपा प्रत्याशी नाहन का पक्ष भी जानना था. तो हमने स्थानीय पत्रकार को कॉल की, पर उस समय वो बाहर थे तो हमने भाजपा के मीडिया सलाहकार से समय मांगा कि एक बाइट चाहिए, तो भाजपा प्रत्याशी ने हमारी टीम को ऑफिस में बाइट लेने का समय दिया. जैसे ही हमने बिंदल जी को बाहर ही पार्टी के ऑफिस के बाइट लेनी चाही और बताया कि आपके यहां के कुछ दृश्य भी हाथ लगे हैं, तो भाजपा प्रत्याशी वहां से निकल पड़े और उनके जाने के करीब 2-3 मिनट बाद सभी पार्टी कार्यकर्ता हम पर टूट पड़े.

#Mob_lynching को आज तक सिर्फ टीवी पर देखा था. शिकार पहली बार हुए थे. जैसे ही हमारे साथ छीना-झपटी हुई तो उन्होने सबसे पहलें कैमरा छीना और मुझे अंदर खींचने लगे. जैसे ही मेरे सर चंद्र मौली जी बीच बचाव को आए तो उनको वे भाजपा कार्यलय में ले जा रहे थे तभी सर ने कहा भाग और S.P को फोन करो… मैंने जैसे फोन किया पुलिस 1 घंटे बाद आकर उल्टा हमें ही थाने ले जाती है.

युद्धवीर सिंह थाना प्रभारी गुन्नूघाट (नाहन) थाने ले जाकर कहते हैं, “तुम साले पत्रकार हो जुत्ती खाने लायक”.  और भी न जाने क्या-क्या… मेडिकल में जान-बूझ कर रात से अगले दिन की शाम करना, ताकि बिना मेडिकल के बात रुक जाए…

सहन बहुत किया पर कुछ लोकल पत्रकारों की वजह से बहुत सहायता हुई… सर का फोन नही था सिर्फ मेरा फोन था. किस-किस प्रकार का दबाव झेला, फोन पे फोन एफआईआर वापिस लेने का… मैं टूट चुका था, पर सर की हिम्मत से संघी और भाजपा के गुंडों से लड़ाई जारी है… जो सहा सब लिखना चाहता हूं पर हिम्मत नहीं अब…

First Published on:
Exit mobile version