कल घूमने में देर हो गई थी और मुझे यह ताजा खबर मालूम नहीं थी कि दीपिका पादुकोण जेएनयू गई है, वहाँ की छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष के पास यह कहने कि मुझे तुम पर गर्व है। मेरे आगे एक प्रेमी- प्रेमिका थे।उन दोनों को यह बात पता रही होगी।उस लड़की ने दीपिका का नाम लिया। उसके प्रेमी ने व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी चला दी फौरन। कहा-‘दीपिका पादुकोण मुसलमान है’।फिर उसने फिल्मी दुनिया के और भी सितारों के नाम लिए,जो धर्म से या नाम से मुसलमान हैं।
ऐसा नहीं है कि उन प्रेमीजी को तुरंत संघ कार्यालय से फोन आया होगा या संदेश मिला होगा मगर संघी प्रेमी का प्रशिक्षण ही इस तरह का हुआ है कि तुरंत उसने दीपिका का धर्मांतरण कर दिया, जो पूरी तरह संघी षड़यंत्र के अनुरूप है।और कोई संघी प्रेमी या प्रेमिका भी हो ही सकते हैं! और आत्मलिप्त युवा इतने बोदे भी हो सकते हैं और इतने संघी भी कि किसी को मुसलमान कह देना उसके अविश्वसनीय होने का स्वतः प्रमाण बन जाए!
यह किया है इन्होंने हमारे देश के साथ पिछले साढ़े पाँच साल में तेजी से मगर अब इससे युवाओं का बड़ा तबका उकताकर तन कर खड़ा हो रहा है,यह शुभ है।और न जाने कितने फिल्मी दुनिया के लोग खड़े हो रहे हैं,यह बड़ी बात है।उस दिशा में एक झिझकता हुआ छोटा सा कदम दीपिका का भी है,इसका स्वागत है।
बेचारे चाणक्य का हर दाँव उल्टा पड़ रहा है।क्यों चाणक्य जी,गलत तो नहीं कहा न ?
विष्णु नागर वरिष्ठ पत्रकार और कवि हैं.