बुधवार को विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की मौत की खबर जब मीडिया में आई, तो सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफी तेज़ी से घूमने लगी जिसमें दावा किया गया कि हॉकिंग हैं। यह तस्वीर वितयनाम जंग के खिलाफ निकले एक मोर्चे की थी। उस तस्वीर का मूल स्रोत नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी, लंदन है और यह तस्वीर 2013 से ही मीडिया में रह-रह कर चलती रही है जिसमें स्टीफन हॉकिंग को बुद्धिजीवी तारिक़ अली और वनेसा रेडग्रेव के साथ मौजूद बताया जाता है।
तस्वीर में जिसे हॉकिंग बताया गया है वह कोई और है। यह बात खुद उस रैली में मौजूद तारिक़ अली ने लिखी है। उनका कहना है कि हॉकिंग भले वियतनाम जंग के विरोधी थे लेकिन तस्वीर में वे मौजूद नहीं हैं।
गिजमोडो ने नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी, लंदन से कल देर रात इसकी पुष्टि करने के बाद एक खबर चलायी है कि तस्वीर में हॉकिंग मौजूद नहीं हैं। गिजमोडो के मुताबिक गैलरी के एक प्रवक्ता ने माफी मांगते हुए कहा है कि गैलरी से स्टीफन हॉकिंग को पहचानने में चूक हो गई।
गिजमोडो पर छपे प्रवक्ता के बयान के मुताबिक, ”फोटोग्राफर लुइस मोर्ले ने संकेत दिया था कि तस्वीर में हॉकिंग हैं लेकिन गैलरी ने उसके बाद सुनिश्चित किया है कि यह बात गलत थी।”
इस बारे में सबसे पहले हालांकि तारिक अली ने अपने फेसबुक पेज पर पुष्टि की थी।
दरअसल लंदन की राष्ट्रीय कला दीर्घा की वेबसाइट पर यह तस्वीर लगी हुई है जिसमें स्टीफन हॉकिंग का नाम तारिक अली और वनेसा रेडग्रेव के साथ लिखा है। कई मीडिया प्रतिष्ठानों ने यहीं से तस्वीर उठाकर बुधवार को चला दी थी।
गिजमोडो के मुताबिक 2013 में गार्डियन ने भी चूक की थी।