योगीजी की पुलिस ने करीना यादव के ‘रेप’ को छेड़खानी बना दिया ! हफ़्ते भर बाद भी मेडिकल नहीं !

बीजेपी, के नेता और कार्यकर्ता विरोधी दलों की सरकारों के लिए जंगलराज शब्द का इस्तेमाल करने में माहिर हैं, पर पता नहीं जौनपुर की करीना यादव (बदला हुआ नाम) के साथ हुई इस घटना के बाद योगी सरकार के बारे में वे दो शब्द बोल पाएँगे या नहीं..। गाँव के ही संजय तिवारी ने घर में घुसकर अकेले मौजूद करीना के का रेप किया, लेकिन पुलिस  हफ़्ते भर बाद भी उसका मेडिकल नहीं कराया। पुलिस ने रेप की जगह मामूली छेड़खानी और शांतिभंग के आरोप में संजय तिवारी को गिरफ़्तार कर लिया है। करीना का बयान सोशल मीडिया में वायरल हो गया था जिसके बाद पुलिस को कुछ करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

ग़रीबों के दु:श्चक्र की इस दिल दहलाने वाली, 27 अगस्त की इस घटना की तफ़सील जानने से पहले, इस वीडियो को देखिए जिसमें चंदवक थाने के बाहर करीना, अपनी माँ के साथ पूरी घटना का बयान कर रही है। बुरी तरह पिटाई और यौन उत्पीड़न की इस घटना को सुनकर कलेजा मुँह को आता है।

करीना का गाँव केराकत विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। पिता सड़क पर एक छोटी सी चाय-समोसे की दुकान चलाते हैं। 27 सितंबर की सुबह करीना का भाई भी दुकान चला गया था और माँ, घास काटने के लिए खेतों में थी। अकेला जानकर संजय तिवारी घर में घुस आाया। करीना के दो साल के बच्चे पर भी उसने तरस नहीं दिखाई और करीना के साथ जो किया, वह तो वीडियो में आप ने सुन ही लिया होगा।

यह भारतीय समाज की हक़ीक़त है, जिसमें ताक़तवर लोग ग़रीब घर की महिलाओं के साथ बलात्कार करना अपना हक़ समझते हैं। इस तरह के मामले अक्सर घर की चारदीवारी के अंदर ही दफ़्न हो जाते हैं, लेकिन करीना ने साहस दिखाया और थाने पहुँच गई। क़ानून तकाज़ा था कि करीना की कही बातों को उसी तरह एफआईआर में दर्ज करके पुलिस जाँच करती,लेकिन आरोप है कि चंदवक थाने के एस.ओ विश्वजीत सिंह माँ-बेटी को ही उल्टा सीधा कहने लगे। मेडिकल भी नहीं काराया।

वैसे तो इस तरह के मामलों को लेकर अख़बार काफ़ी संवेदनशीलता दिखाते हैं, लेकिन योगी सरकार आने के बाद जैसे क़लम में ज़ंग लग गई है। उन्होंने जल्दी ही करीना यादव के मामले को संदिग्ध बताना शुरु कर दिया। यही नहीं, मूल वीडियो के जवाब में एक अन्य मोबाइल वीडियो क्लिप भी सामने आ गई जिसमें करीना कह रही है कि उसके साथ रेप नहीं हुआ। क़ायदे से अख़बारों को इसकी सच्चाई सामने लानी चाहिए थी, ख़ासतौर पर जब यह बात सामने आ रही है कि पुलिस ने ज़ोर-जबरदस्ती से बयान लिया है।

ऐसा लगता है कि योगी सरकार बनने के बाद पुलिस क़ानून की धाराएँ भी भूल गई है। अगर कोई महिला कह रही है कि उसके साथ रेप हुआ है तो पुलिस को यह कहने का कोई हक़ नहीं है कि रेप नहीं हुआ है। यह तो अदालत में ही तय होगा। दूसरी बात यह है कि निर्भया कानून बन जाने के बाद अब ‘रेप’ का दायरा काफ़ी बढ़ गया है। केवल शारीरिक संबंध नहीं, महिला के साथ किसी भी तरह का अपमानजनक यौन व्यवहार इसके दायरे में आता है। ऐसे में रेप की धाराएँ ना लगाने का कोई तुक नहीं है।

सोशल मीडिया में करीना के कई वीडियो सामने आ गए हैं जिसमें वह अपने साथ पुलिस के व्यवहार और नाइंसाफ़ी की पुूरी दास्तान बयान कर रही है। ज़ाहिर है, जौनपुर में इस मुद्दे को लेकर सामाजिक-राजनीतिक संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। आज समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को इस सिलसिले में ज्ञापन देकर करीना का मेडिकल कराने की माँग की है।

लेकिन आठ दिन बाद मेडिकल से क्या साबित हो पाएगा, यह भी सवाल है। इस बीच करीना ने बहुत साहस दिखाते हुए मामले को दबने नहीं दिया, जबकि दबाव बहुत है। आरोप है कि पुलिसवालों ने करीना के पिता का मोबाइल फोन अपने क़ब्जे़ में लेकर स्विच ऑफ कर दिया है ताकि लखनऊ-दिल्ली के पत्रकार संपर्क ना कर सकें। मीडिया विजिल ने भी बीते दो दिनों कई बार उस नंबर पर फ़ोन किया जो बंद मिला।

.बर्बरीक



 

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