पिछले कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका पत्रकारिता की कत्लगाह बना हुआ है. पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग से शुरू हुई पत्रकारों की जंग सोमवार १८ अप्रैल को दिल्ली पहुँच रही है जहाँ प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में दिन में ३ बजे वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला और सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया समेत अधिवक्ता ईशा खंडेलवाल बस्तर के ज़मीनी सच को सामने रखेंगे.
एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ”ब्लैकआउट इन बस्तर” नामक पुस्तक का विमोचन किया जाएगा. पिछले दिनों जिस तरीके से छत्तीसगढ़ के पुलिस प्रशासन ने पत्रकारों का काम करना दूभर कर दिया है और उन्हें फर्जी मामलों में गिरफ्तार किया जा रहा है, इसके खिलाफ देश भर में आवाजें उठी हैं. पिछले एक साल में कुल 6 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है और कई वरिष्ठ पत्रकारों को बस्तर में काम करने से रोका गया है. मालिनी सुब्रमण्यम, आलोक पुतुल, बेला भाटिया को धमकियां दी गई हैं और उन्हें बस्तर छोड़कर जाने को मजबूर किया गया है.
सबसे ताज़ा मामला पत्रिका के पत्रकार अजय पटेल का है जिन्हें 13 अप्रैल को हिरासत में लिया गया था लेकिन मामला सार्वजनिक होने के बाद उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी. <meta http-equiv=”refresh” content=”0; URL=/?_fb_noscript=1″ />उक्त पत्रकार को 13 अप्रैल की दोपहर हिरासत में लिया गया था और दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक ने बाकायदा माओवादियों को वायर बेचे जाने के कारण गिरफ्तार किये जाने की स्वीकारोक्ति भी की थी, पर इस मुद्दे पर तत्काल देश भर में हल्ला होने की वजह से प्रदेश के गृह मंत्रालय के निर्देश पर अचानक यह निर्णय लिया गया. इस मामले को पत्रकार सुरक्षा कानून संयुक्त संघर्ष समिति के तहत पत्रकारों के आंदोलन के बाद बनाये गए “पत्रकार समन्वय समिति” के पास भेजे जाने का निर्णय लिया गया है .