हिमांशु कुमार
तो वही जिंदा बचेगा जिसे तैरना आता है,
अगर इन दोनों में से एक हिन्दू और एक मुसलमान हो तो भी वही जिंदा बचेगा जिसे तैरना आता है,
अल्लाह और ईश्वर अपने नियम को नहीं तोड़ता,
अल्लाह और ईश्वर का अपना कोई धर्म या मजहब नहीं है,
यानी वह ना हिन्दू है ना मुसलमान,
अगर कोई आपको ऐसा बता रहा है कि सिर्फ आपके अल्लाह या आपके ईश्वर में यकीन करने वाले को जन्नत या स्वर्ग मिलेगा तो आपको ऐसा बताने वाला आपको बेवकूफ बना रहा है,
मैं भी पहले पूजा पाठ करता था,
तब मैं काफी डरा हुआ और अपने दिमाग में अँधेरा महसूस करता था,
जब से मैंने साइंस और तर्क के आधार पर सोचना शुरू किया,
मन से ईश्वर का डर खत्म होने लगा, सभी सवालों के जवाब मिलने लगे, दिमाग के अँधेरे खत्म होने लगे,
अब मैं बहुत खुश और सुलझा हुआ महसूस करता हूँ,
अब मुझे ना किसी धर्म वाले से नफरत होती है ना किसी की जाति की वजह से उसे छोटा या बड़ा मानता हूँ,
विज्ञान और तर्क के आधार पर सोचने की वजह से मुझे अब सभी इंसान एक जैसे लगने लगे हैं,
अब देशों की सीमाओं के भीतर कुढ़ते हुए, पड़ोसी देश से नफरतों से भरे हुए, दुसरे धर्म वालों को गालियाँ देते हुए, जातिवाद से भरे हुए लोगों को देख कर मुझे बहुत दया आती है,
मुझे महसूस होता है कि यह सब बेचारे बीमार लोग हैं,
अब मैं विज्ञान और तर्क के आधार पर सोचता हूँ तो मुझे लगता है कि पेड़, नदी, जानवर,पहाड़ और मैं सब एक ही हैं,
अब मैं आसपास की दुनिया और प्रकृति से ज्यादा प्यार महसूस करता हूँ,
सत्य जानना ही इंसान का धर्म है,
विज्ञान और तर्क ही सत्य को जानने का तरीका है,
जो लोग यह माने बैठे हैं कि जिस मजहब और धर्म में जन्म हो गया वही सबसे अच्छा और सच्चा है, वह सबसे नासमझ लोग हैं,
यकीन मानिए जब तक हम इन पुराने अंधे विश्वासों से आज़ाद नहीं होंगे ना युद्ध बंद होंगे, ना शांति आयेगी, ना नफरतें खत्म होंगी.
हिमांशु कुमार प्रसिद्ध गाँधीवादी कार्यकर्ता हैं।