जेल में बंद पूजा की योगी को चुनौती-“हम भगत सिंह के वारिस हैं, फाँसी से भी नहीं डरते !”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाने की वजह से गिरफ़्तार और लगातार दो बार बेल एप्लीकेशन रद्द होने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रनेता पूजा शुक्ला ने जेल से साथियों के नाम यह पत्र लिखा है –

 

“उसे ये फ़िक्र है हरदम, नया तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है? हमें ये शौक़ देखें, सितम की इंतहा क्या है !”

ये पंक्तियाँ भगत सिंह की जेल नोटबुक से ली गयी हैं । भगत सिंह हमारे प्रिय नायक हैं। जेल में भगत सिंह के साथ बाबा साहेब और लोहिया जी के दस्तावेज़ों का अध्ययन करने का अच्छा मौक़ा मिला है। सरकार को लगता है हमारी बंदी-अवधि बढ़ा कर वह हमारे हौसलों को कमज़ोर कर देगी तो वह ग़लती कर रही है। हम भगत सिंह के वारिस हैं जो जेल ही नहीं फांसी से भी नहीं डरते।

मैं जब छोटी थी तो मुझसे मेरे एक रिश्तेदार ने पूछा कि बेटा तुम्हारी क्या ख्वाहिश है तो मैंने तपाक से जवाब दिया था कि मैं तिरंगे में लपेट कर ले जाई जाऊं। और जब विवि(विश्विद्यालय) पहुंची, तो भगत सिंह के बारे में जाना, समझा, और पढ़ा और उनके रास्ते पर चल पड़ी । अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े होना ज़िन्दगी का मक़सद बन गया। जब सहारनपुर में सरकारी संरक्षण में दलितों का क़त्ल-ए-आम किया जा रहा था तो हमारे लिए यह असहनीय पीड़ा थी, उसी बीच बुलंदशहर से लेकर बाराबंकी तक महिलाओं के बलात्कार, हत्याओं की ख़बरें भी दिल दहलाती हैं ।

ऐसे में 31 मई को हम अपने साथियों के साथ विधानसभा मार्च कर प्रतिरोध दर्ज कराने की कोशिश करते हैं। देश-प्रदेश के साथियों के समर्थन से सरकार के ख़िलाफ़ प्रदेश में पहला बड़ा प्रतिरोध दर्ज होता है। प्रदेश में UPPSC और UPSSC की भार्तियों पर लगी रोक के ख़िलाफ़ भी जगह-जगह छात्र प्रदर्शन कर रहे होते हैं, हम और हमारे साथी इस सवाल को मज़बूती से उठाने का निर्णय कर लेते हैं ।

इस बीच लखनऊ विश्विद्यालय में एक फ़र्ज़ी संगठन की आड़ में आरएसएस के प्रोग्राम के लिए 25 लाख रूपये विश्विद्यालय जारी कर देता है जिसका वित्त अधिकारी से लेकर कर्मचारी संगठन भी विरोध कर रहे होते हैं । एक तरफ़ छात्रों के स्मार्ट क्लास रूम, डिजिटल लाइब्रेरी, यहाँ तक कि मेस के लिए भी वी.सी साहब, पैसा न होने का रोना रोते हैं, दूसरी तरफ़ छात्रों के पैसे को नेताओं को ख़ुश करने के लिए लुटाया जा रहा था ! इसको हम सब बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।

इसलिए 7 जून को लखनऊ विश्विद्यालय में 25 लाख के घोटाले को रोकने, जांच करने के साथ प्रदेश में रोज़गार पर लगी रोक हटाने के लिए हमने मुख्यमंत्री जी के इस कार्यक्रम में शामिल होने का विरोध करते हुए काले झंडे दिखाए । हमारा प्रतिरोध पूरी तरह लोकतान्त्रिक था। छात्रों द्वारा लगातार प्रतिरोध से डरी सरकार ने साज़िशन हम लोगों को जेल में रखा हुआ है। सरकार चाहे जितनी अपराधिक धाराओं में मुक़दमा लगाए या जेल में डाले रखे, इंसाफ़ और हक़ की लड़ाई से हम सब पीछे नहीं हटने वाले।

बाहर सभी साथियों से अपील है कि एकजुट होकर लड़ाई को आगे बढायें, लड़ाई जारी रहनी चाहिए, कारवां रुकना नहीं चाहिए।

पूजा शुक्ला

पूजा शुक्ला लम्बे समय से ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) से जुङी रहीं हैं। आइसा की प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहीं, फिलहाल स्वतंत्र रुप से ‘ज्वाइंट एक्शन कमेटी’ (जेएसी) के बैनर तले प्रगतिशील-धर्मनिरपेक्ष छात्रसंगठनों और स्वतंत्र छात्र एक्टिविस्टों के साझे मोर्चे द्वारा पहलकदमियाँ ले रही हैं। पिछले दिनों 31मई को जेएसी द्वारा सहारनपुर और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर विधानसभा पर बड़ा प्रदर्शन हुआ। तभी से इसके नेतृत्वकारी लोग सरकार की नज़रों में थे। जब लखनऊ विश्विवविद्यालय में संघ के कार्यक्रम को विवि कोष से फंड देने और प्रदेश में नौकरी पर लगी रोक हटाने को लेकर छात्रों ने 7 जून को सीएम को काले झण्डे दिखाये तो सरकार ने तमाम छात्रों को  गिरफ़्तार कर लिया। इस विरोध प्रदर्शन में आइसा,एसएफआई,समाजवादी छात्रसभा समेत स्वतंत्र छात्र भी शामिल रहे।

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