लखनऊ यूनिवर्सिटी की छात्र नेता पूजा शुक्ल से किसे खतरा है? आखिर यूपी पुलिस ने उन्हें सड़क से किसी अपराधी की तरह क्यों अगवा किया? अभी बहुत दिन नहीं हुए उन्हें अनशन से उठवा कर हिरासत में लिए हुए और अब ऐसी घटना? पूजा ने विस्तार से इस घटना के बारे में लिखा है. नीचे उनकी पोस्ट से समझने की कोशिश करें कि हम किस खतरनाक माहौल में जी रहे हैं: (संपादक)
पूजा शुक्ला
साथियो, मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ.
कल अचानक पुलिस की दबिश होती है और फ्लैट से निकल कर मैं सड़क पर ऑटो लेने के लिए जा रही होती हूँ तब अचानक से कुछ 8 या 9 पुलिस वाले साथ में एक महिला पुलिस दौड़ते हुए आ रहे हैं. मुझे एक मिनट के लिए समझ नहीं आता वो किस लिए आ रहे हैं, तभी आते ही मेरा सबसे पहले गालियां देते हुए बैग और फ़ोन छीना जाता है. फ़ोन न देने पर एक थप्पड़ तक मुझे मारा और बतमीजी करते हुए बैग और फ़ोन छीन लिया.
उसके बाद मुझे जबरन जीप में डाल दिया और अज्ञात स्थान पर ले जाने लगे रास्ते मे एक जीप और महिला पुलिस को बुलाया गया. मुझे अजीब सा डर लग रहा था. तीन जीप पुलिस और मैं अकेली! रास्ते भर जिस तरह की गालियाँ दी गयीं जो जो कहा गया वो मुझे अचंभित कर देने वाला था! सत्ता का स्तर इतना गिर चुका है!
मैं लगातार कहती रही मुझे मेरे घर वालों से बात करने दीजिये, मुझे एक कॉल कर लेने दीजिये लेकिन जवाब सिर्फ गालियाँ थीं. मेरे सामने फोन उठा के पत्रकारों, दोस्तो, यहाँ तक मेरे पापा को गुमराह किया गया. किसी को बोला मैं हॉस्पिटल में हूँ, किसी को मैं घर पर सो रही हूँ, किसी को कि मैं मॉल में शॉपिंग कर रही हूँ, यहाँ तक वो मेरे सामने खुद को मेरी माँ बता के बात कर रही थी.
पहले काफी दूर ले गए मुझे. अज्ञात स्थान पर काफी देर तक खड़ा रखा. तब मैंने वहां वाशरूम जाने का बहाना लिया तो मुझे वो फन मॉल ले आये. वाशरूम में घुस के हमने एक लड़की का मोबाइल ले कर अपने एक साथी को बताया कि मुझे अज्ञात स्थान पर ले कर जा रहे हैं. मेरे घर पर बता दो. तब तक पुलिस वाली आ गयी, उन्होंने फ़ोन छीना और गालियाँ देने लगी. उसके बाद फिर मुझे वह दोबारा से जीप में बैठा के सिर्फ अज्ञात स्थान पर काफी देर तक खड़ा रखा. कुछ सवाल करने पर जवाब से सिर्फ गालियाँ. तुमने सबकी जिंदगी बर्बाद कर दी है, इतना प्रेशर आ रहा है, छोड़ राजनीति तुम, लम्बा अंदर भेजा जाएगा, लड़की हो लड़कियों की तरह रहो!
इनकांउन्टर से लेकर नजीब तक सब वाकया दिमाग में थे! तभी 9 बजे पता चलता है पीएम साहब गए! तब मुझे कहा जाता है चलो तुमको मॉल छोड़ दे या चौराहे पर यही हमारा ब्लड प्रेसर लो था, मैंने कहा मैं कहीं नही उतरूंगी. गाड़ी पर मुझे जहाँ से लाये हो ले चलो गाड़ियां मेरी तबियत को छोडने आयी, मेरी दी को सूचित किया गया… वो नीचे आयी तभी उन्होंने और उनके साथ के लोगों ने पूछा किससे पूछ के आप ले गए? आपके सारे आला अधिकारियों को कोई संज्ञान कैसे नहीं है?
वो सब लोग इतनी जल्दी में अपनी जीप में बैठे और चले गए बस इतना लोग पीछे से बोल रहे थे यहाँ तक छोड़ ही दे रहे है यही गनीमत है, रात का 10 बजने वाला था.
पुलिस के द्वारा किया गया यह अपहरण था! डराने, धमकाने की कोशिश।
लेकिन पुलिस को इस अपरहण का जवाब देना होगा।