शुक्रिया NDTV, जो आपने मुझे नौकरी से निकाल दिया था…

संतोष है कि जिन लोगों ने मुझे अपनी असुरक्षा के कारण साज़िश करके बाहर करवाया था, उनके खिलाफ आजतक कुछ नहीं कहा. आज पहली बार अपने उस अपमान को याद करके दर्द साझा कर रहा हूँ.

शेष नारायण सिंह 

आजकल एनडीटीवी से नौकरी से हटाये गए लोगों के बारे में चर्चा है. खबर है कि कंपनी की हालत खस्ता है. करीब पंद्रह साल पहले हम भी एनडीटीवी से हटाये गए थे. जब हम हटाये गए थे तो पैसे की कमी नहीं थी. खूब पैसा था. वहां खूब विस्तार हो रहा था, स्टार न्यूज़ से समझौता ख़त्म हो गया था और नए चैनल शुरू हो रहे थे. रोज़ ही दस पांच लोग भर्ती हो रहे थे, लेकिन हमको अलविदा कह दिया गया था. मेरी बेटी की शादी तय थी, मैंने निवेदन किया कि तीन महीने बाद शादी है, तब तक पड़ा रहने दीजिये. श्री प्रणय राय ने बात तक नहीं की. हाँ, उनकी पत्नी और एनडीटीवी की असली प्रमोटर राधिका रॉय ने मुझे नार्मल से ज़्यादा कई महीने की तनखाह दिलवा दी थी. उस वक़्त समझ में नहीं आया कि क्यों हटाया गया. प्रबंधन के लोग मेरे काम से बहुत खुश थे. जिस दिन हटाया गया उसके ठीक बीस दिन पहले वाहवाही की चिट्ठी मिली थी, तनखाह में बीस प्रतिशत की बढ़ोतरी मिली थी.

बाद में पता चला कि कुछ लोगों को मुझसे निजी तौर पर दिक्क़त थी. हालांकि उन लोगों को अपने आप को मुझसे बड़ा बना लेना चाहिए था. मैं छोटा ही रह जाता लेकिन अब समझ में आ रहा है कि जिन लोगों ने मुझे हटवाया था उनकी क्षमता ही नहीं थी कि अपने को बड़ा कर सकें. नतीजा यह हुआ कि आज वहां बौनों की जमात इकट्ठा है.

शुक्रिया एनडीटीवी के मालिकों की चापलूसी करके रोटी कमाने वाले देवियों और सज्जनों, आपने मुझे वहां की नौकरी से निकलवाया. आपकी कृपा से ही मैंने और रास्ते चुने, फिर से लिखना शुरू किया, उर्दू और हिंदी में खूब छपा, लिखने के कारण ही टेलिविज़न वालों ने अपने पैनल पर बुलाना शुरू किया. आज मन में संतोष है. यह भी संतोष है कि जिन लोगों ने मुझे अपनी असुरक्षा के कारण साज़िश करके बाहर करवाया था, उनके खिलाफ आजतक कुछ नहीं कहा. आज पहली बार अपने उस अपमान को याद करके दर्द साझा कर रहा हूँ.

अपने बच्चों की शिक्षा के लिए मैं एनडीटीवी के अज्ञानी मूर्खों और मूर्खाओं की मूर्खता को विद्वत्ता कहने के लिए अभिशप्त था, वे अभी उसी तरह की मूर्खताओं से एनडीटीवी की टीआरपी को रसातल पर ले जा रहे हैं और अपमान की ज़िन्दगी जी रहे हैं. मेरे वही बच्चे अब अपनी अपनी रोटी कमा रहे हैं, उनको अपने माता पिता की वह ज़िंदगी याद है इसलिए वे हमें अपने घर अक्सर बुलाते हैं. उनके बच्चे जब हमको टीवी पर देखते हैं तो उनको खुशी होती है.

और हमें खुशी होती है कि हमको एनडीटीवी ने नौकरी से निकाल दिया था. शुक्रिया न्यूज़ 18 इण्डिया, शुक्रिया सीएनबीसी आवाज़, शुक्रिया एबीपी न्यूज़, शुक्रिया लोकसभा टीवी, शुक्रिया टाइम्स नाउ, शुक्रिया सैयदेन ज़ैदी, शुक्रिया न्यूज़ नेशन. आपने मुझे इस लायक समझा कि मैं आपके पैनल पर आ सकूं, आपने मुझे इज्ज़त बख्शी और एक नई पहचान और आत्मविश्वास दिया. आपकी वजह से आज मैं सडक चलते पहचाना जाता हूँ. शुक्रिया देशबन्धु, इन्कलाब, उर्दू सहाफत, उर्दू सहारा रोजनामा, आपने काम करने का मौक़ा दिया.


शेष नारायण सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह टीप उनकी फेसबुक दीवार से साभार. 

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