ZEE समूह से समीर अहलुवालिया का इस्‍तीफ़ा, बड़े बदलाव की अटकलें तेज़

 

कांग्रेसी कारोबारी नवीन जिंदल से सौ करौड़ की रिश्‍वतखोरी के आरोप में फंसे ज़ी बिज़नेस के संपादक समीर अहलुवालिया ने सोमवार की सुबह 19 साल की लंबी सेवा के बाद ज़ी समूह से अपना इस्‍तीफा दे दिया। महीने भर पहले 5 अगस्‍त को मीडियाविजिल ने सबसे पहले अपने पाठकों को एक्‍सक्‍लूसिव जानकारी दी थी कि ”ज़ी न्‍यूज़ में जल्‍द ही कुछ बड़े बदलाव होने की ख़बर है”। किसी को अंदाज़ा नहीं था कि महीने भर में ही चैनल के इतने बड़े अधिकारी को अपना बोरिया-बिस्‍तर समेटना पड़ जाएगा।

सूत्रों की मानें तो अहलुवालिया सोमवार की सुबह दफ्तर आए और उन्‍होंने ”दबाव” में अपना इस्‍तीफा लिखकर 9.30 बजे के आसपास प्रबंधन को सौंप दिया। उन्‍हें ”तत्‍काल प्रभाव” से कार्यमुक्‍त कर दिया गया, हालांकि देर शाम 5.30 तक चली एक आधिकारिक बैठक में वे दफ्तर में उपस्थित थे। सूत्र ने बताया, ”ख़बर ये है कि उनसे इस्‍तीफा लिया गया है, हालांकि दिन भर बैठने और काम निपटाने की मोहलत दे दी गई थी।” अब तक संस्‍थान में इस बाबत कोई आधिकारिक मेल या अहलुवालिया का इस्‍तीफा सर्कुलेट नहीं हुआ है और बहुत से कर्मचारियों को इसकी जानकारी भी नहीं है।

सोमवार की दोपहर 3.30 बजे के करीब सबसे पहले एक वेबसाइट ने अहलुवालिया के इस्‍तीफे की ख़बर चलाई थी। इसके बाद कुछेक वेबसाइटों ने उसके हवाले से अपने यहां भी खबर प्रकाशित की।

रविवार की रात दिल्‍ली में समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह ने ज़ी मीडिया के मालिक सुभाष चंद्रा के सांसद बनने की खुशी में एक आलीशान पार्टी आयोजित की थी जिसमें समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह समेत कई बड़े नेता भी शामिल हुए थे। उक्‍त पार्टी में ज़ी न्‍यूज़ के जेल रिटर्न संपादक और रिश्‍वत कांड में अहलुवालिया के जोड़ीदार सुधीर चौधरी तो मौजूद थे, लेकिन अहलुवालिया वहां दिखाई नहीं दिए। सूत्र बताते हैं कि उसी वक्‍त कुछ संदेह पैदा हो गया था कि आखिर अहलुवालिया उस पार्टी से नदारद क्‍यों थे।

गौरतलब है कि जुलाई के आखिरी सप्‍ताह में ज़ी समूह में हुई एक टाउनहॉल बैठक में मालिक सुभाष चंद्रा के करीबी अमित जैन ने साफ़ शब्‍दों में कहा था कि सुधीर चौधरी हों या अहलुवालिया, कोई भी ”पवित्र गाय” नहीं है। जैन ने साफ़ कहा कि कर्मचारियों में ऐसी धारणा है कि नवीन जिंदल वाले मामले के कारण समीर अहलुवालिया को और सेलेब्रिटी स्‍स्‍टेटस के कारण सुधीर चौधरी को प्रबंधन कुछ नहीं कहेगा। उन्‍हें यह धारणा छोड़ देनी चाहिए क्‍योंकि कोई भी ”बियॉन्‍ड स्‍क्रूटिनी” नहीं है और नतीजे सभी को भुगतने होंगे।

उस बैठक के बाद से ही यह लगभग तय हो चुका था कि रिश्‍वत कांड की गाज दोनों में से किसी न किसी पर गिरनी तय है। इस बैठक के बाद कंपनी के सीईओ से भी इस्‍तीफा ले लिया गया था।

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