‘आज तक’ से पाँच साल बाद आईबीएन7 ने भी खोजी रावण की ममी ! रिपोर्टर वही !

कृपादृष्टि प्रभु ताहि बिलोका। करहु क्रिया परहरि सब सोका।।                 

कीन्हि क्रिया प्रभु आयसु मानी। बिधिवत देस काल जियँ जानी।। 

( रावण की अंत्येष्टि के बारे में मानस की चौपाई।)

“ग़ौर से देखो इस शख्स को..इसके भोले चेहरे पर मत जाना, इसकी मीठी बातों पर भी मत जाना….यह एक ऐसा नटवरलाल है जो दुनिया भर को ख़बर बेचने वाले न्यूज़ चैनलों को भी ‘बेच’ लेता है…जी हाँ, यह एक टीवी रिपोर्टर है जिसने पाँच साल पहले ‘रावण की ममी’ वाली जो ख़बर सबसे तेज़ ‘आज तक’ के उस्ताद संपादक को बेची थी, वही स्टोरी उसने पाँच साल बाद देश के सबसे बड़े कारोबारी यानी मुकेश अंबानी के कारकूनों को बेच दी जबकि वाल्मीकि से लेकर तुलसीदास तक लिख गये हैं की रावण के वध के बाद उसकी अंत्येष्टि हुई। खोज के नाम पर मौज लेने वाले इस टीवी पत्रकार का नाम है प्रतीक त्रिवेदी…!”

माफ़ कीजिए, यह बात मज़ाकन लिखी गई है, लेकिन न्यूज़ चैनल देख-सुनकर स्क्रिप्ट राइटिंग का बारीक़ी सीख रहा कोई ट्रेनी पत्रकार ऐसी ही कॉपी लिखेगा। मसला रावण की ममी (?) खोजने का है जिसकी ख़बर 2011 के दशहरे के आसपास ‘आज तक’ ने बड़ी धूमधाम से चलाई थी। तब आज तक रिपोर्टर प्रतीक त्रिवेदी ने चैनल की ओर से श्रीलंका जाकर यह महान खोज की थी।

2016 में वही प्रतीक त्रिवेदी आईबीएन7 में हैं। रिपोर्टर से ऐंकर हो चुके हैं, लेकिन एक बार फिर उन्होंने श्रीलंका जाकर वही स्टोरी की है यानी ‘रावण की ममी’ खोजी है। अप्रैल-मई 2016 में आईबीएन7 ने राम की खोज नाम से एक साप्ताहिक शृंखला दिखाई थी जिसमें रामकथा से जुड़ी तमाम कहानियों की ‘ऐतिहासिकता’ प्रमाणित की गई थी।

प्रतीक ने 9 अप्रैल 2016 को आबीएन खबर के अपने ब्लॉग में जानकारी दी थी कि इसके लिए वे श्रींलंका के जंगलों में भटके और 3500 किलोमीटर की यात्रा के दौरान वहाँ-वहाँ पहुँचे जहाँ ‘आज तक कोई नहीं ‘ पहुँचा !

यानी प्रतीक त्रिवेदी ने छिपा लिया कि पाँच साल पहले वे ख़ुद वहाँ जा चुके हैं। जो भी हो, ‘पहली बार’ के नाम पर एक बार फिर वही तमाशा जमाया प्रतीक त्रिवेदी ने। रावण के ज़माने की राजकुमारी (काँखते हुए वॉयसओवर में साढ़े पाँच हज़ार साल से ज़िदा बताया जा रहा था ! ) से लेकर हनुमान तक से मुलाकात कराई। इस बार  ‘एक्सक्लूसिव’ ख़बर के लिए खर्चापानी अंबानी के चैनल ने दिया, पाँच साल पहले प्रतीक त्रिवेदी यह वसूली अरुण पुरी के ख़ज़ाने से कर चुके थे।

पिछले कुछ दिनों से दशहरा के उत्सवी माहौल में आईबीएन7 एक बार फिर वही ‘रावण की ममी’ बेच रहा है। पाँच साल पहले ‘आज तक’ में दिखाई जा चुकी जगहों पर खड़े होकर प्रतीक जब पीटीसी करते हैं तो फर्क सिर्फ़ इतना है कि अब उनके चेहरे पर चर्बी चढ़ गई है।

यहाँ एक साधारण सा नैतिक प्रश्न है कि ख़बर न सही गप्प सही, एक रिपोर्टर ‘एक्सक्लूसिव’ बताकर किसी ख़बर को कितनी बार बेचेगा ? और क्या आईबीएन7 के संपादक भाँग खाकर पड़े हैं कि ऐसी बासी ख़बर को ताज़ा माल बताकर प्रसारित कर रहे हैं ?

आईबीएन7 की नज़र में रामकथा पूरी तरह ‘इतिहास’ है और ‘रावण की ममी’ की कथा को सही साबित करने के लिए उसने मिस्र में तूतनख़ामेन की ममी की पुरातात्विक खोज का हवाला देकर अपनी ‘वैज्ञानिकदृष्टि’ का परिचय भी दिया है। विज्ञान और पुरातत्व की थोड़ी भी समझ रखने वाले चाहें तो अपना सिर पीट सकते हैं, आईबीएन7 की बला से।

वैसे प्रतीक त्रिवेदी ही नहीं, टीवी के कई रिपोर्टर श्रीलंका जाकर रामकथा के निशान खोज चुके हैं। बताया जाता है कि हिंदी न्यूज़ चैनलों और अख़बारों के सहयोग https://www.viagrapascherfr.com/viagra-group/ से श्रीलंका की सरकार रामकथा से जुड़े कई स्थलों को ‘प्रामाणिक’ बताने की योजना पर काम कर रही है। मक़सद है भारत के करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं की भावनाओं को दोहन करके उन्हें पर्यटन के लिए श्रीलंका खींचना ताकि वे ‘असल’ अशोक वाटिका से लेकर ‘रावण की ममी’ तक के दर्शन करें और श्रीलंका को विदेशी मुद्रा मिले। हिंदी के कई नामी अख़बार भी इस आशय की ख़बर कर चुके हैं। 2013 में ज़ी न्यूज़ भी इस ख़बर को ‘एक्सक्लूसिव’ बताकर धूम धड़ाके से दिखा चुका है। उसके रिपोर्टर थे राहुल सिन्हा।

यह शुद्ध रूप से अंधविश्वास का कारोबार है जिसके लिए भारतीय क़ानून के तहत चौनलों पर मुक़दमा भी चलाया जा सकता है। लेकिन सत्ता कैसी भी हो, मिलावटी ख़बरों को सबसे ज़्यादा प्रश्रय देती है। फिर यहाँ तो धर्म-कर्म का मामला है।

हालाँकि रामकथा के दो प्रमुख स्रोत ‘रामायण’ और ‘रामचरित मानस’ के मुताबिक रावण के वध के बाद राम के निर्देश पर उसका सम्मानपूर्वक  दाह-संस्कार हुआ था। तुलसी ने मानस के लंकाकांड में रावण की मृत्यु के बाद का वर्णन कुछ यूँ किया है-

बंधु दसा बिलोकि दुख कीन्हा । तब प्रभु अनुजहि आयसु दीन्हा ।।

लछिमन तेहि बहु बिधि समुझायो, बहुरि बिभीषन प्रभु पहिं आयो ।।

(उन्होंने भाई की दशा देखकर दुख किया। तब प्रभु श्रीराम जी ने छोटे भाई को आज्ञा दी कि जाकर विभीषण को धैर्य बँधाओ। लक्ष्मण जी ने उन्हें बहुत प्रकार से समझाया तब विभीषण प्रभु के पास लौट आये। )

कृपादृष्टि प्रभु ताहि बिलोका। करहु क्रिया परहरि सब सोका।।

कीन्हि क्रिया प्रभु आयसु मानी। बिधिवत देस काल जियँ जानी।।

(प्रभु ने उनको कृपापूर्ण दृष्टि से देखा और कहा- सब शोक त्यागकर रावण की अंत्येष्टि क्रिया करो। प्रभु की आज्ञा मानकर और हृदय में देश और काल का विचार करके विभीषण जी ने विधि पूर्वक सब क्रिया की। )

पर ये हिंदी न्यूज़ चैनल हैं। रामकथा को ‘ऐतिहासिक’ भी बताते हैं और जिस रावण की अंत्येष्टि हो चुकी है, उसकी ममी भी बना देते हैं। जनता इनकी नज़र में है क्या बेवकूफ़ों की भीड़ कि सिवा।

यह सिर्फ एक चालाक रिपोर्टर नहीं, शातिर संपादकों की कहानी भी है।

 

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