मज़दूरों ने जीती रामदेव से जंग ! मीडिया पचा गया ‘विज्ञापनदाता’ की ख़बर !

विज्ञापन क्या करते हैं या कर सकते हैं, इसका सबूत रामदेव की दिव्य फ़ार्मेसी के सताए मज़दूरों से जुड़ी इस ख़बर से है जिसे मीडिया ने लगभग ग़ायब कर दिया। वजह ये है कि टीवी हो या अख़बार, रामदेव के पतंजलि उत्पादों के विज्ञापन से भरे पड़े हैं।

हालाँकि 13 साल पहले रामदेव की दिव्य फ़ार्मेसी की दवाओ में मानव हड्डियाँ मिलाने का मामला संसद में भी उठा था और मीडिया में भी इसकी काफ़ी चर्चा थी। साथ ही वहाँ काम कर रहे मज़दूरों की न्यूनतम मज़दूरी का भी सवाल था। आंदोलन भड़का तो 93 मज़दूरों की नौकरी ले ली गई जो श्रम न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक लड़े। आख़िर 9 जनवरी को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मज़दूरो के हक़ में फ़ैसला सुनाते हुए 13 साल का बक़ाया क़रीब 14.50 करोड़ रुपये के भुगतान का आदेश भी दिया।

हाल के दिनों में मज़दूरों को मिली यह बड़ी जीत है, लेकिन यह ख़बर मीडिया ने ग़ायब ही कर दी। न किसी हिंदी अख़डबार में दिखी और न चैनल में। सिर्फ़ फ़ाइनेशियल एक्सप्रेस में ही इसकी जानकारी दी गई है।

 

सामाजिक कार्यकर्ता मसऊद अख़्तर फ़ेसबुक पर लिखते हैं—

2005 में हुए बाबा रामदेव की कंपनी दिव्य योग फार्मेसी के मजदूरों का विवाद शायद ही याद हो। अरे वही विवाद जिसमें दिव्य योग फार्मेसी के मजदूरों ने अपने शोषण के साथ दवाओं में जानवरों की हड्डियों के चूरा के साथ मानव अंगों को मिलाने का आरोप लगाया था। उस वक़्त मज़दूरों की लड़ाई में वृंदा करात ने समर्थन व साथ दिया था। मनुष्य अंग होने की शंका तब हुई जब एक अंगुली की हड्डी में अंगूठी पाया गया। इससे ज़ाहिर था कि वो हड्डी किसी मनुष्य की थी। इसपर मज़दूर भड़क गए और हड्डी का चूरा मिलाये जाने की बात बाहर आ गयी।

बाद में 21 मई 2005 को हरिद्वार के श्रमायुक्त ने कंपनी प्रबंधन व मज़दूरों में समझौता करा दिया। समझौते के तहत जब दूसरे दिन मज़दूर सुबह कामपर गए तो उन्हें गेट से वापस भगा दिया गया। श्रम अदालतों से लेकर हाई कोर्ट तक मज़दूरों ने यह लड़ाई सीटू के नेतृत्व में लड़ी। और हाई कोर्ट ने मज़दूरों को बड़ी राहत देते हुए दिव्य योग फार्मेसी को आदेश दिया है कि वो 93 मज़दूरों को वापस काम पर रखे और 2005 से तेरह वर्षों का वेतन भी दे जो कि 14.50 करोड़ होता है। मज़दूरों की यह एक बड़ी जीत है। सारे मज़दूरों के साथ सीटू को बधाई……

यह खबर 9 जनवरी के फाइनेंसियल एक्सप्रेस में निकला है। पर हिंदी के किसी अखबार में मैंने यह खबर अभी तक नहीं देखी।

 



 

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