SSC आंदोलन के समर्थन में भूख हड़ताल, जनसुनवाई आज!

दिल्ली में एसएससी परीक्षा में हुई धांधली के ख़िलाफ़ शुरू हुआ आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है।16 मार्च को दिल्ली सहित देश के कई शहरों में आंदोलनकारियों से एकजुटता दिखाते हुए भूख हड़ताल शुरू की गई। वहीं 17 मार्च को शाम 5 बजे से आठ बजे तक दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक जनसुनवाई रखी गई है जिसमें बेरोज़गारी से त्रस्त प्रतियोगी परीक्षार्थी अपने साथ होने वाले अन्याय की कहानी सुनाएँगे। पिछले दिनों बेरोज़गारी के मुद्दे को राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में लाने के लिए शुरू हुए रोज़गार माँगे इंडिया अभियान की ओर से एसएससी घोटाले के ख़िलाफ जारी आंदोलन के समर्थन की अपील जारी की गई है जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं–संपादक

एसएससी घोटाले के खिलाफ हजारों नौजवानों के आंदोलन के समर्थन में एक अपील

 

27 फरवरी से, हजारों छात्र स्टाफ सलैक्शन कमीशन के दिल्ली स्थित मुख्यालय सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों के सामने एसएससी परीक्षाओं में हुए बड़े घोटाले और पेपर लीक मामले के खिलाफ प्रदर्शनरत हैं। एसएससी कई केन्द्रीय मंत्रालयों के लिए लोअर डिवीजन क्लर्क, इन्कम टैक्स इन्सपैक्टर और सीबीआई के सब इन्सपैक्टर जैसे कई नॉन-गैजेटड पदों पर भर्ती के लिए विविध परीक्षाएँ आयोजित करवाती है।

इस वर्ष 17 से 22 फरवरी के बीच SSC Combined Graduate Level Examination (CGL – Tier II ) हुआ था। करीब 9,372 पदों के लिए 1,89,843 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। यहाँ हम इस पूरी परीक्षा प्रक्रिया में हुए भ्रष्टाचार के कुछ स्पष्ट सुबूत रखना चाहते हैं।

17 फरवरी को दिल्ली में परीक्षा से पहले ही एक प्रतिभागी के पास से उत्तर कुंजी बरामद होने का मामला सामने आया। उसी दिन एसएससी ने दिल्ली के एनीमेट इन्फोटैक नामक परीक्षा केन्द्र पर दूसरी शिफ्ट की परीक्षा रद्द कर दी गई।

21 फरवरी को,  उस समय चल रही परीक्षा की उत्तर कुंजी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। पेपर लीक के सुबूत के तौर पर व्हिसिलब्लोअर फेसबुक पेज ‘‘एसएससी ट्यूब’’ ने भी इसे उसी समय प्रकाशित कर दिया। परीक्षा 12:30 बजे शुरु हुई थी और 12:32 बजे यह पेपेर रिमोट एक्सेस के जरिए ऑनलाइन लीक हो गया। नतीजतन, एसएससी ने 21 फरवरी को सुबह की शिफ्ट में आयोजित परीक्षा को रद्द कर दिया।

24 फरवरी को एसएससी ने घोषणा की कि 21 फरवरी वाली परीक्षा 9 मार्च को दोबारा आयोजित की जाएगी। लेकिन एसएससी ने पेपर लीक और भ्रष्टाचार के आरोपों को स्वीकार नहीं किया। इसकी बजाय उसने बयान जारी किया कि यह सारी समस्या दरअसल किसी तकनीकि कारण से पैदा हुई थी।

आश्चर्यजनक तरीके से, इसके ठीक एक सप्ताह बाद ही, 4 मार्च के नोटिफिकेशन के हवाले से इसी एसएससी ने प्रदर्शनकारियों से वादा किया कि वह सरकार से सीजीएस टियर-2 परीक्षा की सीबीआई जाँच कराने का अनुरोध करेगी।

यदि एसएससी परीक्षा में सच में ही कोई तकनीकी दिककत हुई थी तो इस कमीशन ने खुद ही यह क्यों कहा कि यह इस मामले की सीबीआई जाँच करवाने की माँग करेगी? उत्तर बिल्कुल साफ है: एसएससी खुद परीक्षाओं में हो रहे भ्रष्टाचार के सबूतों को अनदेखा नहीं कर पा रही है। मगर वह लगातार प्रदर्शनकारियों को जाँच करवाने का झूठा आश्वासन दिए जा रही है।

इसके अलावा, 5 मार्च को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने एसएससी घोटाले के संबंध में सीबीआई जाँच का आदेश दे दिया है। पहली बात तो यह कि अगर, जैसा कि एसएससी ने दावा किया था कि सारा मामला दरअसल तकनीकि समस्या से संबंधित है, तो गृहमंत्री ने सीबीआई जाँच का आश्वासन क्यों दिया? और भी ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि इस आश्वासन के करीब दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी मंत्रालय द्वारा इस घोटाले की सीबीआई जाँच करवाने का कोई आधिकारिक आदेश पारित नहीं किया गया है। आखिर सरकार इस आंदोलन को खत्म करने के लिए बारम्बार झूठे वादे क्यों कर रही है? क्या यह देशहित में नहीं होगा कि इस भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को सजा दी जाए?

हम यह भी बता देना चाहते हैं कि यह अकेले एसएससी सीजीएल टियर-2 का मामला नहीं है। 4 मार्च को एसएससी एसएचएसएल (10+2) परीक्षा में भी एक अभ्यर्थी दस से ज्यादा एडमिट कार्ड्स के साथ पकड़ा गया। एक ही व्यक्ति, उसी नाम और फोटो के साथ अलग-अलग रोल नंबर्स, टिकट नंबर्स और पहचान पत्र के एडमिट कार्ड्स आखिर कैसे हासिल कर सकता है। यह सब इस पूरी चयन प्रक्रिया में हो रहे जबर्दस्त भ्रष्टाचार को स्पष्ट करता है।

एसएससी ऑफिस पर तैनात पुलिसकर्मी लगातार प्रदर्शनकारी छात्रों को डरा-धमका रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने की साजिश के तहत आसपास के मैट्रो स्टेशनों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर स्थित शौचालयों को भी बंद करवा दिया गया। अधिकारियों द्वारा कई माध्यमों से प्रदर्शनकारी छात्रों को डराया जा रहा है कि उनके नाम और फोटो की फाइल बनाई जा रही है और अगर वे यहाँ से न हटे तो आगे उन्हें नौकरी के किसी भी अवसर से हाथ धोना पड़ेगा।

अमानवीयता की हद तो तब हो गई जब एसएससी के चेयरपर्सन ने 6 मार्च को खुले आम एक नोटिस जारी कर प्रदर्शनकारियों पर कार्यवाही करने की धमकी दे डाली। यह नोटिस उस सीबीआई जाँच के बारे में, जो अब तक शुरु ही नहीं हुई है, कहता है कि ‘‘इस जाँच को और व्यापक बनाते हुए उन बाहरी तत्वों की संलिप्तता की भी जाँच की जाएगी जो इस विरोध प्रदर्शन को भड़का और पोषित कर हजारों गंभीर अभ्यर्थियों के भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं।’’

यह स्पष्ट है कि इस पूरे मामले में परीक्षा आयोजित करवाने वाले एसएससी अधिकारियों और प्राइवेट वैन्डर ‘‘सिफी’’ के निहित स्वार्थ सामने आ रहे हैं। एसएससी सीधे केन्द्र सरकार के मातहत आती है, और सरकार पर इस मामले में साफ बच निकलने का दवाब है। इसीलिए आंदोलनकारी छात्र यह मांग कर रहे हैं कि केन्द्र सरकार एसएससी भर्ती परीक्षा प्रक्रिया पर तुरंत ही एक स्वतंत्र सीबीआई जांच शुरु करवाए। जब तक पेपर लीक और भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा नहीं होती और एसएससी के अधिकारियों व सिफी की मिलीभगत का खुलासा नहीं होता तब तक आगामी भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता की गारंटी नहीं की जा सकती। इसलिए महज दोबारा परीक्षा आयोजित करवा देने भर से इस मसले को हल नहीं किया जा सकता क्योकि लाखों उम्मीदवारों का भविष्य खतरे में है।

आज 16 मार्च को एसएससी पर प्रदर्शनरत नौजवानों के समर्थन में दिल्ली व पटना सहित देश के तमाम हिस्सों में हजारों छात्र-नौजवानों ने सामूहिक भूख हड़ताल शुरु कर दी है। रोजगार मांगे इंडिया अभियान का प्रतिनिधित्व करते हुए आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता डे भी आज इस भूख हड़ताल में शामिल रहीं। सिविल सोसाइटी के साथ ही मीडिया को भी इस प्रकरण का तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। हम भी सभी सांसदों से अपील करते हैं कि वे संसद में एसएससी घोटाले की स्वतंत्र सीबीआई जांच की मांग उठाएं।

 

 



 

 

 

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