पटना के पत्रकार ‘टाइम्स नाऊ’ से बेहद ख़फ़ा हैं। दरअसल, इस चैनल के पत्रकार प्रशांत कुमार ने दिल्ली से जाकर जद (यू) महासचिव श्याम रजक के घर चाय पी और बहाने से स्टिंग कर लिया। इस स्टिंग में श्याम रजक यह कहते देखे जा सकते हैं कि तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ नीतीश कुमार की कठोर मुद्रा महज़ दिखावा है। सबको कुर्सी प्यारी है। नीतीश को कुर्सी और लालू यादव को परिवार बचाना है। महागठबंधन को कोई ख़तरा नहीं है। यह स्टिंग 18 जुलाई को चैनल पर प्रसारित हुआ।
आमतौर पर पत्रकार तमाम नेताओं के साथ चाय-पानी के दौरान तमाम ऑफ दि रिकार्ड बात करते हैं और ख़बरें सूँघते हैं। सूत्रों की जानकारी कभी नहीं दी जाती। पटना के पत्रकारों का कहना है कि इस स्टिंग के ज़रिए टाइम्स नाऊ के प्रशांत कुमार ने भरोसे का ख़ून किया है। ऐसे तो पत्रकारों के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा। इस संबंध में पटना के पत्रकारों की कल एक बैठक भी हुई जिसमें स्टिंग की कड़ी निंदा करते हुए कार्रवाई की माँग की गई।
इस बैठक की जानकारी देते हुए न्यूज़ 24 के पत्रकार अमिताभ ओझा की फ़ेसबुक टाइमलाइन पर किन्हीं कैप्टन अभिषेक चंद्रा (फ़ेसबुक प्रोफाइल में परिचय नहीं दिखता। लेकिन एक तस्वीर लगी है जिससे पता चलता है कि स्टार न्यूज़ से संबंधित रहे हैं) ने 19 जुलाई लिखा —
कैप्टेन अभिषेक चन्द्रा. with Prashant Kumar and Amitabh Ojha.
20 hrs ·
यह स्टिंग नही, भरोसे का खून है…मीडिया फ़ॉर आल
“18 जुलाई को पटना में अंग्रेजी चैनल Times Now पर जेडीयू विधायक और पूर्व मंत्री श्याम रजक का एक स्टिंग को दिखाए जाने को लेकर आज पटना के पत्रकारों ने बैठक कर आपत्ति जताई है ।स्टिंग में चाय पीने के बहाने दिल्ली से आये एक पत्रकार जेडीयू विधायक के घर जाता है और उनसे पहले चाय पीने की बात करता है फिर नाश्ता आता है इसी दौरान अनौपचारिक बात शुरू होती है।इसी दौरान श्याम रजक ने कुछ ऑफ दी रिकॉर्ड बाते की जिसे तोड़ मरोड़ कर दिखाया गया।
पटना के सभी प्रमुख चैनल के पत्रकारों ने आज एनडीटीवी के दफ्तर में बैठक की।इस बैठक में मौजूद सभी पत्रकारों ने इस स्टिंग पर आपत्ति जताई। बैठक में सभी ने माना कि मीडिया में स्टिंग का चलन पुराना है पर यह स्टिंग एक प्रायोजित था। पत्रकारिता में सूत्र होता है जो महत्वपूर्ण अवयव है। सूत्र का नाम बताने की कोई ज़रूरत नहीं होती है। हर कोई कुछ बातें शेयर करता है जो बिल्कुल निजी होता है। हम सभी किसी न किसी के बारे में बात करते हैं । ये सबकी निजता होती है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। अखबार या टीवी में पत्रकार आज़ादी मिली है उसका सम्मान हो ।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए एनडीटीवी के मनीष कुमार ने कहा कि यह मीडिया के लिए शर्मनाक है। ऐसी हरकत कर उक्त संवाददाता ने पूरी मीडिया को बदनाम किया है। जबकि एबीपी न्यूज़ के प्रकाश कुमार ने कहा इस मुद्दे को लेकर उचित फोरम में शिकायत दर्ज कराई जाएगी। बैठक में रिपब्लिक टीवी के प्रकाश सिंह ने कहा कि यह भरोसे का खून है। जबकि जी न्यूज के ब्रजेश मिश्रा ने कहा कि ऐसी स्थिति में कोई अधिकारी और नेता पत्रकारों को घर मे नही घुसने देगा। बैठक में न्यूज़ 24 के अमिताभ ओझा और लाइव सिटीज के ज्ञानेश्वर ने कहा कि इस मामले को लेकर एनबीए में शिकायत की जानी चाहिए।
बैठक में टेलीग्राफ के दीपक मिश्रा, रमाशंकर मिश्रा, सहारा के आशुतोष,न्यूज 24 से सौरव,टाइम्स नाउ के श्याम सुशोभित ,आजतक के रोहित कुमार और कैमरामैन नदीम,दैनिक जागरण के भुवनेश्वर वात्स्यायन, शैलेश कुमार ,सूरज कुमार उपस्थित थे।
Text Courtesy: Shri Amitabh Ojha.”
बहरहाल, टाइम्स नाऊ के स्टिंगकार प्रशांत कुमार ने भरपूर पलटवार करते हुए कहा है कि नेताओं और मंत्रियों से फ़ायदा उठाने वाले पत्रकार प्रश्न पूछने का साहस नहीं दिखा सकते। उनका काम सच्चाई सामने लाना था ताकि जनता को पता चले कि सुशासन बाबू की हक़ीक़त क्या है। उन्होंने फ़ेसबुक पर पटना की मीडिया पर तंज कसते हुए पूछा है कि क्या वह भी महागठबंधन का हिस्सा है ? उन्होंने एक नारे के साथ अपनी बात ख़त्म की है- बिहार में बहार है, मीडिया ही सरकार है !
पढ़िए-
Gone are the days when politicians or parties used to go into a nutshell and hold meetings after being exposed/stung by news channels, because ganging up against reporters of the national bureau who get the explosive stories is the new fad in the town, especially in Bihar, my Bihar’s capital PATNA!
It was just yesterday when me and my brilliant video journalist Imran carried out a series of sting operations in order to get to the bottom of the political tango that has been on in Bihar for weeks, especially after Tejaswi Yadav’s name was mentioned on CBI’s FIR and the various reports of Susashan Babu Nitish Kumar seeking an explanation and growing rift within the Mahagathbandhan.
It was an exercise aimed at bringing out truth, what my job is, that people should know.
Everything went as per plan and one among those stung was Shyam Rajak, a former Lalu confidante and current JDU MLA.
The man spoke out his mind which he wouldn’t have done otherwise on record. He exposed how Nitish’s “Iron Man” posturing was only for cameras and nothing else.
“Dono ko kursi pyari hai. Kuch gadbad nahi hai gathbandhan me. Unko apni kursi pyari hai or Lalu ji ko apne pariwar ki,” said Rajak, exposing Nitish, his very own leader.
It was a story that sent ripples across political circles and put Nitish’s “anti-corruption crusader” image under serious scanner. The story was played big on my channel and garnered eyeballs of everyone.
But, even before the leaders could react, the local “Journalists”, BIG JOURNALISTS, came up with their reactions. Surprisingly, instead of lauding me for my report, they ganged up against me and chose to do a meeting to “condemn” the story.
Those reporters who were forced to come out of their hibernation by their bosses took it on their ego and held a joint meeting, ridiculing me for my stings.
To those attended and later sent out a release, I just want to ask three questions:
1- Why are you so hurt? Isn’t stinging those in power a common practice in Journalism?
2- Why didn’t you muster courage and question those in power who you take numerous favours from?
3- Are you also a part of the Mahagathbandhan?
And at the end, let me also say that it was just a TEASER and “Picture abhi baaki hai”! Thanks to all my friends, bosses and Times Now for standing behind me!
Bihar me bahaar hai, media bhi Sarkaar hai!
Jai Hind.
वहीं, पटना के एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि यह ग़ुस्सा टाइम्स नाऊ से पिछड़ जाने की वजह से भी हो सकता है। वरना स्टिंग को लेकर कोई तय मानक आज तक नहीं बने हैं। दूसरे चैनल वाले भी ऐसे ही स्टिंग करते रहते हैं। स्टिंग हमेशा ही भरोसे का ख़ून होता है।