अभिषेक श्रीवास्तव / गोरखपुर
पूर्वांचल में अपने पक्ष में खबरों को छपवाने और अपने विरोध की खबरों को रोकने के लिए अखबारों के ऊपर प्रत्याशी जबरदस्त खर्च कर रहे हैं। इस मामले में भाजपा, सपा-कांग्रेस और बसपा सभी के प्रत्याशी बराबर के हिस्सेदार हैं।
एक प्रमुख स्थानीय अखबार के मार्केटिंग मैनेजर बताते हैं कि चुनाव आयोग को अखबारों ने विज्ञापन का अलग रेट बताया है लेकिन प्रत्याशियों के लिए विज्ञापन के अलग पैकेज जारी किए हैं। इस पैकेज में विज्ञापन के अलावा प्रत्याशी की गतिविधियों से जुडी खबरों का प्रकाशन भी शामिल है। फुल पेज के विज्ञापन का रेट गोरखपुर में 10.5 लाख से लेकर 20 लाख तक चल रहा है। मार्केटिंग मैनेजर बताते हैं, ”अब तक अग्रवाल 60 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं विज्ञापन पर।”
जिस दिन भाजपा प्रत्याशी अग्रवाल का प्रचार के दौरान भारी विरोध हुआ, उस दिन जागरण के संवाददाता मौके पर मौजूद थे। उन्होंने इस संबंध में खबर बनाकर प्रकाशन के लिए आगे बढ़ाई। पता चला कि देर शाम प्रत्याशी की ओर से एक विज्ञापन आ गया और ख़बर रुक गई।
(बाएँ ऊपर सहारा का एक पन्ना है जिसमें बक्से बनाकर तमाम विज्ञापन छपे हैं, ख़बर की शक्ल में। )
गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर जिले में बताया जा रहा है कि सभी प्रत्याशी अखबारों पर खर्च करने के मामले में एक दूसरे की नाक काट रहे हैं।
इसके उलट आज़मगढ़ में हालत ये है कि अखबारों ने प्रत्याशियों के सामने न्यूनतम डेढ़ लाख के पैकेज की शर्त रखी थी। निजामाबाद सीट पर बसपा ने इस पैकेज को नहीं लिया तो अखबारों ने बसपा को पूरी तरह नकार दिया। यहां सपा और भाजपा की ही खबरें छप रही हैं।
एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि दैनिक हिंदुस्तान अपने पहले पन्ने पर ‘चुनावी हलचल’ के नाम से एक नियमित स्तंभ प्रकाशित कर रहा है। इस स्तंभ में छपी सारी खबरें पैसे लेकर पैकेज के अंतर्गत लिखी जा रही हैं।
(दायें नीचे जागरण का एक पेज, जिसमें बाक्स बनाकर डेटलाइन सहित एक ख़बरनुमा विज्ञापन है। पिपराइच से बीजेपी प्रत्याशी महेंद्र पाल सिंह के प्रचार से जुड़ी चार तस्वीरों के साथ उनके तमाम दावे बताये गये हैं। नीचे कोने में छोटा सा advt लिखा है जिसका अर्थ पिपराइच में कितने लोग जानते होंगे कहना मुश्किल है। यही विज्ञापन होने की गवाही है )