संजय कुमार सिंह
अकबर के पुराने अखबार ‘द टेलीग्राफ’ ने इसे, “मीटू मीट्स एडिटर एमजे हू वील्ड्स लीगल क्विल” (मीटू का मुकाबला संपादक एमजे से हुआ जो कानून की वंशी रखते हैं) शीर्षक से छापा है। अखबार ने अकबर की सिर से नख तक की फोटो प्रिया रमानी और दूसरी मीटू आरोपियों के पक्ष के साथ सात कॉलम में आधे से ज्यादा पेज पर छापा है। आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों में प्रिया रमानी का बयान शीर्षक है, “ट्रुथ इज बेस्ट डिफेंस” (सच्चाई सर्वश्रेष्ठ बचाव है)। रमानी ने कहा है कि अवमानना के किसी भी मामले में सच्चाई सर्वश्रेष्ठ बचाव है और वे चिन्तित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मीटू अभियान में अकबर के खिलाफ कोई साजिश नहीं है और उनसे अलग, हममें से किसी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। टेलीग्राफ समेत अंग्रेजी के अखबार अकबर के खिलाफ आरोप लगातार छाप रहे थे और आज उनका पक्ष छापा है तो आरोप लगाने वालों का पक्ष भी है। अखबार ने अकबर के खंडन के बारे में लिखा है, “खंडन पर पत्रकार जो अकबर थे, के हस्ताक्षर हैं में यह सूचना दी गई है कि वे तैर नहीं सकते और संपादक का उनका क्यूबिकल छोटा था, से पता चलता है कि कनिष्ठ विदेश मंत्री चाहते हैं कि आरोपों का ‘वायरल बुखार’ कानून की चलनी से छने।”
दैनिक जागरण ने भी इस खबर को खबरों के अपने पहले पन्ने पर लीड बनाया है। शीर्षक है, “आरोप झूठे, करेंगे कानूनी कार्रवाई : अकबर”।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि किसी केंद्रीय मंत्री के विदेश में रहने पर उनके खिलाफ कई दिनों तक आरोप लगें और जब वे लौटकर आरोपों का खंडन करें और कहें कि कानूनी कार्रवाई करेंगे – तो खबर महत्वपूर्ण है और लीड ही बननी चाहिए। पर सवाल यह है कि अंग्रेजी में लगाए गए जिन आरोपों को हिन्दी अखबारों ने छापा ही नहीं उन आरोपों के बारे में पाठको को कैसे पता चलेगा और पाठकों को आरोप बताने की जरूरत है कि नहीं? हिन्दी के जिन अखबारों ने आरोप छापे मैं उनकी बात नहीं कर रहा हूं। मैं उनकी बात कर रहा हूं जिन्होंने आरोप को तो जगह नहीं दी पर आरोपों से मानहानि की बात कर रहे हैं और अपने पाठकों को बता रहे हैं कि मंत्री जी कानूनी कार्रवाई करेंगे। मैं यह समझने की कोशिश कर रहा हूं कि अखबार पाठकों को आरोपों की कितनी जानकारी दे रहें हैं या दी है या देने का इरादा रखते हैं। दैनिक जागरण ने पांच कॉलम की अपनी लीड खबर में अकबर के खंडन के साथ एक कॉलम, 12 लाइन में छापा है, यह है मामला। अकबर का बयान पूरे विस्तार से है। पहले पेज पर संबंधित खबरें पेज 2 और 9 पर होने की सूचना है लेकिन इनमें आरोप या आरोप लगाने वालों का पक्ष नहीं है। नवोदय टाइम्स ने इस खबर का शीर्षक लगाया है, कानूनी कार्रवाई की धमकी और इस्तीफे की भी उड़ी अफवाह शीर्षक से एक खबर बॉक्स है और इस लिहाज से यह भले संतुलित लगे पर आरोपों का जिक्र या आरोप लगाने वालों से बातचीत यहां भी नहीं है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।