कश्मीर के उरी में सेना पर हुए हमले के बाद दो दिनों के भीतर जिस तरीके से सरहद की दोनों ओर तनाव बढ़ा है, उसका सीधा शिकार दोनों देशों में पत्रकारों को होना पड़ रहा है। दिलचस्प है कि भारतीय पत्रकारों को न केवल पाकिस्तान में, बल्कि अपनी धरती पर भी अपना काम करने के सिलसिले में ज़लील होना पड़ रहा है।
दो दिन पहले जब पाकिस्तान में विदेश सचिव की प्रेस कॉन्फ्रेंस से एनडीटीवी की अमेरिका ब्यूरो प्रमुख नम्रता बरार को बाहर निकाला गया था, तो काफी हो-हल्ला हुआ था। ज़ाहिर है, प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाकर सवाल पूछना एक पत्रकार के पेशे का हिस्सा है और उसमें मुल्कपरस्ती जैसी चीज़ दोनों ओर से आड़े नहीं आनी चाहिए, लेकिन तनाव के माहौल ने पत्रकारों को अपना काम करना भी मुश्किल कर दिया है।
नम्रता बरार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर निकाले जाने पर ट्वीट किया था: ”पाकिस्तान की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया ‘इंडिया को निकालो’। आश्चर्य नहीं, हम भी शायद ऐसा ही करेंगे…।”
Told “Indian ko nikalo” at #Pakistan press con #UNGA #UriAttacks. Not surprised, we would probably do the same…
— Namrata Brar (@namratabrar) September 20, 2016
एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी भी भारतीय पत्रकार को प्रवेश नहीं करने दिया गया था। बेशक, एक दिन बाद हमने ऐसा ही किया जैसा नम्रता ने कहा था। फ़र्क बस इतना था कि इस बार घटना भारत में हुई और पत्रकार पाकिस्तानी नहीं, भारत का था जिससे हिंदुस्तानी होने का सर्टिफिकेट मांग लिया गया और इस बहाने सवाल को टाल दिया गया।
इसे विडंबना ही कहेंगे कि भारत में भारत के ही पत्रकार को पाकिस्तान के बारे में सवाल पूछने पर लताड़ा गया और ऐसा करने वाला और कोई नहीं बल्कि पूर्व क्रिकेटर कपिलदेव थे। मुंबई में मंगलवार को आयोजित कबड्डी विश्व कप की प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीवी के एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि अमदाबाद में 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे टूर्नामेंट में पाकिस्तान को क्यों नहीं बुलाया गया है। इस सवाल पर कपिल देव बिफर गए, जबकि सवाल उनसे निजी रूप से नहीं पूछा गया था बल्कि आयोजक समिति से था।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक कपिल देव गुस्से में बोले, ”अगर आप हिंदुस्तानी हो तो ये प्रश्न पूछना ही नहीं चाहिए। आज ये प्रश्न पूछने का मंच नहीं है।” सवाल जायज़ था क्योंकि दो महीने पहले जब आयोजन के तीसरे संस्करण की घोषणा की गई थी, तब पाकिस्तानी टीम की भागीदारी का एलान किया गया था लेकिन महज़ हफ्ते भर पहले रोस्टर से पाकिस्तानी टीम का नाम नदारद पाया गया।
कपिल देव अपनी कुर्सी से उठा कर पत्रकार को देखते हुए खड़े हो गए। जब उन्हें बताया गया कि सवाल विश्व कप से जुड़ा है और इसका उरी के हमले से कोई लेना-देना नहीं है, तो वे बोले, ”आपको ये प्रश्न पूछना नहीं चाहिए।” इसके तुरंत बाद कपिल देव से एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि हालिया हमले की सूरत में क्या भारत को पाकिस्तान के साथ खेलों में हिस्सा लेना चाहिए।
इस पर कपिल बोले, ”देश अगर हमें किसी के खिलाफ खेलने को कहेगा तो कोई इनकार नहीं करेगा। जो देश चाहेगा, हम करेंगे। अगर देश चाहेगा कि हम जाकर कुएं में कूद जाएं, तो हम कूद जाएंगे।”
देशभक्ति की आड़ में पत्रकारों को अपना काम करने से रोकना या उनके पेशेवर काम में बाधा डालना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार सरहद की दोनों ओर हुई घटनाएं भारतीय पत्रकारों के साथ घटी हैं। बड़ी दिक्कत है कि पाकिस्तान में आप अपना काम इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि आप हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तान में आप अपना काम इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि आप हिंदुस्तानी हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो पत्रकारों के मामले में दोनों देशों का रवैया एक जैसा ही है।
अफ़सोस की बात यह है कि नम्रता बरार ने अपने यहां ऐसी घटना होने की आशंका जतायी थी जो ज़ाहिर है पाकिस्तानी पत्रकार के संदर्भ में ही थी लेकिन उन्हें अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि भारतीय पत्रकार को ही देशभक्ति के नाम पर चुप करा दिया जाएगा।
फोटो: साभार मिड डे