सवर्ण आरक्षण के ख़िलाफ़ 12-13 जनवरी को राष्ट्रवादी प्रतिवाद का ऐलान !

10 फ़ीसदी आर्थिक आरक्षण दरअसल सवर्ण आरक्षण साबित हुआ है।

मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर जिस 10 फ़ीसदी आरक्षण की घोषणा की है, वह अपने मूल में सवर्ण आरक्षण साबित हुआ है। संशोधन की भाषा से स्पष्ट है कि इसका लाभ उन्हें नहीं मिल सकता जो पहले से आरक्षित वर्गों में हैं। इस तरह से सभी वर्गों के लिए उपलब्ध लगभग 50 फ़ीसदी सीटें अब 40 फ़ीसदी ही रह जाएँगी।

सरकार की इस चालाकी को पकड़ते हुए पूरे देश में आंदोलन का माहौल बन रहा है। महाराष्ट्र में ओबीसी में ओबीसी संघर्ष समन्वय समिति ने 25 फरवरी को राज्यभर में रैली निकालने का ऐलान कर दिया है। उसका कहना है कि जब 50 फीसदी आरक्षण की सीमा सरकार तोड़ रही है तो फिर ओबीसी को मिल रहा 27 फ़ीसदी आरक्षण कम से कम 52 फीसदी किया जाए जितनी की उनकी आबादी है।

उधर, यूपी में भी आंदोलन खड़ा हो गया है। घोषणा को संविधान पर हमला बताते हुए दूसरे दिन हजरतगंज में एक धरना आयोजित किया गया था। अब मानवाधिकारों के लिए अपने संघर्ष के लिए चर्चित रिहाई मंच ने दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रतिवाद आयोजित करने का ऐलान किया है। मंच के नेता राजीव यादव की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘सवर्ण आरक्षण के ज़रिये संविधान पर हमले के खिलाफ आम सहमति बनी है कि 12-13 जनवरी को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद किया जाएगा। ये जुमला नहीं हमला है। आइए एक जुट होकर देश को तोड़ने वाली ताकतों को बता दें की हम संविधान के साथ कोई खिलवाड़ नहीं सहेंगे।’

रिहाई मंच की ओर से कहा गया है कि जो भी संगठन इस आह्वान को लागू करने में भागीदार बनना चाहते हैं, सहमति प्रदान करें। उन्हों इस संबंध में दो व्हाट्सऐप नंबर भी दिए गए हैं–

WhatsApp 9452800752, 7275296568

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