Mumbaiwalla.com चलाने वाले पत्रकार सौमित सिंह ने की ख़ुदकुशी!

Saumit Sinh with Mukesh and Neeta Ambani (Courtesy FB)

 

बंद हो चुकी विवादित वेबसाइट मुंबईवाला डॉट कॉम चलाने वाले डीएनए के पूर्व पत्रकार सौमित सिंह ने सोमवार की सुबह पूर्वी दिल्‍ली के मधु विहार स्थित अपने आवास पर फांसी से लटक कर खुदकुशी कर ली। इसकी खबर मंगलवार की सुबह दि हिंदू ने प्रकाशित की है। सौमित कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ गए हैं। पुलिस के बयान के मुताबिक ”दो साल की बेरोज़गारी के चलते वे अवसाद में थे”। इस ख़बर से अचानक उन तमाम पत्रकारों को झटका लगा है जो सौमित को काफी पहलेे से जानते थे।

डीएनए की नौकरी पांच साल पहले छोड़ने के बाद सौमित ने मुंबईवाला डॉट कॉम नाम की वेबसाइट शुरू की थी और इस पर कारोबारी जगत की एकाध खबरें ब्रेक की थीं जिनके चलते उन पर मुकदमे भी हुए थे। ऐसा ही एक मामला काफी चर्चित रहा था जिसका विश्‍लेषण न्‍यूज़लॉन्‍ड्री ने अपने यहां छापा था और उससे मुंबईवाला की ब्रेक की हुई ख़बर पर संदेह की स्थिति भी कायम हुई थी। बाद में सौमित को वेबसाइट बंद करनी पड़ी और वे कथित तौर पर नौकरी की तलाश में दिल्‍ली चले आए। उनके मित्रों का कहना है कि यहां दो साल से बेरोज़गारी के चलते वे अवसाद में चले गए थे।

सौमित ने 30 अप्रैल को आखिरी फेसबुक पोस्‍ट शेयर की थी। उससे पहले वे फेसबुक समेत तमाम मंचों पर काफी सक्रिय थे। ट्विटर पर उनकी आखिरी ट्वीट 12 मार्च की है। उससे पहले सौमित लगातार सामाजिक-राजनीतिक मसलों पर टिप्‍पणी करते थे। पीटर मुखर्जी और इंद्राणी वाले मामले में उन्‍होंने इस बात का उद्घाटन किया था कि उनके पकड़े जाने से मुकेश अंबानी को कैसे कारोबारी नुकसान होगा। मुंबईवाला बंद होने के बाद यह स्‍टोरी अब कहीं नहीं है।

 

 

 

उनके मित्र बताते हैं कि पिछले साल असहिष्‍णुता पर चली बहस के दौरान उनके रखे पक्ष से कुछ करीबी मित्रों को बहुत दुख हुआ था और सौमित अकेले पड़ गए थे।सौमित ने 25 नवंबर को फेसबुक पर असहिष्‍णुता के मसले पर आमिर खान के बयान की आलोचना करते हुए यह लिखा था, जिसके बाद कुछ करीबी मित्रों की ओर से आश्‍चर्यजनक प्रतिक्रियाएं आई थीं:

 

 

मंगलवार की सुबह सौमित की मौत की ख़बर सामने आने पर काफी प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर देखने को मिल रही हैं। दैनिक भास्‍कर से जुड़े रहे पत्रकार शरद गुप्‍ता ने यह प्रतिक्रिया दी है: 

आज सुबह इस खबर को पढ़कर जो धक्का लगा, क़ाबिले बयान नहीं है। मैं Saumit Sinh को जानता था। शायद हम फ़ेसबुक पर ही मिले थे। वह लखनऊ का रहने वाला था। नौकरी मुंबई में कर रहा था। मिडडे, डीएनए जैसे कई अख़बारों में काम किया। फिर एक वेबसाइट शुरू की – Mumbaiwalla. बड़ा अचरज हुआ। तीस साल की उम्र में किसी मीडिया संस्थान की नियमित आय वाली नौकरी छोड़कर अनिश्चित आय और भविष्य वाला अपना काम शुरू करना पत्रकारों के लिए किसी बड़े जोखिम से कम नहीं होता।

लेकिन उसने यह जोखिम उठाया। कुछ अच्छी ख़बरें ब्रेक कीं। उसकी एक खबर उसकी वेब साइट से साभार लेकर मैंने भी दैनिक भास्कर की संडे जैकेट पर छापी थी।

वही हुआ जिसकी आशंका थी। वेबसाइट चली नहीं। कई मुकदमे हुए। सौमित ने नौकरी खोजनी शुरू की। दिल्ली शिफ़्ट हो गया। यहीं हमारी पहली मुलाकात हुई। लेकिन रेग्यूलर काम से ब्रेक सीवी में धब्बा माना जाता है। अनुभव और प्रतिभा से ज्यादा कद्र सीवी में लिखे शब्दों की होती है। अख़बार में छपा है – वह दो साल से बेराजगार था। वह डिप्रेशन का शिकार था। दवाइयाँ ले रहा था।

सौमित तीन-चार महीने पहले मुझे प्रेस क्लब में मिला था। अजीब सी बातें कर रहा था। सभी के प्रति अजीब सा ज़हर भरा था उसके मन में। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था। लेकिन ऐसा क़दम उठाएगा, कभी कल्पना भी न थी।

इस प्रकरण से एक बात समझ आती है – यह हाल उनका है जो ‘सिस्टम’ से तालमेल नहीं बिठा पाते हैं। सरवाइवल के लिए अख़बार या टीवी चैनल का मुँह ताकते हैं। अगर सौमित ने भी अपने संबंधों को इस्तेमाल कर कॉरपोरेट्स/बिज़नेस घरानों के काम कराने शुरू कर किए होते तो वह दौलत से खेल रहा होता। सत्ता के गलियारों में सैकड़ों उसे सलाम ठोक रहे होते। कहीं कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन का हेड होता। काश….

काश…हम इस सिस्टम में बदलाव ला सकते।” 

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