स्याही की ताकत से साभार
उद्योगों के सामने शासन प्रशासन किस कदर नतमस्तक हो जाता है, इसका उदाहरण है कुनकुनी में दैनिक भास्कर अखबार के मालिकान की कंपनी डीबी पावर द्वारा बिछाई जा रही रेल लाइन।
विगत दो वर्षों से रायगढ़ जिला के खरसिया तहसील अंतर्ग्रत ग्राम कुनकुनी का आदिवासी जमीन घोटाला मीडिया की सुर्खियों में रहा है। घोटाले की गूंज दिल्ली तक पहुंची और अनुसूचित जनजाति आयोग ने संज्ञान लेते हुये रायगढ़ का दौरा भी किया।
22 जून 2017 को कुनकुनी में ग्रामीणों ने आयोग की टीम के सामने डीबी पावर द्वारा बिना भूअर्जन, बिना मुआवजा दिये जबरदस्ती रेल लाइन बिछाये जाने की बात भी रखी। आयोग की टीम ने स्वयं मौके का निरीक्षण भी किया। काम चालू पाया गया। मौके पर उपस्थित खरसिया एस.डी.ओ. ने टीम को बताया कि काम रोकने का आदेश पारित कर दिया गया है।
अब चौंकाने वाली जानकारी आ रही है कि काम रोकने का आदेश कभी दिया ही नहीं गया था। स्वयं जिला प्रशासन द्वारा आयोग को भेजे गये पत्र में इस बात का खुलासा किया गया है कि डीबी पावर द्वारा भूअर्जन की गई जमीन पर ही रेल लाइन बिछाई जा रही है इसलिये कोई कार्यवाही नहीं की गई।
ये बात ठीक है कि रेल लाइन के लिये 18.558 हेक्टेयर के लिये जमीन का भूअर्जन प्रक्रियाधीन था जिसमें अंतिम अवार्ड दिनांक 14.11.2017 को पारित हुआ। मतलब कि आयोग की टीम के जून 2017 दौरे के समय भूअर्जन प्रक्रियाधीन था।
अगर भूअर्जन की प्रक्रिया का विवरण देखें तो शासन किसी उद्योग के लिये भूअर्जन नही कर सकता। वह अपने अधीन जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र के नाम से भूअर्जन करता है। अंतिम अवार्ड पारित हो जाने पर छ.ग. स्टेट इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट कारपोरेशन उस जमीन को संबंधित उद्योग को लीज पर देता है। मालिकाना हक़ उद्योग एवं व्यापार केंद्र के पास ही होता है।
और भी चौंकाने वाली बात ये है कि सूत्रों के अनुसार अभी कुनकुनी की उस जमीन को डीबी पावर को लीज पर दिया ही नहीं गया है लेकिन काम धड़ल्ले से जारी है।