नेशनल हेराल्ड के संपादक वरिष्ठ पत्रकार नीलाभ मिश्र का आज सुबह चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। मिश्र काफी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। करीब एक महीने पहले उन्हें इलाज के लिए दिल्ली से चेन्नई ले जाया गया था जहां उनकी हालत धीरे धीरे बिगड़ती गई। लगभग डेढ़ महीने के इलाज के बाद आज सुबह 7:30 के करीब अपोलो अस्पताल के चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
नीलाभ मिश्र दिल्ली के कुछ गिने-चुने पत्रकारों में से एक थे जिन्होंने हिंदी पत्रकारिता में संपादक नामक संस्था की गरिमा को बरकरार रखा। पिछ्ले साल नेशनल हेराल्ड में आने से पहले करीब डेढ़ दशक तक आउटलुक हिंदी पत्रिका को अपनी सेवायें दी थीं।
2002 में पत्रिका के शुरु होने के बाद कुछ सालों तक वे संपादक आलोक मेहता के बाद नम्बर दो पर रहे। उनके पत्रिका से जाने के बाद नीलाभ ने लम्बे समय तक पत्रिका को अपनी कमान में लेकर उसको प्रकाशित किया ।
नीलाभ एक जनपक्षधर पत्रकार थे। मुख्यधारा की हिन्दी पत्रकारिता में वे समकालीन संपादकों में शायद इकलौते थे जिनका जनान्दोलनों से सम्पर्क बना हुआ था। उन्हें कभी भी किसी जनआन्दोलन में जंतर-मंतर या संसद मार्ग पर देखा जा सकता था।
नीलाभ लम्बे समय से अरुणा राय के मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS), पीयूसीएल, जन संस्कृति मंच आदि संगठनों से जुड़े हुए थे और इनके सरोकारों को पत्रिका में स्थान देते थे।
नीलाभ के जाने से हिन्दी पत्रकारिता में जनपक्षधर पत्रकारों की पीढ़ी को लगभग समाप्त कहा जा सकता है।