ग़ज़ब हाल है जनसत्ता का – सतयुग में आदमी की लंबाई 32 फिट !

ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ जब जनसत्ता को हिंदी का सबसे गंभीर अख़बार माना जाता था, लेकिन अब वहाँ ऐसी-ऐसी ख़बरें छपती हैं या ख़बरों के नाम पर ऐसा-ऐसा छपता है कि यक़ीन करना मुश्किल होता है। जनसत्ता ऑनलाइन में कल छपी एक अहम ख़बर थी युगों के बारे में जिसमें दावा किया गया था कि सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फिट होती थी और वह एक लाख साल तक जीवित रहता था।

पौराणिक किकेस्से-कहानी अपनी जगह, लेकिन अगर आज के कथित विद्वानों के ज़रिये ऐसी बातें प्रसारित करना क्या कहा जाएगा। मानव शरीर के विकास की अवधारणाओं की वैज्ञानिक व्याख्याएँ मौजूद हैं, उनके बीच 32 फिट के इंसान की कल्पना को यथार्थ बनाकर पेश करना पाठकों को मूढ़ समझने और बनाने के अलावा क्या है। अगर कोई यह कहे कि पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है, तो उसे क्या कहेेंगे ?

हो सकता है कि ऐसी ख़बरों से वेबसाइट को हिट्स मिलते हों, लेकिन ऐसा हर हिट हिंदी जगत को दो-चार कदम पीछे ढकेल देता है। यह ध्यान रखना चाहिए। वरना यह आरोप मानना ही होगा कि हिंदी पत्रकारिता ने हिंदी पट्टी में किसी चेतना के अंकुरण के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है।

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