रामलीला मैदान की सभा में रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एनआरसी पर विपक्षी पार्टियां भ्रम फैला रही हैं कि इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने आज 23 दिसंबर 2019 को समय-समय पर एनआरसी के बारे में अमित शाह और मोदी सरकार के अन्य मंत्रियों सहित खुद राष्ट्रपति कोविंद द्वारा दिए गए बयानों को प्रस्तुत किया है जो मोदी के भाषण में दिए बयान के ठीक उलट हैं।
एक्सप्रेस में मोदी के अलावा अन्य के गिनाये गये बयान इस प्रकार हैः
- 11 अप्रैल को दार्जिलिंग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहाः ‘‘हमने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने के बाद सारे देश में हम एनआरसी को लागू करेंगे। भाजपा एक-एक घुसपैठिए को चुन-चुन कर बाहर निकाल फेंकेगी लेकिन प्रत्येक हिंदू और बौद्ध शरणार्थियों की बारीकी से पहचान की जाएगी और उसे भारतीय नागरिकता दी जाएगी।’’
- 1 मई को पश्चिम बंगाल की एक सभा में शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के बाद हम एनआरसी लाएंगे। ‘‘पहले हम नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिल जाए। इसके बाद हम एनआरसी लाएंगे और फिर प्रत्येक घुसपैठिए को अपनी मातृभूमि से बाहर फेंक देंगे।’’
- 23 अप्रैल को बीजेपी की आधिकारिक वेबसाइट पर एक यूट्यूब वीडियो डाला गया जिसमें शाह ने कहाः ‘‘पहले नागरिकता संशोधन बिल आएगा। इसके बाद शरणार्थियों को नागरिकता देने के बाद एनआरसी लाएंगे। इसी वजह से शरणार्थियों को डरने की जरूरत नहीं है लेकिन घुसपैठियों को समझ लेना चाहिए कि हम क्या करने जा रहे हैं – पहले नागरिकता संशोधन विधेयक और फिर एनआरसी। एनआरसी केवल बंगाल के लिए नहीं है, यह समूचे देश के लिए है।’’
- अमित शाह ने काफी पहले 8 सितंबर, 2018 को नई दिल्ली में डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहाः ‘‘एनआरसी के बारे में हम बहुत स्पष्ट हैं। हर घुसपैठिए की शिनाख्त की जाएगी और उसे भारत से बाहर कर दिया जाएगा।’’
- इसके कुछ ही दिनों बाद 17 सितंबर, 2018 को उन्होंने एक वक्तव्य में कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एनआरसी और अवैध घुसपैठियों पर अपना रुख स्पष्ट करें। उन्होंने आरोप लगाया कि ये घुसपैठिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं और इनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे।
- गृहमंत्री बनने के बाद भी अमित शाह लगातार यह कहते रहे कि असम से बाहर भी एनआरसी लागू किया जाएगा।
- 9 दिसंबर को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान शाह ने साफ शब्दों में कहा कि समूचे देश में एनआरसी लगाया जाएगा। ‘‘हमें एनआरसी के लिए किसी बहाने की जरूरत नहीं है। हम पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे। हम चुन-चुन कर घुसपैठियों को निकालेंगे।’’
- इसके दो दिनों बाद राज्यसभा में एनआरसी पर बहस के दौरान वह खामोश बैठे रहे, लेकिन 21 नवंबर को राज्यसभा में ही एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहाः ‘‘एनआरसी की प्रक्रिया पूरे देश में चलाई जाएगी। किसी भी व्यक्ति को चाहे वह किसी धर्म का हो परेशान होने की जरूरत नहीं है। हमारा मकसद सबको एनआरसी के अंतर्गत लाना है।’’
- अक्तूबर में महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों के समय शाह ने बार-बार सभाओं में कहा कि समूचे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा।
- झारखंड की चुनाव सभा में यद्यपि उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी आवाज में थोड़ी नरमी लाई लेकिन 2 दिसंबर को पश्चिम सिंहभूम की एक सभा में उन्होंने कहाः ‘‘कांग्रेस कहती है कि एनआरसी को लागू नहीं किया जाना चाहिए, घुसपैठियों को बाहर नहीं निकालना चाहिए। हम एनआरसी को लागू करेंगे और 2024 के चुनावों तक एक-एक घुसपैठिए को देश से बाहर कर देंगे।’’
- 14 दिसंबर को झारखंड की एक चुनाव सभा में राजनाथ सिंह ने कहा कि देशभर में एनआरसी का लगाया जाना अपरिहार्य है और कोई भी बात सरकार को उसके इस निश्चय से डिगा नहीं सकती है। ‘‘एनआरसी को लागू करने के बाद हम बैठेंगे और एक मानवीय दृष्टिकोण के साथ उन अवैध घुसपैठियों के बारे में विचार करेंगे।’’
- 19 दिसंबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन होने के बाद जे.पी.नड्डा ने जोर देकर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पहले लागू किया जाएगा और इसके बाद हम एनआरसी को लाएंगे। ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ रहा है और यह क्रम जारी रहेगा। नागरिकता संशोधन कानून लागू किया जाएगा और इसके बाद हम एनआरसी को लागू करेंगे।’’
- 20 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17वीं लोकसभा के गठन के बाद सांसदों को पहली बार संबोधित करते हुए कहाः ‘‘अवैध घुसपैठियों की समस्या हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इसने देश के अनेक हिस्सों में सामाजिक असंतुलन पैदा कर दिया है और आजीविका के सीमित अवसरों पर जबर्दस्त दबाव डाल दिया है। मेरी सरकार ने फैसला किया है कि घुसपैठ से प्रभावित इलाकों में हमारी सरकार एनआरसी की प्रक्रिया को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लागू करेगी। घुसपैठ को रोकने के लिए सीमाओं पर सुरक्षा और बढ़ा दी जाएगी।’’ राष्ट्रपति के अभिभाषण को सरकार की नीति संबंधी घोषणा माना जाता है।
इन बयानों पर भरोसा न हो तो खुद भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी एनआरसी पर अधिसूचना को नीचे देखा जा सकता है जिसमें देशव्यापी एनआरसी को पूराकरने की अंतिम तारीख तक दे दी गयी है।
इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने जहां यह कहा है कि देश में कहीं भी कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने 11 दिसंबर को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां डिटेंशन सेंटर की स्थापना करें ताकि अवैध घुसपैठियों को उनके बाहर निकाले जाने तक उन केंद्रों में रखा जा सके। बंगलुरु में लगभग तैयार हो चुके एक डिटेंशन सेंटर की ख़बर नीचे देखी जा सकती है जो प्रधानमंत्री के बयान से उलट तस्वीर पेश करती हैः
वरिष्ठ पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा की फेसबुक दीवार से साभार संपादित टिप्पणी