‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ की तर्ज़ पर एबीपी न्यूज़ ने नया कार्यक्रम शुरु किया है- ‘कौन बनेगा मेयर’। इसके तहत मंगलवार शाम मेरठ में मेयर पद के प्रत्याशियों को डिबेट के लिए बुलाया गया था , लेकिन हंगामे की वजह से कार्यक्रम बीच में ही रोकना पड़ा। गैर बीजेपी दलों ने आरोप लगाया कि एबीपी और उसके ऐंकर अनुराग मुस्कान पूरी तरह भगवा रंग में रंगे हैं। कार्यकर्म में महिला प्रत्याशियों के पतियों के साथ आने को मुद्दा बनाया जा रहा है जबकि चैनल के स्थानीय स्ट्रिंगर ने ही साथ आने की बात की थी।
वैसे, हंगामा तो शो शुरू होने के पहले ही शुरू हो गया था। डिबेट के मंच पर ‘योगी की पहली परीक्षा’ लिखे हुए कई बोर्ड लगे थे। विपक्षी नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि उनकी पार्टी के नेताओं की भी तस्वीर होनी चाहिए। काफी हंगामे के बाद आख़िरकार ये बोर्ड हटाए गए।
बाद मे जब कार्यक्रम शुरू हुआ तो बीजपी प्रत्याशी ने बाक़ी प्रत्याशियों के पतियों की उपस्थित पर ऐतराज़ जता दिया। ऐंकर अनुराग मुस्कान ने इसे मुद्दा बनाया और उनका मज़ाक उड़ाना शूरू कर दिया। विपक्षी दलों के समर्थकों ने इस पर हंगामा करते हुए उन पर बीजेपी का पक्ष लेने की तोहमत जड़ी तो वे उखड़ गए। बीएसपी के लोगों को तो उन्होंने यह कह दिया – ” वैसे भी जनता ने आपको सबसे पीछे की पंक्ति पर खड़ा कर दिया है, यहाँ मैंने आगे की पंक्ति में बैठाया है, उसका तो सम्मान करिए।”
ज़ाहिर है, यह बात विपक्ष को अखर गई। समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी के पति योगेश वर्मा ने सीधे कहा कि उन्हें पत्नी के साथ आने के लिए खुद एबीपी के स्थानीय प्रतिनिधि ने ही कहा था। वे बिना बुलाए नहीं आए हैं। इसके बावजूद अनुराग मुस्कान मानने को तैयार नहीं हुए कि ऐसा हुआ होगा।
इस बीच कांग्रेस प्रत्याशी ने कहा कि ‘मैं भारतीय नारी हूँ, जो भी करूँगी पति के साथ करूंगी…”
इतना सुनते ही अनुराग कहने लगे कि ” ये कहकर तो ये जीतने के पहले ही हार गईं..”
यही नहीं, उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी के लिए लाइन क्लियर होने की घोषणा भी कर दी जिसके बाद हंगामा काफ़ी बढ़ गया और कार्यक्रम बीच में रोकना पड़ा।
एबीपी न्यूज़ ने इस हंगामे और पति के साथ पहुँची प्रत्याशियों को अपनी हेडलाइन बनाई। लेकिन योगी आदित्यनाथ के बोर्ड हटाने की बात उसमें नहीं थी।
बहरहाल, एबीपी के इस रुख पर कई सवाल खड़े होते हैं। क्या एबीपी को भारतीय समाज की हकीकत का कोई भान नहीं है। क्या वो अनुसूचित जाति की महिलाओं की सार्वजनिक जीवन में अनुपस्थिति के सामाजिक संदर्भ को बिलकुल भी नही जानता। ख़ैर, उसेे पूरी आज़ादी है कि वह इसे मुद्दा बनाए, लेकिन क्या यह किसी फ़रेब से संभव है। अगर उसके स्ट्रिंगर ने पतियों के साथ प्रत्याशियों को आने के लिए कहा था तो फिर ऐंकर को सार्वजनिक रूप से उनका मज़ाक उड़ाने का हक़ कैसे है ?
अनुराग मुस्कान तो चले गए..सवाल उस स्ट्रिंगर की मुस्कान का है जिसे मेरठ में ही रहना है। एबीपी न्यूज़ की वेबसाइट पर मौजूद कार्यक्रम का संपादित अंश यहाँ देखा जा सकता है। नीचे हेडिंग देखिए एबीपी की और सोचिए कि उसके मेरठ स्ट्रिंगर पर क्या गुज़र रही होगी।