‘2007 के समझौता ट्रेन धमाके में सुनील जोशी गुट की भूमिका हमने साबित की थी और हक़ीक़त ये है कि इस धमाके में सिमी का कोई दख़ल नहीं था।’ ये शब्द समझौता ट्रेन धमाके के लिए गठित SIT के तत्कालीन चीफ़ और हरियाणा पुलिस के पूर्व डीजीपी (क़ानून एवं व्यवस्था) विकास नारायण राय के हैं।
पूर्व पुलिस अफसर के इस दावे में नया या सनसनीख़ेज़ कुछ भी नहीं है। भगवा आतंकवाद से जुड़ी सूचनाएं SIT समय-समय पर गृह मंत्रालय को सौंपती रही है। ये तथ्य अब सार्वजनिक हो चुके हैं लेकिन ‘साहेब’ के चरणों में लोटने के लिए बेक़रार कुछ टीवी चैनल और एंकर इसकी लीपापोती में पूरे जोरशोर से जुटे हुए हैं लेकिन ऐसे ही एक संपादक और एंकर के मंसूबों पर एक पुलिस अफसर ने पानी फेर दिया है लेकिन चारण एँकर पर इसका कोई असर नहीं है। उनकी चरण वंदना जारी है।
ख़ैर, 2007 के समझौता ब्लास्ट में सुनील जोशी की भूमिका जांच के दौरान ही साफ़ हो गई थी। वो पुलिस के हत्थे चढ़ने ही वाला था कि उसकी हत्या कर दी गई। अगर सुनील जोशी गिरफ्तार होता तो पूछताछ में कई बड़े खुलासे हो सकते थे क्योंकि वह मध्यप्रदेश में आरएसएस के प्रचारक था। हत्यारे आजतक फरार बताए जाते हैं।
समझौता धमाकों में जोशी और उसके साथियों की भूमिका उजागर होने पर देश में पहली बार भगवा आतंकवाद पर बहस शुरू हुई। पहली बार देश को पता चला कि भारत में आतंक इस रंगरूप में जड़ें जमा रहा है लेकिन इन धमाकों के आरोपियों को सज़ा होने से पहले ही केंद्र में सत्ता बदल गई और इन सभी मामलों पर पर्दा डालने का खेल शुरू हो गया। जांच एजेंसियों ने भगवा आतंकवाद से जुड़े सभी मामलों के केस कमज़ोर करना शुरू दिए। ज़्यादातर केसों में गवाह पलटने लगे और अपनी ही जांच एजेंसियों पर सवाल उठाए जाने लगे।
भारतीय मीडिया का एक बड़ा तबक़ा ऐसे ही किसी मौक़े की ताड़ में था। उसे अब प्रायोजित बहसों से ये साबित करना था कि देश में भगवा और हिंदू आतंकवाद की कहानियाँ झूठी हैं। मकसद सिर्फ इतना है कि सुधीर चौधरी और रोहित सरदाना छाप पत्रकारिता करके किसी तरह ‘साहेब’ के चरणों में थोड़ी-सी जगह मिल जाए।
ऐसा करने वाले पत्रकारों में फिलहाल ताज़ा नाम न्यूज़ एक्स के संपादक राहुल शिवशंकर का है। हाल ही में समझौता ब्लास्ट पर उन्होंने एक बुलेटिन चलाकर हिंदू आतंकवाद की थ्योरी पर मिट्टी डालने की कोशिश की लेकिन इस केस की SIT के चीफ़ वीएन राय ने एक बयान पब्लिक करके उनकी पैंट उतार दी। राहुल शिवशंकर ने उनका इंटरव्यू किया जिसे 3 जून की शाम दिखाया जाना था। लेकिन जब पूर्व आईपीएस के तथ्य, राहुल की कहानी को पलटने लगे तो फिर चैनल ने बातचीत दिखाई ही नहीं। इस मामले में पढ़िये, ख़ुद वी.एन राय ने फ़ेसबुक पर किया लिखा है—
(नीचे तस्वीर विकास नारायण राय की है)
विकास नारायण राय के इस खुलासे के बाद News X, इसके संपादक राहुल शिवशंकर समेत मीडिया का एक घिनौना चेहरा फिर उजागर हुआ है। अफसोस कि ऐसे पत्रकारों की खाल इतनी मोटी हो चुकी है कि तमाम बेशर्मियां उजागर होने के बाद भी ये तन-मन से अपने अजेंडा में लगे हुए हैं। मसला सिर्फ़ एक राहुल शिवशंकर का नहीं है, कई संपादक स्तर के पत्रकार रात-दिन यही बताने में जुटे हैं कि हिंदू तो आतंकवादी हो ही नहीं सकता जबकि देश का पहली आतंकवादी घटना महात्मा गाँधी की हत्या थी और इसे अंजाम देने वाला नाथूराम गोडसे आरएसएस से लेकर हिंदू महासभा से ही दीक्षित और हिंदुत्व का दर्शन देने वाले सावरकर का ही चेला था।
सरकार तमाम पेशेवर जाँच संस्थाओं को नष्ट करने पर आमादा है और राहुल शिवशंकर जैसे पत्रकार उसके झूठे प्रचार अभियान के अगुआ हैं।