20 महिला पत्रकारों ने अकबर के ख़िलाफ़ भरी हुंकार पर डर गए हिंदी अख़बार, ख़बर गोल कर दी!

संजय कुमार सिंह


भारत में मीटू अभियान के दूसरे दौर के ज्यादातर हमले झेलते हुए केंद्रीय मंत्री एम.जे अकबर पूरी मजबूती से विदेश राज्यमंत्री की कुर्सी संभाले हुए हैं। उन्होंने सबसे पहले आरोप लगाने वाली सिर्फ एक पत्रकार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया है। समझा जा रहा था कि यह बाकी पत्रकारों को डराने धमकाने के लिए है। पर कल दो और मामले सामने आए। यही नहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि 20 महिलाओं ने अकबर के खिलाफ गवाही देने की पेशकश की है। ये महिलाएं 1990 के दशक में अकबर के साथ काम कर चुकी हैं और अदालत से अपील की है कि अकबर के खिलाफ उनकी भी गवाही ली जाए। टीओआई में पहले पेज पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, “हम अवमानना के मामले की सुनवाई कर रही माननीय अदालत से अपील करते हैं कि (याचिकाकर्ता के हाथों यौन उत्पीड़न के हमारे मामलों में भी) हमारी गवाही भी सुनी जाए जो इस उत्पीड़न की गवाह हैं और 1990 के दशक में अकबर के साथ दि एशियन एज में काम किया है।” कई पत्रकारों ने मंत्री और पूर्व संपादक पर यौन उत्पीड़न तथा अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया है

इन महिलाओं ने एक बयान में कहा है, अपनी कानूनी कार्रवाई से अकबर ने जो दिखाया है वह आत्मनिरीक्षण, अपराध स्वीकारने या प्रायश्चित से उनका इनकार है और इससे बहुत सारी महिलाओं को भारी तकलीफ हुई है जो वर्षों तक परेशान की गई हैं। हिन्दी अखबारों ने अकबर के खिलाफ आरोप न के बराबर छापे हैं। वैसे भी वे अंग्रेजी में हैं पर अकबर के बयान, मुकदमा करने के उनके निर्णय औऱ मुकदमे से संबंधित खबरों को प्रमुखता से छापते रहे हैं। आज जब 20 महिलाएं स्वयं गवाही देने की पेशकश कर रही हैं तो निश्चित रूप से यह मामला अनूठा और केंद्रीय मंत्री की हेठी के साथ-साथ एक आरोपी को मंत्रिमंडल में बनाए रखने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ है। लिहाजा हिन्दी के ज्यादातर प्रमुख अखबारों ने आज इस खबर को फिर गायब कर दिया है या कमजोर करके छापा है।

नवोदय टाइम्स में पहले पेज पर अकबर के खिलाफ निष्पक्ष जांच के लिए राजनाथ, मेनका से अपील खबर सिंगल कॉलम में है। अखबार ने विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार से राम जन्म भूमि मामले पर बात की है। मीटू पर उन्होंने कहा कि गंभीरता से विचार करना चाहिए। अखबार ने इसे खबर के साथ सिंगल कॉलम में छापा है। पर बाकी सब पहले पन्ने पर नहीं है। नवभारत टाइम्स में यह सिंगल कॉलम खबर है, अकबर के विरोध में सामने आई 16 महिला पत्रकार। इस खबर के साथ अकबर की आधे कॉलम को फोटो है। पीटीआई की इस खबर में कहा गया है कि अकबर के खिलाफ दो और पत्रकारों ने आरोप लगाए हैं और रमानी के समर्थन में 17 पत्रकार सामने आई हैं। और गवाही देने की बात कही है। इनमें से कुछ अकबर से पीड़ित रही हैं। दैनिक हिन्दुस्तान ने सिंगल कॉलम में छोटी सी खबर लगाई है, “अकबर मामले की सुनवाई 18 को”। इसमें लिखा है कि मामले की सुनवाई मंगलवार को नहीं हो सकी अदालत ने अगली तारीख 18 अक्तूबर तय की है।

इस खबर में कहा गया है कि अकबर ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों को लेकर पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि की याचिका दायर की है। दैनिक जागरण ने यह खबर छह कॉलम में है। और शीर्षक है, “कांग्रेस पर भी मीटू की मार, एनएसयूआई अध्यक्ष का इस्तीफा”। जेएनएन यानी जागरण के समाचार नेटवर्क की इस खुबर की शुरुआत इस प्रकार होती है, “यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे विदेश राज्य मंत्री एमजी (एमजे) अकबर के इस्तीफे की मांग कर रही कांग्रेस पर भी मीटू की मार पड़ गई है। छत्तीसगढ़ की महिला कार्यकर्ता ने एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज खान के खिलाफ दिल्ली में यौन प्रताड़ना का केस दर्ज कराया है। जम्मू कश्मीर के रहने वाले खान ने इस्तीफा दे दिया है।” खबर आगे कहती है, संप्रग सरकार में मंत्री रहे एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पर भी महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। अखबार ने कांग्रेस नेता का नाम नहीं लिखा है पर आरोप लगाने वाली पत्रकार का नाम है।

अकबर का मामला पांचवें कॉलम में शुरू होता है और खबर वाले फौन्ट साइज में ही बोल्ड में उपशीर्षक है, अकबर के खिलाफ अब तक 16। इसमें तुशिता पटेल और स्वाति गौतम के नाम के साथ उनके आरोपों का संक्षिप्त विवरण है। साथ ही यह भी बताया गया है कि अकबर के खिलाफ सबसे पहले सामने आने वाली प्रिया रमानी के समर्थन में 17 महिला पत्रकारों ने बयान जारी किया है। ये सभी अकबर के साथ एशियन एज में काम कर चुकी हैं। अखबार ने लिखा है कि संबंधित खबरें पेज 13 और 18 पर भी हैं। जागरण ने कांग्रेस के अनाम नेता की खबर को तो पहले पेज पर रखा है पर नंदिता दास के पिता जतिन दास पर निशा वोरा के आरोपों को 13 वें पेज पर छापा है अमर उजाला में यह खबर पहले पेज पर नहीं है।

दैनिक भास्कर ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है लेकिन राजस्थान पत्रिका में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। अमर उजाला में भी यह खबर पहले पेज पर नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर तीन लाइन के शीर्षक के साथ टॉप पर है लेकिन हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। दिलचस्प यह है कि हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पेज पर टॉप बॉक्स में राहुल सिंह की एक्सक्लूसिव स्टोरी है जिसका शीर्षक है, “परफॉर्मेंस रिपोर्ट पेंट ग्रिम पिक्चर ऑफ एचएएल वर्क” यानी प्रदर्शन रिपोर्ट एचएएल के काम की खराब तस्वीर पेश करती है। एचएएल यानी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जो युद्ध के विमान बनाने वाली सरकारी कंपनी है और जिसे हटाकर रिलायंस की नई बनी विमान कंपनी को राफेल विमान का काम दिलाने का आरोप मोदी सरकार पर है।

मोदी सरकार की यह खासियत है कि सरकारी कंपनी के खराब प्रदर्शन की खबर को भी सरकार के पक्ष में माना जाता है और मीडिया में ऐसी खबरें यह साबित करने के लिए प्लांट कराई जा रही हैं कि रिलायंस को काम दिलाना गलत नहीं है क्योंकि जनता यह नहीं पूछती की सरकारी कंपनी की रिपोर्ट खराब क्यों है। पिछली सरकार को बदनाम कर सत्ता में आई भाजपा की सरकार ऐसे काम कर रही है या उसके समर्थक ऐसे बात कर रहे हैं जैसे यह सरकार कुछ गलत करती ही नहीं है और पूछताछ का कोई मतलब नहीं है। रिलायंस को काम दिलाया तो इसलिए दिलाया कि सरकारी कंपनी नालायक है। औऱ नालायक क्यों है इसके लिए नेहरू जी से लेकर 70 साल राज करने वाली पार्टी जिम्मेदार हो सकती है चार साल से सत्ता में बैठी यह सरकार दूध की धुली है।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

 



 

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